Tuesday 12 July 2016

फिर से सावन में तेरा प्यार याद आता है

फिर से सावन में तेरा प्यार याद आता है
जब कभी तू मुझे ख़्वाबों में छेड़ जाता है
ये हरे बाग़ ये वादी ये घटायें क्या हैं
ये हँसी रात सितारे ये फ़िज़ाएँ क्या है ..२
बिन तेरे मेरा बुरा हाल हुवॉ जाता है
फिर से सावन .....
तेरा चेहरा मुझे झूलों में नज़र आता है
ऐसा लगता है मुझे तू ही झुला जाता है ..२
बूँद बनकरके जो तू तन से लिपट जाता है
फिर से सावन ......
अब तो शृंगार भी तन में न सजाये जाएँ
बिन तेरे कोई भी रिश्ते न निभाए जाएँ
कियूँ भुलाकर के मेरे यार मुस्कुराता है
फिर से सावन ....

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