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सरकार ढूंढ-ढूढ कर सिर्फ “काले धन” वालो को ही पकड़ रही है..

“काले मन” वाले निश्चिन्त रहें….

     

उस शक्श से फ़क़त  इतना सा ताल्लुक हैं मेरा !!

वो परेशान होता है तो मुझे नींद नही आती है !!

     

ऐसा नहीं है कि अब तेरी जुस्तजू नहीं रही,

बस टूट-टूट कर बिखरने की हिम्मत नहीं रही…

     

तैरना तो आता था हमे मोहब्बत के समंदर मे लेकिन…
जब उसने हाथ ही नही पकड़ा तो डूब
जाना अच्छा लगा…

       

“दिल  में  है  जो  दर्द  वो  किसे  बताएं,
हँसते  हुए  ज़ख्म  किसे  दिखाएँ.
कहती  है  ये  दुनिया  हमे  खुशनसीब,
मगर  नसीब  की  दास्तान  किसे  सुनाएँ.”

       

मौसम नहि जो पल मे बदल जाऊ
जमीन से कहि दूर निकल जाऊ
पुराने वक्त का सिक्का हु यारो
मूजे फेक ना देना
बूरे दिनो मे शायद मै हि काम आ जाऊ.

       

पता तो मुझे भी था कि लोग बदल जाते
है……..
पर मैने तुम्हे कभी उन लोगो मे गिना नही था…

       

“नामुमकिन” ही सही मगर,
“महोब्बत” तुजसे ही है..!

       

कुछ रिश्तें मेहँदी के रंग की तरह हाेते है,
शुरूआत में चटख़ ,बाद में फिके पड जाते है..!!

       

तेरी तो फितरत थी सबसे मोहब्बत करने की…

हम तो बेवजह खुद को खुशनसीब समझनेलगे…

       

“नसीब का लिखा तो मील ही जायेगा,

या रब,

देना हे तो वो दे जो तकदीर मे ना हो”..!!!

       

तुम्हारे पास छोड़ आया हूँ मैं, ख़ुद को कबसे…
इस बार मिलोगी जब, मैं ख़ुद को तुमसे मांग लूँगा…

       

बदल जाती हो तुम ….. कुछ पल साथ बिताने के
बाद……
यह तुम मोहब्बत करती हो या नशा….

       

कुछ तुम बांट लेना कुछ मैं बांट लूंगा । यूं कम हो जाएंगे गम जिंदगी के ।।

       

तेरे वजूद में मै काश यूं उतर जाऊ…,
तू देखे आइना और मै, तुझे नज़र आऊ.

       

तुझे याद कर लूं तो मिल जाता है सुकून दिल को,
मेरे गमों का इलाज भी कितना सस्ता है ….

       

बड़ी शिदत से कोशिश कर रहा हूँ
अब में तुम्हे भूलने की,

कभी बहुत दिल से दुआ करता था
तुम्हे अपना बनाने की.

       

लोग कहते हैं कि मेरा दिल पत्थर का है..
लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे..जो इसे भी तोड़ गए..!!

     

तेरा ईगो तो दो दिन की कहानी है ..
लेकिन अपनी अकड़ तो बचपन से ख़ानदानी है..

     

ना तोल मेरी मोहब्बत अपनी दिल्लगी से,
देख कर मेरी चाहत को अक्सर तराजू टूट जाते हैं ।

     

उस शक्श से फ़क़त  इतना सा ताल्लुक हैं मेरा !!

वो परेशान होता है तो मुझे नींद नही आती है !!

       

तुम पत्थर भी मारोगे तो भर लेंगे
झोली अपनी ।…
क्योंकि हम दोस्तो के तोहफ़े ठुकराया नहीं करते ||

     

ख़ामोशी बहुत कुछ कहती हे ,
कान लगाकर नहीं ,
दिल लगाकर सुनो !!

       

सोचता हूँ इस दिल मे एक कब्रिस्तान बना लूँ ,
सारे ख्वाब मर रहे हैँ एक एक करके..!!

       

मेरे बटुए में तुम पाओगे अक्सर नोट खुशियों के,
मैं सब चिल्लर उदासी के अलग ‘गुल्लक’ में रखता हूं.‼

     

किसी ने मुझसे पूछा ” वादें ” और ” यादें ” में क्या अन्तर है … मैंने
सिर्फ इतना कहा …. वादें इन्सान तोड़ता है और यादें इन्सान
को तोड़ती हैं …

       

इस कश्मकश में सारा दिन गुज़र जाता हे की उससे बात करू या उसकी बात करू..!!!

       

वह कितना मेहरबान था, कि हज़ारों गम दे गया…
हम कितने खुदगर्ज़ निकले, कुछ ना दे सके उसे प्यार के सिवा।

     

तमन्नाओ की महफ़िल…..तो हर कोई सजाता है.
पूरी उसकी होती है……जो तकदीर लेकर आता है..!!

     

तुमने भी हमें बस एक दिए की तरह समझा था,
रात गहरी हुई तो जला दिया सुबह हुई तो बुझा दिया !!

     

‘समय’ और ‘समझ’ दोनों एक साथ खुश किस्मत लोगों को ही मिलते हैं…
क्योंकि……..,
अक्सर ‘समय’ पर ‘समझ’ नहीं आती
और ‘समझ’ आने पर ‘समय’ निकल जाता है………

       

शौक से तोड़ो दिल मेरा मै क्यू परवाह करू,,,
तुम ही रहते हो इसमे अपना ही घर उजाड़ोगे…

       

यह आरजू नहीं कि किसी को भुलाएं हम,
न तमन्ना है कि किसी को रुलाएं हम,
जिसको जितना याद करते हैं,
उसे भी उतना याद आयें हम.

       

यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझे.,
खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे.!

       

नामुमकिन ही सही मगर…
मोहब्बत ‘तुझ’ ही से है…!!

       

पता है मैं हमेशा खुश क्यों रहता हूँ ?
क्योंकि मैं खुद के सिवा किसी से
कोई उम्मीद नहीं रखता..!

       

दीखाने के लीए तो हम भी बना सकते है ताजमहल,मगर मूमताज को मरने दे हम वो शाहजहा नही…!

       

साथी तो मुझे सुख में चाहिए…..

दुःख में तो मै अकेलi ही काफी हूँ………!!!!!!!

     

तुम्हें अपना कहने की तमन्ना थी दिल में,
लबों तक आते आते तुम ग़ैर हो गए..

     

दिया जरुर जलाऊंगा चाहे मुझे ईश्वर मिले न मिले,

हो सकता है दीपक की रोशनी से किसी मुसाफिर को ठोकर न लगे….

       

किसी के पाँव से काँटा निकाल कर देखो..!!
तुम्हारे दिल की ‘चुभन’ जरूर कम होगी..!!

       

बाज़ार के रंगों से रंगने की मुझे जरुरत नहीं…

किसी की याद आते ही ये चेहरा गुलाबी हो जाता है….

       

हम तो आइना है दाग दिखाएंगे चेहरे के,जिसे बुरा लगे वो सामने से हट जाए..

       

बस एक तुमको न जीत सके हम,

उम्र बीत गयी,
खुद को जुआरी बनाते बनाते..

     

रोज़गार है तो सोमवार है,
वर्ना सातों दिन रविवार है…

     

ऐ समन्दर…
मैं तुझसे वाकिफ नहीं हूँ मगर इतना बताता हूँ,
वो आँखें तुझसे ज़्यादा गहरी हैं जिनका मैं आशिक हूँ.

     

तेरी मोहब्बत से लेकर तेरे अलविदा कहने तक..

मेंने सिर्फ तुजे चाहा है, तुजसे कुछ नहीं चाहा..!

     

तुज़से दोस्ती करने का हिसाब ना आया,
मेरे किसी भी सवाल का जवाब ना आया,
हम तो जागते रहे तेरे ही ख़यालो मे,
और तुझे सो कर भी हमारा ख्वाब ना आया..!!!

     

“कोई दोस्त कभी पुराना नहीं होता,
कुछ दिन बात न करने से बेगाना नहीं होता,
दोस्ती में दुरी तो आती रहती हैं,
पर दुरी का मतलब भुलाना नहीं होता.”

       

मेरी आँखों में छुपी उदासी को महसूस तो कर..

हम वह हैं जो सब को हंसा कर रात भर रोते हैं…

     

“हम अपने पर गुरुर नहीं करते,
याद करने के लिए किसी को मजबूर नहीं करते.
मगर जब एक बार किसी को दोस्त बना ले,
तो उससे अपने दिल से दूर नहीं करते.”

     

काश फिर मिलने की वजह मिल जाए,
साथ जितना भी बिताया वो पल मिल जाए,

चलो अपनी अपनी आँखें बंद कर लें,
क्या पता ख़्वाबों में गुज़रा हुआ कल मिल जाए…

       

वो किताबों में दर्ज था ही नहीं ..
सिखाया जो सबक ज़िंदगी ने ..

     

इस शहर के लोगों में वफ़ा ढूँढ रहे हो ,
तुम जहर कि शीशी में दवा ढूँढ रहे हो..!!

     

“सोचा था घर बनाकर बेठुंगा सुकून से,
पर घर की जरूरतों ने मुसाफिर बना डाला..!!”

       

मुनासिब समझो तो सिर्फ इतना ही बता दो…
दिल बैचैन हैं बहुत, कहीं तुम उदास तो नहीं…

       

चलने की कोशिश तो करो, दिशाए बहोत है,

रस्तो पे बिखरे काटो से ना डरो,
तुम्हारे साथ दूवाए बहोत है |

       

वहाँ तक तो साथ चलो ,जहाँ तक साथ मुमकिन है ,
जहाँ हालात बदल जाएँ , वहाँ तुम भी बदल जाना ….

       

दुश्मन के सितम का खौफ नहीं हमको,
हम तो दोस्तों के रूठ जाने से डरते हैं……!!

       

काश बनाने वाले ने दिल कांच के बनाये होते,
तोड़ने वाले के हाथ में ज़ख्म तो आये होते…!!

       

तेरे एक-एक लफ्ज़ को हज़ार मतलब पहनाये हमने…
चैन से सोने ना दिया तेरी अधूरी बातों ने…

       

ना बादशाह हूँ मै दिलों का,
ना शायर हूँ मै लफ़्ज़ों का ..

.. बस जुबां साथ देती है,
मै बातें दिल से करता हूँ !!

       

तुम आसमां की बुलंदी से जल्द लौट आना…
मुझे जमीन की हकीकत पे बात करनी है …!!

       

दिल में मोहब्बत, काले धन की तरह
छुपा रक्खी है…
खुलासा नहीं करते,
कि कहीं हंगामा न मच जाये…

       

मैं कैसे उस शख्स को रुला सकता हूँ…

जिसे शख्स को मैंने खुद रो-रो कर मांगा हो…

       

ऐ ज़िन्दगी मुझे कुछ , मुस्कुराहटें उधार दे दे…

‘अपने’ आ रहे हैं मिलने की रस्म निभानी है…

       

तमाम उम्र इसी बात का गुरुर रहा मुझे …
किसी ने मुझसे कहा था की हम तुम्हारे है !!

       

जब जेब में रुपये हो तो दुनिया आपकी औकात देखती है,
और जब जेब में रुपये न हो तो दुनिया अपनी औकात दिखाती है….

       

हालात के साथ वों बदलते हे जो कमज़ोर होते हें,
हम तो हालात को ही बदल के रख देते हैं ….

       

ये तेरे याद के बादल जो बसते हे इन आँखों में काजल की तरह….
यूँ बेवजह बरसजाना…………. तो इनकी आदत ना थी….!!!

       

ना लफ़्ज़ों का लहू निकलता हैं,ना किताबें बोल पाती हैं,

मेरे दर्द के दो ही गवाह थे,दोनों ही बेजुबां निकले…

       

तू चाँद और मैं सितारा होता,
आसमान में एक आशियाना हमारा होता,
लोग तुम्हे दूर से देखते,
नज़दीक़ से देखने का हक़ बस हमारा होता.

       

बहुत भीड़ हो गई तेरे दिल में
“जालिम”…
अच्छा हुआ हम वक्त पर निकल
गए….

     

अभी इतनी जल्दी क्या है मुझे छोड़ने की,
मेरी साँसें अभी बाकी हैं, और कोशिश करलो तोड़ने की…!!!

     

“इश्क के सहारे जिया नहीं करते,
गम के प्यालों को पिया नहीं करते,
कुछ नवाब दोस्त हैं हमारे,
जिनको परेशान न करो तो वो याद ही किया नहीं करते.”

     

अगर है गहराई तो चल डुबा दे मुझ को,

समंदर नाकाम रहा अब तेरी आँखो की बारी है !

       

“देर रत जब किसी की याद सताए,
ठंडी हवा जब जुल्फों को सहलाये.
कर लो आंखे बंद और सो जाओ क्या पता,
जिसका है ख्याल वो खवाबों में आ जाये.”

       

अभी तो धुप निकलने के बाद सोया है,

सारी रात तुजे याद कर कर के रोया है.

       

अब कोई खास फर्क नही पडता ख्वाहिशे अघुरी रेहने पर…..!!

क्युं की हमने बहुत करीब से देखा हे अपने अजीझ सपनों को तुटते हुऐ…..!!

       

गिरे बुज़ुर्ग को उठाने भरे बाजार में कोई नहीं आया,

गोरी का रुमाल क्या गिरा पूरा बाजार दौड़ आया…

       

होता अगर मुमकिन तुझे साँस बना कर रखते सीने में….!

तू रुक जाये तो मैं नही, मैं मर जाऊ तो तू नही….!!

       

तक़दीर का ही खेल है सब,

पर ख़्वाहिशें है की समझती ही नहीं…..

     

यूँ तो हम अपने आप में गुम थे,

सच तो ये है की वहाँ भी तुम थे..!

     

आदत हो गयी है तेरे करीब रहने की……
तेरी सांसो की खुशबु वाला इत्र मिलता है कही….!!!?

       

लोग समझते हैं के मैं तुम्हारे हुस्न पर मरता हूँ..
अगर तुम भी यही समझते हो तो सुनो..
जब हुस्न खो दो तब लौट आना…

       

सारे गमों को पैरों से ठुकरा देते हैं,
हम उदास हों तो बस मुस्कुरा देते हैं.

       

मुझसे मां से दो पल की जुदाई सही नहीं जाती हॆ…

पता नहीं बेटीयां ये हुनर कहां से लाती हॆं…!!!

       

अजीब कहानी है इश्क और मोहब्बत की,
उसे पाया ही नहीं फिर भी खोने से
डरता हूँ…

     

बहुत याद आते हो ……..”तुम”
दुआ करो मेरी याददाश्त चली जाये…!!!!

       

तुम्ही ने छुआ होगा….
हवा यूँ बेवजह कभी नहीं महकी..

     

क़्या लूटेगा जमाना खुशीयो को हमारी,
हम तो अपनि खुशिया
दूसरो पर लूटा के जिते है!.

     

पतंग सी हैं जिंदगी, कहाँ तक
जाएगी…..!!

रात हो या उम्र, एक ना एक दिन कट
ही जाएगी….!!

       

उस घडी मेरा इश्क हदें भूल जाता है,
जब लडते लडते वो कहती हैं: “लेकिन प्यार मैं ज्यादा करती हू तुमसे” !!!

       

हमे सिंगल रेहने का शौक नही,
हमारा तेवर झेल सके वो आज तक मिली नही..!!

       

रिश्ते अगर बढ़ जाये हद से तो ग़म मिलते है…

इसलिए आजकल हम हर शख्स से कम मिलते है…

       

महफ़िलों की शान न समझना मुझे;
मैं तो अक्सर हँसता हूँ गम छुपाने के लिये…..

       

बहुत जी चुके उनके लिये जो मेरे लिये सब कुछ थे…
अब जीना है उनके लिये जिनके लिये मैं सब कुछ हूँ…

       

सँभाले तो हूँ ख़ुद को तुझ बिन मगर
जो छू ले कोई तो बिखर जाऊँ मैं…

       

तुम मुझे अब याद नहीं आते…
तुम मुझे याद हो गये हो अब…

     

मेरे यार मुख्तसर सी बात है ,
मुझे तुम से बेइंतिहा प्यार है ….

     

ज़िंदगी की उम्र कुछ कम हो रही थी
वो साँसे दे गयी फिर से मेरे दर्द को !!!

       

ख़्वाबों को तो अक्सर हकीकत की ज़मीन पर ही रक्खा है,
ये बदबख्त अरमान चले गए आसमानों की दहलीज़ परे !!

       

शीशे में डूब कर पीते रहे उस ‘जाम’ को…

कोशिशें तो बहुत की मगर, भुला न पाए एक ‘नाम’ को !!

       

हर तन्हा रात में इंतज़ार है उस शख़्स का.. जो कभी कहा करता था तुमसे बात न करूँ तो रात भर नींद नहीं अाती…

       

इक ठहरा हुआ खयाल तेरा,
कितने लम्हों को रफ़्तार देता है..

       

बचपन में पिताजी के बटुए में हमेशा मेरी जरूरतों से ज्यादा पैसे रहते थे…

ये कारनामा मैं कभी अपने बटुए से नहीं दिखा पाया ।।

       

पिता जी ने इतना पैसा खर्च करके पढना-लिखना सिखाया,
पर ऑफिस की बिल्डिंग में एंट्री अंगूठा टेक कर ही मिलती है..

       

लाजिमी नहीं की आपको आँखों से ही देखुं।
आपको सोचना आपके दीदार से कम नहीं।।

       

बेचैनी जब भी बढ़ती है धुंए में उड़ा देता हूँ ,
और लोग कहते हैं मैं सिगरेट बहुत पीता हूँ… !

       

वो जो तुमने एक दवा बतलाई थी ग़म के लिए,

ग़म तो ज्यूं का त्यूं रहा बस हम शराबी हो गये….

       

तुम सामने आये तो, अजब तमाशा हुआ..

हर शिकायत ने जैसे, खुदकुशी कर ली..!!

       

“पहुँच गए हैं, कई राज मेरे गैरों के पास,

कर लिया था मशवरा,
इक रोज़ अपनों के साथ…!!”

       

सुलग रहे है कब से मेरे, दिल में ये अरमान,
रोक ले अपनी बहो में तू, आज मेरे तूफ़ान |

       

जब जब में लेता हूँ साँस तू याद आती है,
मेरी हर एक साँस मे तेरी खुश्बू बस जाती है,
कैसे कहूँ तेरे बिना में ज़िंदा हूँ,
क्यूंकी हर साँस से पहले तेरी खुश्बु आती है…

       

दिया है ठोकरों ने सम्हलने का हौसला
हर हादसा ख़याल को गहराई दे गया…

       

अक्सर पूछते है लोग, किसके लिए लिखते हो …??
अक्सर कहता है दिल…..”काश कोई होता”…!!

       

अपने गमो की तू नुमाइश न कर,
यूँ क़ुदरत से लड़ने की कोशिश न कर,

जो हे कुदरत ने लिखा वो होकर रहेगा,
तू उसे बदलने की आजमाइश न कर ।।

       

जिस दिन आपने अपनी जिन्दगी को खुलकर जी लिया,
वही दिन आपका है, बाकि तो सिर्फ केलेंडर की तारीखें हैं।

       

जो दिलो में शिकवे और जुबान पर शिकायते कम रखते है,
वो लोग हर रिश्ता निभाने का दम रखते हैं…

       

ए मेरे दिल ,
कभी तीसरे की उम्मीद भी ना किया कर ,
सिर्फ तुम और मैं ही हैं इस दश्त-ए-तन्हाई में …….

       

कभी तुम मुझे अपना तो कभी गैर करते गये,
देख मेरी नादानी हम सिर्फ तुम्हे अपना कहते गये…!!

       

लोग पूछते है ये शायरी कैसे बनी ?
मैं कहता हूँ- कुछ आँसू कागज़ पर गिरे और छप गए…

       

उसकी प्यारी मुस्कान होश उड़ा देती हैं,उसकी आँखें हमें दुनिया भुला देती हैं,आएगी आज भी वो सपने मैं यारो,बस यही उम्मीद हमें रोज़ सुला देती हैं..

       

बरसात आये तो ज़मीन गीली न हो,
धूप आये तो सरसों पीली न हो,
ए दोस्त तूने यह कैसे सोच लिया कि,
तेरी याद आये और पलकें गीली न हों।

     

एक ही शख्स था मेरे मतलब का
आखिरकार
वो भी मतलबी निकला..!!

     

पर्दा तो होश वालों से किया जाता है ,
बेनकाब चले आओ हम तो नशे में है..!!

     

ज़ख़्म दे कर ना पुछा करो दर्द की शिद्दत…!
“दर्द तो दर्द” होता है थोड़ा क्या, ज्यादा क्या…

       

वो रोई तो जरूर होगी खाली कागज़ देखकर,
ज़िन्दगी कैसी बीत रही है पूछा था उसने ख़त में”!!!

       

रात सारी गुज़र जाती है इन्हीं हिसाबों में,,
उसे मोहब्बत थी…?नहीं थी…? है…?नहीं है…!!!

       

“गलत कहेते है लोग की सफेद रंग मै वफा होती है…दोस्तो…!!!!
अगर ऐसा होता तो आज “नमक” जख्मो की दवा होता…..”

       

तलाश है इक ऐसे शक्स की , जो आँखो मे उस वक्त दर्द देख ले,

जब दुनियाँ हमसे कहती है, क्या यार तुम हमेशा हँसते ही रहते हो…

     

जीवन में कभी किसी को कसूरवार न बनायें…..

अच्छे लोग खुशियाँ लाते हैं! बुरे लोग तजुर्बा!!

       

लोग कहते हैं कि वक़्त किसी का ग़ुलाम नहीं होता,

फिर ‘तेरी मुस्कराहट’ पे वक़्त क्यूँ थम सा जाता है…!!!

     

काश आंसुओ के साथ यादे भी बह जाती …

तो एक दिन तस्सली से बैठ के रो लेते…

     

हमको तो बेजान चीज़ों पर भी प्यार आता है….यारा,
तुझमें तो फिर भी मेरी जान बसी है….

       

मौत से तो दुनिया मरती है ,
.
.
आशिक तो प्यार से ही मर जाता है …..”

       

हम ना बदलेंगे वक्त की रफ़्तार के साथ ,
हम जब भी मिलेंगे अंदाज पुराना होगा ।

     

हजार गम मेरी फितरत नही बदल सकते ;

क्या करू मुझे आदत हे मुस्कुराने की ।

     

सिमट गया मेरा प्यार भी चंद अल्फाजों में,
जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं…

       

शानदार जगा पे जाना और जानदार लोगो से दोस्ती करना ये मेरा शौंक हे।।।

       

हर रात जान-बूझ कर रखता हूँ दर खुला..
कोई तो हो लूटेरा जो मेरे गम भी लूट ले…

       

माना की तेरी हर चाल तेज हैं पर,
पगली
आजकल हमारा craze हैं !

       

काबील नजरो के लीये हम जान दे दे पर..
कोई गुरुर से देखे ये हमे मंजुर नही..

       

चाहिए जो वो चीज़ ही कम है,
ग़म ज़ियादा है और खुशी कम है…

       

आज साक़ी तो मेहरबां है, मगर
क्या करें अपनी प्यास ही कम है…

       

ये दिल में लहर प्यार की जो उठ रही है ,
यार एक दिन तो किनारा मिल ही जायेगा ……

       

यारा होंठों पे लिये हुए दिल की बात ,
याद करता हूँ तुझे मैं सारी सारी रात….

       

कांटे तो नसीब में आने ही थे.!
फूल जो हमने गुलाब चुना था.!!

       

चलो सो जाते है अब किसी सच
क़ी तलाश मे ,
.
..
रही साँसे तो सुबह फिर इस
झूठी दुनीया का दीदार करना है..

       

कीस कदर मासूम सा लहजा था उसका..
धीरे से जान कहकर बेजान कर दीया..!

       

मेरे यार,
तू ही मेरी ज़िन्दगी है, तू ही मेरी जान है ,
मुझको तू मिल जाये मेरा यही एक अरमान है …..

       

हाथ पर हाथ रखा उसने तो मालूम हुआ ,
अनकही बात को किस तरह सुना जाता है !

       

मजा आता है किस्मत से लड़ने में,
किस्मत आगे बढ़ने नहीं देती
और मुझे रुकना आता नहीं..!!

       

सिर्फ लफ़्ज़ों को न सुनो, कभी आँखें भी पढो ..
कुछ सवाल बड़े खुद्दार हुआ करते है…

       

मैंने जान बचा के रखी है एक जान के लिए ,
इतना इश्क कैसे हो गया एक अनजान के लिए…!!

     

आप भुलाकर देखो, हम फिर भी याद आएंगे,
आपके चाहने वालों में,
आपको हम ही नज़र आएंगे,
आप पानी पी-पी के थक जाओगे,
पर हम हिचकी बनकर याद आएंगे.

       

अगर हो इजाज़त तो तुमसे एक बात पूछ लू !
वो जो इश्क हमसे सीखा था, अब किससे करते हो..?….

     

मेरी बहादुरी के किस्से मशहुर थे शहर में ,
तुझे खो देने के डर ने कायर बना दिया ।

       

एक अज़ब सी जंग छिड़ी है,
इस तन्हाई के आलम मेँ।

आँखे कहती है की सोने दे,
और दिल कहता है की रोने दे॥

     

उन्होने एक दिन हमसे अजब सा सवाल कर डाला,

कि मरते तो मुझ पर हो तो फिर जिते किसके लिये हो..??

       

वो हैं की जाने को खड़े हैं,
दिल है की बैठा जा रहा है…!

       

“तेरी हसरतों के पंख लगा के उड़ता हूँ…मैं हवा से शर्तं लगा के उड़ता हूँ!!”

       

उसका हँसकर नज़र झुका लेना,
सारी शर्ते कुबूल हो जैसे l

       

खामोशी की जुबां बयां कर देती है सब कुछ,
जब दिल का रिश्ता जुड जाता है किसी से …

       

पूछा था हाल उन्हॊने बड़ी मुद्दतों के बाद…
कुछ गिर गया है आँख में…कह कर हम रो पड़े…..

       

पीते पीते ज़हर-ए-ग़म अब जिस्म नीला पड़ गया..
कुछ दिनों में देखना हम आसमां होने को हैं….!!

       

ये तो सच हैं की हमे चाहने वाले बहोत हैं…
पर ये हमारी जिद थी की हमे सिफ्र तु चाहै………

       

जिस दिन आपने अपनी सोच बड़ी कर
ली ,
बड़े बड़े लोग आपके बारे मे सोचना शुरू कर देंगे..!!

       

तैरी चाहत तो किसमत की बात है मिले या ना मिले…
पर दिल को राहत जरूर मिल जाती है तुझै अपना सोचकर…

       

कयामत टूट पड़ती है ज़रा से होंठ हिलने पर …
ना जाने क्या हश्र होगा अगर वो मुस्कुराये तो…

       

सुना है तुम ले लेते हो हर बात का बदला…
आजमाएंगे कभी तुम्हारे लबो को चूम कर…

     

ये नजर चुराने की आदत आज भी नही बदली उनकी …
कभी मेरे लिए जमाने से और अब जमाने के लिए हमसे…

       

ये बात और है कि इज़हार ना कर सकेँ..

नहीँ है तुम से मोहब्बत..भला ये कौन कहता है.

     

हजारो बार ली हैं तलाशियाँ तुमने मेरे दिल की,
बताओ कभी कुछ मिला है तुम्हारे सिवा !!!!

       

क्या ऐसा नहीं हो सकता हम प्यार मांगे..
और तुम गले लगा के कहो.. और कुछ..??

       

जीत कर दिखा दूँगा तुझे दुनिया से…
हर बार मैं ही हारू, ज़रूरी है क्या…

       

माना की नही आता मुझे किसी का दिल जीतना…..!!
मगर ये तो बताओ की यहाँ दिल है किसके पास…?

       

जो कभी हंस के मिलते थे वो अब इल्ज़ाम देते हैं,
वक़्त की बात है, लोग बदले गिन-गिन के लेते हैं…

       

“क़िफ़ायती दरो पर एहसास बिक रहे हैँ….
चलो थोड़े तुम खरीद लो, थोड़े  मैं ख़रीद लू…”

       

क्या हुआ.. जो मेरे लब तेरे लब से लग गए
माफ़ ना करो ना सही… बदला तो ले लो…

       

तुम्हें जब कभी मिले फ़ुरसतें मेरे दिल से बोझ उतार दो,,
मैं बहुत दिनों से उदास हूँ मुझे कोई शाम उधार दो…!!

       

झूठ अगर यह है कि तुम मेरे हो, तो यकीन मानो,
मेरे लिए सच कोई मायने नहीं रखता…..!!

       

शक तो था मोहब्बत में नुक्सान होगा,
पर सारा हमारा होगा ये मालूम न था।

       

मुझे रुला कर सोना तो तेरी आदत बन गई है ,,
जिस दिन मेरी आँख ना खुली बेशक तुझे नींद से नफरत हो जायेगी ”

       

दिल दुखाया करो इजाज़त है,
भूल जाने की बात मत करना ..

       

हराकर कोई जान भी ले ले,
मुझे मंजुर है,.. पर…….
धोखा देने वालों को मै दुबारा मौका नही देता!

       

सो जाऊ के तेरी याद में खो जाऊ…
ये फैसला भी नहीं होता और सुबह हो जाती है…

       

रोज़ वो ख़्वाबों में आते हैं गले मिलने को,
मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है किस्मत मेरी…

       

वजह पूछ मत तू मेरे रोने कि
तेरी मुस्कराहट पे ख़ुशी के दो आंसू गिर गए….

       

मेने अपनी बैचेनी का एक
हिस्सा जलाया था कुछ देर पहले,

लोगो को सिर्फ सिगरेट नज़र आया…

       

कर दिया कुर्बान खुद को हमने वफ़ा के नाम पर; छोड़ गए वो हमको अकेला मजबूरियों के नाम पर।

       

आज जब मौत हमे लेने आई तो ये कह कर वापिस चली गयी..
ऐ दोस्त मैं ज़िंदगी उन की लेती हूँ जो ज़िंदा होते हैं..

       

किताब में दबी….. जब तेरी उलटी तस्वीर नज़र आती है….
“तेरा वो पलट के देखना याद आता है….”

       

“समंदर की लहरों पर, पैरों के निशान बना सकता हूँ!
तुम साथ ग़र दो तो, जमीं पर आसमां बना सकता हूँ!!”

       

बदल जाती हो तुम !! कुछ पल साथ बिताने के बाद……
यह तुम मोहब्बत करती हो या नशा….

       

जब भी वो मुस्कुरा क्र बात करती है….

मुझे अपने दिल की फिकर लग जाती है……..

       

मुस्कराहट भी मुस्कराती है ……
जब वो आपके होंठो से होकर आती है…..

       

अपनी तन्हाई में खलल यूँ डालूँ सारी रात …
खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूँ “कौन” ?

       

इसे लबों से चूमते हैं… ज़ुबाँ से छेड़ते
हैं…बूँद-बूँद… धीरे धीरे… ये शराब हैं
जनाब… इसे हम यूँ ही नहीं पीते..

       

मैंने सारी रात पत्तियों को देखा बारिश के पानी को बूँद बूँद रिहा करते हुए…

किसी अपने को खोना भी शायद ऐसा ही कुछ लगता हैं…

       

तू अगर बेनक़ाब हो जाए …
जिंदगानी शराब हो जाए….

       

अभी आए, अभी बैठे, अभी दामन संभाला है
तुम्हारी जाऊं जाऊं ने हमारा दम निकाला है।

       
बादशाह नही ईकके है हम,,,कयाेंकि हारने की हमे आदत नही…
और,किसीके सामने जुकना हमारी फितरत मै नही…

       

दर्द बनाकर रख लो मुझे
सुना है दर्द बहुत वक्त तक साथ रहता है ।

       

मेरे पास गोपीयाँ तो बहुत है….पर मेरा मन मेरी राधा के सीवा कही लगता ही नही…!!

       

सबर कर बन्दे मुसीबत के दिन भी गुज़र जायेंगे…
हसी उड़ाने वालो के भी चेहरे उतर जायेंगे…

       

उन्हे सफेद रंग पसंद था इस लीये हमने ये रंग अपना लीया,
ये दुनीया वालो ने तो हमे खामखा सुलतान मीजाँ बना लीया..

       

बहुत शौक है न मुझे मार डालने का तुझे !!
एक काम करो, लगा के ज़हर होंठो पे, मेरी बाहों मे आ जाओ !!!!

       

आँधियों ने लाख बढ़ाया हौसला धूल का,
दो बूँद बारिश ने औकात बता दी !

       

खुद को खोने का पता नहीं चला,
किसी को पानेकी यूँ इन्तहा कर दी मैंने।

       

मेरा विरोध करना आसान है
पर मेरा विरोधी बनना संभव नही,
क्यूंकि
जब जब मैं बिखरा हूँ
दुगनी रफ़्तार से निखरा हूँ।।।

       

अगर इतनी नफरत है मूझसे तो कोई ऐसी दुआ कर
की………
तेरी दुआ भी पुरी हो जाए और मेरी जिंदगी भी…..

       

सुलह करलो अपनी किस्मत से,
कोई तो है जो बिकता नहीं रिश्वत से!!

     

रूक जाये मेरी धड़कन तो इसे ‘मौत’ ना समझना..कई बार ऐसा हुआ है तुझे याद करते करते!..

       

चलो मान लेता हु मुझे मोहब्बत करना नहीं आता
लेकिन आप ये बतावो की आप को दिल तोडना किस ने सिखाया..!!!

       

सिगरेट जलाए बिना दिन बीत जाता हैं मगर तुमसे बात किए बिना नहीं…
मेरी आदतें बिगाड़ते, तुम एक बुरी आदत बन गयी हो।

       

रात भर चलती रहती है उँगलियाँ मोबाइल पर…..
किताब सीने पे रखकर सोये हूए एक जमाना हो गया…!!

       

चिराग़ रोशनी नही देते…
हम उम्मीद बुझने नही देते…

       

“इंतज़ार है मुझे नफ़रत करने वाले कुछ नए
लोगो का…
पुराने नफ़रत करने वाले तो अब मुझे पसंद करने लगे है..

       

मेरी चाहत को मेरे हालत के तराजु में नां तोल,
मैंने वो जखम भी खाऐं हैं
जो मेरी किसमत में नहीं थे…

       

हमारे अल्फाज़ को ना करो इतना पसंद…
के हमारे शायराना अंदाज से आपको मोहब्बत हो जाये..!!

       

तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा ग़ालिब..
चाँद कहता रह गया, मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ….

       

तेरी आँखों का वोड़का…
तेरी मुस्कराहट का चखना..

       

मुझे एसी शराब बता ये दोस्त
नशा-ए-इश्क उतार पाऊ मै..

       

हम भटक कर जुनूँ की राहों में।।
अक़्ल से इन्तक़ाम लेते हैं।।

       

दूर अफ़क (क्षितिज-horizon) पे
कहीं कोई बिस्तर होगा शायद…
रोज़ शाम देखता हूँ…

ये थका हारा सूरज वहीं कहीं थककर
गिर जाता है….

       

मकाम ए वस्ल ( meeting place) तो अर्ज-ओ-समां ( earth & sky)के बीच में है,
मैं इस ज़मीं से निकलूं तू आसमां से निकल…

       

नींद से मेरा पुराना रिश्ता हैं…
मैं नींद से फांसले रखता हूँ…
नींद भी मेरे नज़दीक नहीं आती…

       

तेरे लबों पे चंद जमी हुई शिक़ायतें…
ख़ामोशी मुझको अक्सर सुनाया करती हैं…

       

फिर से ले जाये मेरी ज़ात से तू इश्क़ उधार
और मैं फिर से तेरे हुस्न पे बाक़ी हो जाऊँ…

       

उल्टी पड़ी है कश्तीयाँ रेत पर मेरी,
कोई ले गया है दिल से समंदर निकाल कर..!

       

वो उम्र भर तो साथ िनभा ना सके मेरा लेकिन याद बनकर उसने मुझे कभी तन्हा ना छोड़ा..

       

जिसको आज मुझमें हज़ारों गलतियां नज़र आती है….
कभी उसी ने कहाँ था “तुम जैसे भी हो, मेरे हों… ”

       

बच्चे उस गरीब के खा सके खाना त्योहारों में,
तभी तो भगवान भी बिक जाते है बाजारों में ।।

       

“क्यूँ दुनिया वाले मोहब्बत को खुदा का दर्ज़ा देते हैं,
हमने आजतक नहीं सुना कि खुदा ने बेवफाई की हो”..

       

तेरी बातों मैं प्यार के तेवर कम थे…
जब आँखों में झाँका तो हम ही हम थे…!!

       

कुछ लोग मेरी जींदगी मे खुशबु की तरह है …
महसुस तो होते है दिखाई नही देते….

       

हमे जब नींद आएगी तो इस कदर सोएंगे
के लोग रोएंगे हमे जगाने के लिए ||

       

एक ही चौखट पे सर झुके तो सुकून मिलता है ..
भटक जाते हैं वे लोग जिनके सैकडों खुदा होते हैं..

       

मुझे गम है तोह बस इतना गम है,
की…
तेरी दुनिया मेरे ख्वाबों से कम है..!!..

       

जल रही है सिगरेट खत्म
हो रही जिन्दगी अजीब
इत्तेफाक है ये धीरे धीरे ही सही..

       

हर कर्ज दोस्ती का अदा कौन करेगा,
हम ना रहे तो दोस्ती कौन करेगा !

       

रोज देते हो दिन रात मुझको,
इस क़दर ग़म कहाँ से लाते हो..!!!

       

मेरी ‘खामोशी’ का कोई मोल नही,
उसकी ‘ज़िद्द’ की कीमत ज्यादा है…!!

       

मौत शायद इसी को कहते है………
दिल अब किसी कि ख्वाहिश नहीं करता..!!

       

शराब को तब तक अन्दर जाने दो…
जब तक शराब बाहर ना आने लगे…

       

तेरे आने से पहले उदासी रहती है,
तेरे जाने के बाद उदासी छाती है…

इस बीचजो वक़्त गुज़रता है उसे मैं
ज़िन्दगी नाम देता हूँ…

       

खामोश मिजाजी तुम्हे जीने नहीं देगी
इस दौर में जीना है तो कोहराम मचा दो…..

       

गुलाम बनोगे तो कुत्ता समजकर लात मारेगी ये
दुनिया,
नवाब बनोगे तो शेर समजकर सलाम ठोकेगी ये
दुनिया….

       

अब क्या याद करने पर भी जुर्माना करोगे
वो भी चुका देंगे तो क्या बहाना करोगे ?

       

करीब आने की कोशिश तो मैं करूँ लेकिन;
हमारे बिच कोई फ़ासला दिखाई तो दे !!!

       

ग़म की दुकान खोल के बैठा हुआ था मैं;
आँसू निकल पड़े हैं ख़रीददार देख कर.!!

       

लोग इश्क से न जाने क्यों डरते हैं
हम तो मोहब्बत की ताक में रहते हैं…

       

लिखी कुछ शायरी ऐसे तेरे नाम से….
कि जिस ने तुम्हें देखा नहीं, वो भी तुम्हें बेमिसाल कहने लगे है…..

       

जब कभी टूट कर बिखरो तो बताना हमको;
हम तुम्हें रेत के जर्रों से भी चुन सकते हैं।

       

आया तो बार बार संदेशा अमीर का ..
.. मगर हो न सका सौदा जमीर का !!

       

अगर मैं भी मिजाज़ से पत्थर होता
तो खुदा होता या तेरा दिल होता…

       

खुबसूरत रिश्ता है मेरा और खुदा के बीच में,
ज्यादा मैं मांगता नहीं और कम वो देता नहीं..

       

इन हसरतों को इतना भी कैद में ना रख ए-जिंदगी,..
ये दिल भी थक चुका है, इनकी जमानत कराते कराते…..

       

ए इश्क…मुझको कुछ और जख्म चाहियें…!!!
अब मेरी शायरी में वो बात नहीं रही…!!

       

हार की परवाह करता तो,मे जीतना छोड देता,
लेकिन ‘जीत’ मेरी जीद हे ,ओर जीत का मे बादशाह…

       

वो चुपके से जरूर आएगी मिलने मुझसे….
हकीकत नही तो “सपने” मे ही सही…

       

कितनी ही खूबसूरत क्यों न हो तुम पर मैं जानता हूँ
असली निखार मेरी तारीफ से ही आता है…

       

वो मुझसे बोली…क्या तुम जी लोगे मेरे बिना!!!
मैने पूछा क्या तुम ऑक्सीजन हो…

       

बस तुम अपने होठों से, मेरे कानों मे उठने को कह देना …..
यकीन मानो हम जनाज़े पर होने के वावजुद,
तुम्हारा भरोसा नहीं तोङ़ेगें…!!

       

ये “शायरी” लिखना उनका काम नहीं,
जिनके “दिल” आँखों में बसा करते हैं..!!
“शायरी” तो वो सख्श लिखते है,
जो शराब से नहीं “कलम” से “नशा: करते हे..

       

वोह जब करीब से हंस कर गुजर गए
कुछ खास दोस्तों के भी चेहरे उतर गए…..

       

“वही है शाम वही खुशगवार मौसम फ़िर,
मैं कर रहा हूँ मेरी ख़्वाहिशों का मातम फ़िर।।।

       

यूँ तो एक ठिकाना मेरा भी हैं…
मगर तुम्हारे बिना मैं
लापता सा महसूस करता हु…

       

नजरों में दोस्तों की जो इतना खराब है,
उसका कसूर ये है कि वो कामयाब है।

       

कितनी शराबें चढ़ाईं है
तब जा कर तुम उतरी हो..

       

वो जो आँखों को सुकून देती थी….
कुछ रोज़ हुए हैं वो दिल को दर्द देती है…

       

बड़ी बरकत है तेरे इश्क़ में

जब से हुआ है,
कोई दूसरा दर्द ही नहीं होता।…..

       

ये इत्तेफ़ाक़ नहीं कि आज हम तनहा है ……….
नाकाम होने के लिए भी बड़ी मशक्कत कि है हमने ……

       

” काश तू मेरी आखो का आंसू बन जाए,
में रोना छोड़ दू तुझे खोने के डर से।”

       

उतनी बार तो उनकी सूरत भी नही देखी
जितनी बार उनके इंतज़ार में घड़ी देखी..

       

तुम मुझे अब याद नहीं आते…
तुम मुझे याद हो गये हो अब…

       

सुना था कभी किसी से,
ये भगवान की दुनिया है,
और मोहब्बत से चलती है…

करीब से जाना तो समझा,
ये स्वार्थ की दुनिया है,
और बस जरुरतों से चलती है…

       

जिंदगी जला दी हमने जैसे जलानी थी,
अब धुऐं पर तमाशा कैसा
राख पर बहस कैसी…

       

इस दुनिया में लाखों लोग रहते हैं;
कोई हँसता है तो कोई रोता है;
पर दुनिया में सुखी वही होता है;
जो शाम को दो पैग लगा कर सोता है।

       

जीत हासिल करनी हो तो काबिलियत बढाओ,
किस्मत की रोटी तो कुत्तेको भी नसीब होती है..

       

छोड़ दी सारी खाव्हिश जो तुझे पसंद ना थी ए दोस्त….
तेरी दोस्ती ना सही पर तेरी ख्वाहिश आज भी पूरी करते है..!!

       

मुकाम ऐ महोब्बत तूने समझा ही नहीं…
वरना जहाँ तक था तेरा साथ, वही तक थी ज़िंदगी मेरी..!!!!

       

मेरे अपने कहीं कम न हो जाएँ
इस डर से हमने मूसीबत में भी
किसी अपने को आजमाया नहीं ॥

       

सोचता हू छोड दू यै सिगरैट
पर सोचने के लीये भी एक चाहियै ….

       

मयखाने सजे थे, जाम का था दौर…
जाम में क्या था, ये किसने किया गौर…

जाम में “गम” था मेरे अरमानो का…
और सब कह रहे थे एक और एक और…

       

तुमको अपनी मिसाल दैता हुँ….
इश्क़ ज़िन्दा भी छोड़ देता हे..

       

चलो आज फिर थोडा मुस्कुराया जाये…
बिना माचिस के कुछ लोगो को जलाया जाये…!!

       

चल ख़्वाब छोड़ नींद से उठ..,,
जिंदगी फिर बुला रही है जीने के लिए.

       

कैसे रहेगी ज़िंदा ये तहजीब सोचिए….
स्कूलों से ज्यादा शहर में मयखाने हो गए…

       

रिश्ते चाहे कितने भी बुरे हो,लेकिन कभी भी उन्हें मत तोडना ,
क्युकी पानी चाहे कितना भी गदा ह़ो , पर प्यास नहीं तो आग़ तो बुजा ही देता है ।

       

अभी तो बस इश्क़ हुआ है,
मंजिल तो मयखाने में मिलेगी.

       

इतना कुछ हो रहा है इस दुनिया में….
क्या तुम मेरे नही हो सकते???

       

आदमी मजबूरियों में कभी हारता नहीं हैं…
इस शेहेर के टूटे हुए मकान में भी घर बसते हैं…

       

कोई अब जगाती हैं इन आँखों को रातों में…
हमने सोने का वक़्त अब बदल लिया हैं…

       

हर किसी को मैं खुश रख सकूं वो सलीका मुझे नहीं आता,
जो मैं नहीं हूँ वो दिखाने का तरीका मुझे नहीं आता.!

       

बेर कैसे होते है “शबरी” से पूछो,
राम जी से पूछोगे तो मीठा ही बोलेंगे !!”

       

अभी मसरूफ हूँ काफी कभी फुरसत में सोचूंगा,
कि तुझको याद रखने में, मैं क्या-क्या भूल जाता हूँ….

       

कुछ सपनों को पूरा करने निकले थे घर से,

किसको पता था कि घर जाना ही एक सपना बन जायेगा।

     

कोई मुझ से पूछ बैठा ‘बदलना’ किस को कहते हैं? सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ ? “मौसम” की या “अपनों” की..!!!!!

     

तेरे जल्वो ने यह कैसी शर्त रख दी,,
कि खुश्बु दैखने की शर्त रख दी..

     

आईना भला कब किसी को सच बता पाया है,

जब भी देखो दांया,
तो बायां नज़र आया है..!!

     

तेरी ख्वाहिश करली तो कौनसा गुनाह किया,
लोग तो इबादत में पूरी क़ायनातमांगतेहैं खुदा से ।.

     

हादसे से बड़ा हादसा ये हुआ.,
लोग ठहरे नहीं हादसा देखकर……..!!

     

“जवाब” तो था मेरे पास उन के हर सवाल का…
पर खामोश रहकर मैंने उनको “लाजवाब” बना दिया…

       

नया हू अभी धिरे धिरे सिख जाऊंगा..
पर किसीके सामने झुक कर अपनी पेहचान
नहि बनाऊंगा…..!

       

तू जीद है दिल की वरना इन आँखों ने और भी चहरे देखे हैं..

       

जुदाई हो अगर लम्बी तो अपने रूठ जाते हैं….
बहुत ज्यादा परखने से भी रिश्ते टूट जाते हैं…

       

रिश्ते गर बढ़ जाए हद से तो गम मिलते है…!
इसलिए आजकल हम हर शख्स से कम मिलते है…!!

       

किसका वास्ता देकर मैं रोकता उसे,
खुदा तक तो मेरा, बन चूका था वो….

       

तुम्हारी शर्तो से शहेनशाह बनने से बहेतेर हे
की अपनी शर्तो पे फ़क़ीर बन जाऊ..!!!

       

उसे छुना जुर्म है तो मेरी फ़ासी का इन्तेजाम करो,
मै आ रहा हु उसे सीने से लगा कर…….

       

तेरी यादों की उल्फ़त से सजी है महफिल मेरी …..
मैं पागल नही हुँ ..? जो तुझे भूल कर वीरान
हो जाऊ…

       

मेरा यही अंदाज़ इस ज़माने को खलता है…
की ये साला इतनी पीने के बाद भी, सीधा कैसे चलता है………!!

       

आज मेरे शहर में धुप खिली खिली सी है..
पता नहीं सूरज निकला है या घर से वो निकली है..

       

यादों की किम्मत वो क्या जाने,
जो ख़ुद यादों को मिटा दिया करते हैं,
यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो,
यादों के सहारे जिया करते हैं.

       

मोहब्बत जीत जाएगी अगर तुम मान जाओ तो..
मेरे दिल मैं तुम ही तुम हो अगर तुम जान जाओ तो..!!

       

मैंने अपनी शाम चिरागों से क्या सजा ली,
कुछ दोस्तों ने हवाओं से शर्त लगा ली..

       

एक सपना टूट कर बिखरा जमीन पे …
बाबजूद सन्नाटो के कोई आवाज़ नही हुई …

       

“उस पगली को क्या पता जिस मंदिर मे वो मेरी मौत की दुआ करती है,,,उस मंदिर मे हमने अपनी जान गिरवी रखी है उसे पाने के लिए ….!

       

तड़पती देखता हूँ जब कोई चीज, उठा लेता हूँ
अपना दिल समझकर….

       

शौक पूरे कर लो …
ए दोस्त
ज़िन्दगी तो खुद
ही पूरी हो जाएगी एक
दिन…!!!

       

कोई मुझ से पूछ बैठा ‘बदलना’ किस को कहते हैं?
सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ ?
“मौसम” की या “अपनों” की ??!!!

     

मैं कभी हारता नहीं
या तो जीतता हूँ, या सीखता हूँ”….

       

एक पल है बहुत खुद को समझने के लिए ।
और उस पल के लिए उमर गुजर जाती है ।

       

इरादा कत्ल का था तो, सर कलम कर देते तलवार से,
क्यों इश्क़ में ढाल के तुमने, हर सांस पे मौत लिख दी।

       

“एक हसरत थी की कभी वो भी हमे मनाये.!
पर ये कम्ब्खत दिल कभी उनसे रूठा ही नही .”

     

ज़िन्दगी मेरे कानों में अभी हौले से कह गई …..
उन रिश्तों को थामे रखना जिन के बिना गुज़ारा नहीं …

       

“सुना था दर्द का अहसास तो चाहने वालो को होता है……
लेकिन जब दर्द ही चाहने वाले दे तो एहसास कौन करेगा……….”

       

मेरे तो दर्द भी औरो के काम आते है,
मै रो पडु तो कई लोग मुस्कराते है!!

       

करीब आओगे तो शायद हमें समझ लोगे,
ये फासले तो ग़लतफ़हमियां बढ़ाते है।

       

“ कुत्ते भोंकते है अपने जींदा होने का एहसास
दिलाने के लिए,

मगऱ..

जंगल का सन्नाटा
शेर की मोजुदगी बंयाँ करता है ”

       

दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे,

जब बरसी ख़ुशियाँ …
न जाने भीड़ कहां से आई..

       

इतने चहरे थे उसके चहरे पर
आईना तंग आ के टूट गया.

       

एक बेटी का कहना…… :mrgreen: :mrgreen:
मुझे पापा से ज्यादा शाम अच्छी लगती हैं,
क्योंकि पापा तो सिर्फ खिलोने लाते हैं,
लेकिन शाम….
शाम तो पापा को लाती हैं….

       

मत सोना दोस्तों के कंधे पर सर रखकर,,
क्यूंकि जब ये बिछड़ते है, तो तकिये पर भी नींद नहीं आती..!!

       

सोचता हूँ कि अब तेरे दिल में उतर कर देखूं;
कौन है वहां, जो मुझको तेरे दिल में बसने नहीं देता!

       

बडा नाम है मेरा, मेरी गलीयों मे.,
बदनाम तो मै उनकी गलीयों मे हुं..”

       

बेटियां सब के मुक़द्दर में कहाँ होती हैं.
घर खुदा को जो पसंद आये वहां होती हैं..

       

कभी पिघलेंगे पत्थर भी मोहब्बत की तपिश पाकर
बस यही सोच कर हम पत्थर से दिल लगा बैठे..

       

इश्क का धंधा बड़ा ही गन्दा..
मुनाफे में “जेब” जले..
और घाटे में “दिल”

       

चंद फासला जरूर रखि‍ए हर रि‍श्‍ते के दरमियान…
कयोकि बदलने वाले अक्‍सर बेहद अजीज ही हुआ करते हैं…..!!

       

जुबां तो खोल, नज़र तो मिला, जवाब तो दे..
मै तुझपे कितनी बार लुटा हूँ मुझे हिसाब तो दे…

       

चुप रह कर,
जो करते थे,हम गुफ्तगू,

हमारा,
खामोश इश्क़,मशहूर अब भी हैं !!

       

“कोई दोस्त कभी पुराना नहीं होता,
कुछ दिन बात न करने से बेगाना नहीं होता,
दोस्ती में दुरी तो आती रहती हैं,
पर दुरी का मतलब भुलाना नहीं होता.”

       

लोग तो बे-वजह ही खरीदते हैं आईने ,
आंख बंद करके भी अपनी हकीकत जानी जा सकती है ।

       

तेरी यादों के लम्हे उन पुराने गानो की तरह .
जिनको कितना भी दौहराओ हर बार नये ही लगते है..

       

“अजीब नींद मेरे नसीब में लिखी है ,
पलकें बंद होती हैं तो दिल जाग जाता है ……!!

       

हम समझते कम और समझाते ज्यादा हैं …
इसलिए सुलझते कम और उलझते ज्यादा हैं ….

       

भूख से बड़ा ‘मजहब’ और रोटी से बड़ा ‘ईश्वर’ हो तो बताना……. ‘धर्म’ बदलना है।

       

मैं तो सीफॅ दील से लीखता हुं,
पर लोग न जाने क्युं..
दील पे ले लेते हैं !

     

जब हौसला बना लिया ऊँची उड़ान का…
फिर देखना फिज़ूल है कद आसमान का…!

       

कैसे बुरा कह दूँ तेरी बेवफाई को,
यही तो है जिसने मुझे मशहूर किया है..!!

       

मुझसे नफरत कर…
“बेशक कर “.!.
पर उतनी ही कर,
जितनी तुने मोहब्बत की थी..!!..

       

हर रिश्ते का नाम जरूरी नहीं होता मेरे दोस्त..
कुछ ”बेनाम” रिश्ते..रुकी जिंदगी को सांस देते है..!!

       

ज्यादा बोज लेकर चलनें
वाला अक्सर डुब ज़ाता है,

चाहे वो “सामान” का हो
या “अभीमान” का हो .

       

बड़ा अजीब सा जहर था,उसकि याद मे,
पूरी उम्र गुजर गई मरते मरते…!!

       

इश्क की बहुत सारी उधारियां है तुम पर.. ,!!!!!
चुकाने की बात करो तो कुछ किश्तें तय कर लें…??

       

पलके खुली सुबह तो ये जाना हमने,,,
मौत ने आज फिर हमें जिंदगी के हवाले कर दिया..

       

तेरा इंतजार करने वाले हजारों होंगे ,
लेकिन मुझे सिर्फ तेरा इंतजार होता है …..

       

यह ग़लत कहा तुमने….. कि मेरा पता नही हे,,
मुझे ढुँढने की हद तक कोई ढुँढता ही नही..

       

आलम ये है कि उपवास में खाने के लिए
चिप्स खरीदने जाता हूँ तो लोगों को लगता है
कि आज घर में दारु पीने का कुछ प्लान है !!

       

काँटों से कहाँ डर है फूलों से खौफ करिये
चुभन तो भूल जायेंगे खुशबू दिल से न जाएगी..

       

बस इतना ही फर्क है तेरी बेरुखी के बाद।,
कि तुने खंजर मारा और हमने शायरी नवाजी।..

       

कितना नादान है ये दिल,कैसे समझाऊ की जिसे तू खोना नही चाहता हैं वो तेरा होना नही चाहता….

       

खुद मे झांकने के लिए जिगर चाहिए , दोस्त..!!!
दूसरों की शिनाख्त मे तो हर शख्स माहिर है …!!!!

       

पिलाया रात काे ऐसे उसने नजरों के जाम,
सुबह हाेते ही साेचा फिर कब शाम हाेगी…!

       

अच्छा एक सिगरेटे पी के आता हूँ..
एक याद फसी है उसे धुए में उड़ा के आता हूँ…

     

हुस्न का क्या काम सच्ची मोहब्बत में ,,,
जब आँख ” मजनू ” हो ,, तो ” लैला ” हसीन
ही लगती है …!

       

भरी बरसात में उड़ के दिखा माहिर परिंदे…
सूखे मौसम में तो तिनके भी सफ़र कर लेते है..

       

बारुद जैसी है मेरी शक्शीयत,
जहा से गुजरता हु….
लोग जलना शुरु कर देते है……

       

इक उम्र गुजार दी हमने,
रिश्तों का मतलब समझने में..

लाेग मशरूफ हैं,
मतलब के रिश्ते बनाने में…!

       


फिर उसने मुस्कुरा के देखा मेरी तरफ़

फिरएकज़रा सीबातपरजीनापड़ामुझे।

     

तू बिन बताये मुझे ले चल कहीं…..

जहाँ तू मुस्कुराये मेरी मंजिल वहीं…!!

       

हकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता है ..
शिकायत करो तो उनको मजाक लगता है…
कितने सिद्दत से उन्हें याद करते है हम ………….
और एक वो है ….जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है………………

       

सुहाना मौसम ओर हवा मे नमी होगी
आशुंओ की बहती नदी होगी
मिलना तो हम तब भी चाहेगे आपसे
जब आपके पास वक्त और हमारे पास सासों कि कमी होगी…

       

प्यार का तोफा हर किसी को नहीँ मिलता,
ये वो फूल है जो हर बाग मे नही खिलता,
इस फुल को कभी टूटने मत देना,
क्योकि तुटा हुआँ फुल वापीस नहीँ खिलता.

       

​मोहब्बत की आजमाइश दे दे कर थक गया हूँ​ ​ऐ खुदा​;
किस्मत मेँ कोई ऐसा लिख दे, जो मौत तक वफा करे..

       

रिश्तेदारी भी टेलीफोन है आज
सिक्का डालो तो बात होती है…

       

मेरे टूटने की वजह मेरे जोहरी से पूछो..,
उस की ख्वाहिश थी कि मुझे थोडा और तराशा जाये..

     

“क्या खूब होता जो यादें भी रेत होतीं,
मुट्ठीसे गिरा देते पाँवों से उड़ा देते”

       

एक तुम भी ना कितनी जल्दी सो जाते हो…
लगता है इश्क को तुम्हारा पता देना पड़ेगा!!!

       

ना पीछे मुड़ के तुम देखो. ना आवाज़ दो मुझ को….
बड़ी मुश्किल से सीखा है …तुमको अलविदा कहना..

       

नींद भी मोहब्बत बन गयी है,
बेवफा रात भर नहीं आती ..

       

कितना अच्छा होता .. अगर हर दिन की समाप्ति पर… जिंदगी पूछती……
Save changes??
“Yes/No

       

तू बहते पानी सी है, हर शक्ल में ढल जाती है,,

मैं रेत सा हूँ… मुझसे कच्चे घर भी नहीं बनते.‼️

       

बात वफाओँ की होती तो कभी ना हारते हम..
खेल नसीबोँ का था भला उसे कैसे हराते.!!

     

न जाने किस के मुकद्दर में लिखे हो तुम मगर,
ये सच है की उमीदवार हम आज भी हैं..

     

अब हम इश्क के उस मुक़ाम पर आ चुके हैं
जहां दिल किसी और को चाहे भी तो गुनाह होता है..

     

हवस ने पक्के मकान, बना लिये हैं जिस्मों में.. ।

और सच्ची मुहब्बत किराये की झोपड़ी में, बीमार पड़ी है आज भी.. ।।

       

दम नहीं किसी में,जो मिटा सके हमारी हस्ती को,
जंग तलवारो को लगती है,नेक इरादो को नहीं!!

       

प्यार तो जिंदगी का एक अफसाना है,
इसका अपना ही एक तराना है,
सबको मालूम है कि मिलेंगे सिर्फ आंसू,
पर न जाने क्यों, दुनियां में हर कोई इसका दीवाना है.

       

यहाँ मेरा कोई अपना नहीं है..

चलो अच्छा है कुछ ख़तरा नहीं है !!

     

ज़रूरी तो नहीं के शायरी वो ही करे जो इश्क में हो
ज़िन्दगी भी कुछ ज़ख्म बेमिसाल दिया करती है….

     

जब से देखा है चाँद को तन्हा.,
तुम से भी कोई शिकायत ना रही.!

     

उम्रकैद की तरह होते हैं कुछ रिश्ते….
जहाँ जमानत देकर भी रिहाई मुमकिन नही….

     

हकीक़त थी,
ख्वाब था
या तुम थे,

जो भी था,
हम तो उसी में गुम थे…!!!”

     

और कब तक खेलेगा तू मुझसे मेरे खुदा………..
अब तो अपना खिलौना बदल ले!!
या में खुदा बदल दू।।।

     

ज़रा संभल कर लगाना डुबकी
प्यार के सागर में , ऐ दोस्त !
वो किस्मत वाले होते हैं
जिन्हें साहिल मिला करता हे….

     

” हमेशा हँसते रहिये,एक दिन ज़िंदगी भी
आपको परेशान करते करते थक जाएगी ।”

     

एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम और..
आज कई बार.. बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..

     

किस हद तक जाना है ये कौन जानता है,
किस मंजिल को पाना है ये कौन जानता है,
दोस्ती के दो पल जी भर के जी लो,
किस रोज़ बिछड जाना है ये कौन जानता है..

     

मत सोचना मेरी जान से जुदा है तू;
हकीकत में मेरे दिल का खुदा है तू।

     

कुछ और कश लगा ले ऐ ज़िन्दगी…

बुझ जाऊंगा किसी रोज़ सुलगते – सुलगते…

     

दर्द से जाने ये कैसा मेरा नाता है,,
इंतजार करू गर वक्त बदलने का,,
वक्त से पहले दर्द बदल जाता है…

     

इस दिल की तसल्ली के लिए बस इतना ही काफी है,
जो हवा तुमको छुती है मैं उससे ही साँस लेता हूँ।।

     

चिलम को पता है अंगारों से आशिकी का अंजाम,
दिल में धुआं और दामन में बस राख ही रह जाएगी।।

     

ज़िस्म से मेरे तडपता दिल कोई तो खींच लो​;​
मैं बगैर इसके भी जी लूँगा मुझे अब ​ये यकीन ​है…

     

ए नींद अब ले चल मुझे ख्वाबों की वादियों में,
कि कब से बैठा हुं मैं तैयार दीदार-ए-यार के लिये.

     

नरम नरम फूलों का रस निचोड़ लेती है..
पत्थर के दिल होते है तितलियों के सीने में..

     

क्या ज़रुरत थी दूर जाने की
पास रह कर ही तुम सता लेते…

     

मेरे दिल से खेल तो रहे हो Tum ,
पर, जरा सम्भल के pls ,
Ye Thoda टूटा हुआ है ;
कहीं Tumhe लग ना जाए .

     

बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो;
चार किताबें पढ़कर वो भी हमारे जैसे हो जाएंगे।

     

सांपो के मुक़द्दर में वो ज़हर कहाँ,
जो ईन्सान अदावत में उग़लता है….!!!!

     

घांव इतना गहरा है बयां क्या करे,
हम खुद निशाना बन गये अब वार क्या करे,
जान निकल गयी मगर खुली रही आंखें,
अब इससे ज्यादा उनका इंतजार क्या करे.

     

वो परिंदा था..खुले आसमां में उड़ता था..
इश्क हुआ..सुना अब जमीं पे रेंगता है…

     

शक है उनको रात में कहीं चूम ना ले हम….
गालों पे हाथ रख के सोयी होंठों को वैसे ही छोड़दिया ….

     

हक़ीकत से बहुत दूर है ख्वाहिश मेरी,
फिर भी ख्वाहिश है कि…
एक तेरा ख्वाब हक़ीकत हो जाए…

     

कोई इल्ज़ाम रह गया हैं तो, वो भी दे दो,
पहले भी बुरे थे हम, अब थोड़े और सही..

     

होसला उसमे भी न था यु मुझसे जुदा होने का,
वर्ना काजल उसकी आखो में यु ना फेला होता.

     

मैं खुद कभी बेचा करता था दर्दे दिल की दवा…

पर ए दोस्त…

“आज वक़्त मुझे अपनी ही दुकान पर ले आया…!!

     

मेरी जरुरत ओर ख्वाहिस दोनो तूम हो..
अगर रब की कभी महेर बानी हुई ..
तो कोई ऐक तो पुरी होगी…

     

सालो गुजर गए रोकर नहीं देखा
आँखों में नींद थी सोकर नहीं देखा
वो क्या जाने दर्द मोहोबत का
जिसने कभी किसी को खोकर नहीं देखा.

     

मुझे यकीन है मोहब्बत उसी को कहते हैं,
के ज़ख़्म ताज़ा रहे और निशान चला जाए..

     

वो भी आधी रात को निकलता है और मैं भी….
फिर क्यों उसे “चाँद” और मुझे “आवारा” कहते हैं लोग…

     

जानता हूँ खुद को…
इसलिए खुद से बहस नहीं करता…

     

मैं झुक गया तो वो सज़दा समझ बैठे,
मैं तो इन्सानियत निभा रहा था,
वो खुद को ख़ुदा समझ बैठे।

     

कोई बात तो है तुझमें ज़ुदा सी,
देखूँ जितना भी तुझे कम ही लगता है।

     

यूँ तो हर रंग का मौसम मुझ से वाकिफ है मगर
रात की तन्हाई मुझे कुछ अलग ही जानती है….

     

दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे;
जब कभी हम दोस्त हो जायें तो शर्मिंदा न हों।

     

दोस्तों—-
मजाक और पैसा काफी सोच समज
कर उडाना चाइए…

     

नींद और मौत में क्या फर्क है.?
किसी ने क्या खूबसूरत जवाब दिया है.
“नींद तो आधी मौत है”,
और
“मौत मुकम्मल नींद है”

     

गुज़र गया आज का दिन भी यूं ही बेवजह…
ना मुझे फुरसत मिली,
ना तुझे ख़्याल आया…!!!

     

तेरी आँखों की तौहीन नहीं तो और क्या हे यह…
मैंने देखा, तेरे चाहने वाले, कल शराब पी रहे थे..

     

“हर बात मानी है तेरी सर झुका कर ए जिंदगी,
हिसाब बराबर कर…. तू भी तो कुछ शर्तें मान मेरी”

     

कश्ती के मुसाफिर ने समँदर नहीँ देखा ।
आँखो को देखा पर दिल के अन्दर नहीँ देखा ।
पत्थर समझते है मुझे मेरे चाहने वाले ।
हम तो मोम थे किसी ने छुकर नहीँ देखा ।

     

“दील से लिखी बात दील को छू जाती है,
ये अक्सर अनकही बात कह जाती है,
कुछ लोग दोस्ती कॆ मायनॆ बदल दॆतॆ है,
और कुछ लोगो कि दोस्ती सॆ दुनिया बदल जाती है.”

     

सब कुछ झूठ है लेकिन फिर भी बिलकुल सच्चा लगता है.
जानबूझकर धोखा खाना कितना अच्छा लगता है.

     

शराबी अच्छे हैं दुनियादार लोगों से . . .
ग्लास जरूर तोड़ते हैं लेकिन दिल नहीं . . .

     

एक निवाले के लिए मैंने जिसे मार दिया,
वह परिन्दा भी कई दिन का भूखा निकला ।

     

वो कहते हैं न …
कि कुछ सोच लो बेहतर…
तो बेहतर होगा …
मैंने सोचा कि बेहतर है…
तुझे सोचूं ..
तुझसे बेहतर क्या होगा..!!

     

किसने माँगी थी इन आँखों से रिहाई
जाने किस ज़ुर्म की सज़ा है ये जुदाई …

     

मेरी यादों की कश्ती उस समुन्दर में तैरती है,
जहाँ पानी सिर्फ और सिर्फ मेरी पलकों का होता है..

     

ऐ बेखबर यु बेवजह बेरुखी ना किया कर,
कोई टूट के बिखर सा जाता है,
इक तेरे यु लहजा बदलने के मजाक से……….

     

मैं तो ज़हर भी पी लूँगा इक तेरी ख़ातिर,
फ़राज़
पर शर्त है, तू सामने बैठ मेरे,,, मेरी साँसों के टूटने तक……

     

मेरे जखमों पर मरहम नालगाओ, हमें मजा आता है.
हर चीख के साथ तेरा चेहरा जो नजर आता है..!

     

तेरे चले जाने के बाद
मोहब्बत नहीं की किसी से
छोटी सी जिन्दगी में
किस किस को आजमाते…

     

मत किया करिये दिन के उजालों की ख्वाहिशें ऐ हजूर,
ये आशिक़ों की बस्तियाँ हैं यहाँ सूरज से नहीं, दीदार से दिन निकलता हैं।

     

अंत में लीखी है दोनों की  बर्बादी,
आशीक़ हो या हो कोई आतंकवादी…

     

फिर नहीं बसते वो दिल जो एक बार टूट जाते हैं…!
कब्रे कितनी ही सवारो कोई ज़िंदा नहीं होते हे…!!

     

आज रब से मुलाकात की;
थोड़ी सी आपके बारे में बात की;
मैंने कहा क्या दोस्त है;
क्या किस्मत पाई है;
रब ने कहा संभाल के रखना;
मेरी पसंद है, जो तेरे हिस्से में आई है…..

     

हाथ की लकीरें पढने वाले ने तो….
मेरे होश ही उड़ा दिये..!
मेरा हाथ देख कर बोला…
“तुझे मौत नहीं किसी की चाहत मारेगी…

     

इज़ाज़त हो तो कुछ अर्ज़ करूँ ??
खेल चुके हो तो ” दिल” वापस कर दो…

     

तकदीर को जब बदलना है,बदल जायेगी…
फिलहाल लगा हुआ हुँ आदत बदलने में”!

     

जिस जिस को भी सुनाते है हम अपना अफसाना ए उल्फत।
हर शख्स अपनी आपबीती समझ कर रोने लगता है।।

     

हर बार मुकद्दर को को कुसूरवार कहना अच्छी बात नहीं ,
कभी कभी हम उन्हें मांग लेते है जो किसी और के होते है …….!!

     

निगाहों से भी चोट लगती है
जब हमें कोई देखकर भी अनदेखा कर देतें हैं !!

     

कितना नादान है ये दिल,
कैसे समझाऊँ की जिसे तू खोना नही चाहता,
वो तेरा होना नही चाहता……

     

सुना है दुआओं की क़ीमत नहीं होती
फिर भी कारोबार इसका खूब चलता है…

     

दुश्मनों से मुहब्बत होने लगी है मुझे,
जैसे-जैसे दोस्तों को आज़माता जा रहा हूँ मैं…

     

आइना देखा जब ,तो खुद को तसल्ली हुई…
ख़ुदग़र्ज़ी के ज़माने में भी कोई तो जानता है हमें।

     

मैंने बचपन में एक बार माँ से कहा, मां कचरेवाला आया है,
मां ने जवाब दिया, बेटा कचरे वाले तो हम हैं,वो तो सफ़ाई वाला है,

     

दिल से बाहर निकलने का रास्ता तक ना ढूंढ सकी वो,
दावा करती थी जो मेरी रग रग से वाकिफ होने का….

     

क्या बात है बड़े चुप चाप से बैठे हो,
कोई बात दिल पे लगी है या दिल लगा बैठे हो…

     

दिल से बाहर निकलने का रास्ता तक ना ढूंढ सकी वो,
दावा करती थी जो मेरी रग रग से वाकिफ होने का..

     

तुम मेरे रूठने पर इस तरह मनाती हो…
कभी तो ज़ी चाहता है बे-वजह तुमसे रूठ जाऊं…!!

     

मरने की लाखो वजह देती है दुनिया
पर जीने की वजह तो बस एक तू है ..

     

न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर …..

तेरे सामने आने से ज़्यादा तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है …!!!

     

कौन कहता है कि दिल सिर्फ लफ्जों से दुखाया जाता है;
तेरी खामोशी भी कभी कभी आँखें नम कर देती है…

     

रफतार मेरी जिंदगी की तब रूक जाती है…

जब सामने आकर नजर तेरी जुक जाती हे…

     

“लम्हे जुदाई को बेकरार करते हैं,
हालत मेरे मुझे लाचार करते हैं,
आँखे मेरी पढ़ लो कभी,
हम खुद कैसे कहे की आपसे प्यार करते हैं.”

     

थोड़ी बहुत मुहब्बत से काम नहीं चलता ऐ दोस्त,
ये वो मामला है जिसमें या सब कुछ या कुछ भी नहीं..!!

     

उनका ईश्क चाँद जैसा था !

पुरा हुआ……. तो घटने लगा…!!

     

अनकहे शब्दों के बोझ से थक जाता हूँ कभी…..
ना जाने खामोश रहना समझदारी है या मजबूरी..??..!!!

     

खुशी कहाँ हम तो गम चाहते है,
खुशी उसको दे दो,
जिसको हम चाहते है .

     

तेरी दोस्ती की आदत सी पड़ गयी है मुझे,
कुछ देर तेरे साथ चलना बाकी है।
शमसान मैं जलता छोड़ कर मत जाना,
वरना रूह कहेगी कि रुक जा,
अभी तेरे यार का दिल जलना बाकी है।

     

आपको मिस करना रोज़ की बात हो गई,
आपको याद करना आदत की बात हो गई,
आपसे दूर रहना किस्मत की बात हो गई,
मगर इतना समझ ऐ मेरे प्यारे अजीज की
आपको भूलना, अपने बस से बहार की बात हो गई,

     

प्यार को जब प्यार से प्यार हुवा
तो प्यारने प्यारको प्यारसे पुछाः
प्यार केसा होता है ?
तो प्यारने प्यारको प्यारसे कहाः
जो ईश प्यारीसी शायरी को पढ रहा है
प्यार उनके जैसा प्यारा होता है….

     

तुमसा कोई दूसरा जमीन पर हुआ.
तो रब से शिकायत होगी ….
एक तो झेला नहीं जाता
दूसरा आ गया तो क्या हालत होगी…

     

तनहाई ले जाती है जहाँ तक याद तुम्हारी,
वहीँ से शुरू होती है जिंदगी हमारी,
नहीं सोचा था हम चाहेंगे तुम्हें इस कदर,
पर अब तो बन गए हो तुम किसमत हमारी.

       

तड़प के देखो किसी की चाहत में, तो पता चलेगा, कि इंतजार क्या होता है,

यूं ही मिल जाए, कोई बिना चाहे, तो कैसे पता चलेगा, कि प्यार क्या होता है.

     

मुझे इस बात का गम नहीं कि बदल गया ज़माना,

मेरी जिंदगी तो सिर्फ तुम हो, कहीं तुम ना बदल जाना.

     

दिल टूटा तो, एक आवाज आई, चीर के देखा, तो कुछ चीज निकल आई !

सोचा क्या होगा, इस खाली दिल में , लहू से धो कर देखा, तो तेरी तस्वीर नज़र आई !!

     

” ज़िंदगी ने सब कुछ ले-दे कर इक यही बात सिखायी है…,
ख़ाली जेबों में अकसर हौसले खनकते हैं…”

     

वो लोग भी चलते है आजकल तेवर बदलकर ..

जिन्हे हमने ही सिखाया था चलना संभल कर…..!

       

क्या अजीब सबूत माँगा है उसने मेरी मोहब्बत का……
मुझे भूल जाओ तो मानू की तुम्हे मुझसे मोहब्बत है……..!!!!!!

       

“यादों में तेरी आहे भरता हैं कोई,
हर साँस के साथ तुझे याद करता हैं कोई,
मौत सच हैं एक दिन आनी हैं लेकिन,
तेरी याद में हर रोज़ मरता हैं कोई.”

       

कुछ ठोकरों के बाद समझदार हो गए,
अब दिल के मशवरों पर अमल नहीं करते..

       

भगवान से वरदान माँगा
कि दुश्मनों से
पीछा छुड़वा दो,
अचानक दोस्त
कम हो गए…

     

सोचता हूं क्या उसे नींद आती होगी..
या मेरी तरह सिर्फ अश्क बहाती होगी..
वो मेरी शक्ल मेरा नाम भुलाने वाली..
अपनी तस्वीर से क्या आंख मिलाती होगी…..

     

अब सज़ा दे ही चुके हो तो मेरा हाल ना पूछना,
गर मैं बेगुनाह निकला तो तुम्हे अफ़सोस बहुत होगा…

     

जीँदगी हो या शतरंज, मजा तभी है दोस्त,……
जब रानी मरते दम तक साथ हो…….

     

“दोनों आखों मे अश्क दिया करते हैं
हम अपनी नींद तेरे नाम किया करते है
जब भी पलक झपके तुम्हारी समझ लेना
हम तुम्हे याद किया करते हैं ”

     

“हम तो फना हो गए उनकी आँखे देखकर,

ग़ालिब ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे”

     

तू देख या न देख, तेरे न देखने का ग़म नहीं ।

पर तेरी ये न देखने की अदा, देखने से कम नहीं…

     

“मैं कभी नहीं देखता की क्या किया जा चुका है;

मैं हमेशा देखता हूँ कि क्या किया जाना बाकी है”

       

लोग वाकिफ हे मेरी आदतों से ..
रुतबा कम ही सही पर, लाजवाब रखते है……

     

मैं हूँ, दिल है, तन्हाई है
तुम भी होते, अच्छा होता..

     

खुबसुरती के तो हर कोई आशिक होते हैँ।
किसी को खुबसुरत बनाकर इश्क किया जाय तो क्या बात है.

     

“दुनिया में बहुत से लोग आईना देख कर डर जाते,
……….अगर……….
आईने में चेहरा नहीं चरित्र दिखाई देता…..!!

     

तन्हाई में भी कहते है लोग,
जरा महफ़िल में जिया करो.

पैमाना लेके बिठा देते है मैखाने में,
और कहते है जरा तुम कम पिया करो….

     

अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उंगलिया…
जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती…

     

सूरज ढला तो, कद से ऊँचे हो गए साये,
कभी पैरों से रौंदी थी, यही परछाइयां हमने…

     

ये मोहब्बत का बंधन भी कितना अजीब होता है
मिल जाये तो बातें लम्बी, और बिछड़ जाये तो यादें लम्बी….!!

     

तौहीन न करना कभी कह कर “कड़वा” शराब को…

किसी ग़मजदा से पूछियेगा इसमें कितनी मिठास है…

     

कोई ताल्लुक न जोड़ो मगर सामने तो रहो…..

तुम अपने गुरूर में खुश, और हम अपने सुरूर में खुश !!!!

     

रूठा हुआ है मुझसे इस बात पर ज़माना,
शामिल नहीं है मेरी फ़ितरत में सर झुकाना.

     

हाँ वो तुमने इक दवा बतलायी थी गम के लिए,
गम तो ज्यूँ का त्यूं रहा बस हम शराबी हो गए ….!

     

फर्क बस अपनी अपनीसोच का है….
वर्ना दोस्ती भी मोहब्बत से कम नहीं होती….!!

     

उदास दिल है मगर मिलता हूँ हर एक से हंस कर…
यही एक फन सीखा है बहुत कुछ खो देने के बाद…

     

हमारे होसलो की दाद दुनिया को आँधिया देंगी।
अभी इज्ज़त से हमारा नाम तूफान लेता है।

     

हम ने एक असूल पे सारी उम्र गुज़ारी है;
जिस को अपना जान लिया फिर उस को परखा नहीं..

     

वो कहते हैं हम उनकी झूठी तारीफ़ करते हैं
ऐ ख़ुदा एक दिन आईने को भी ज़ुबान दे दे..

     

मांग कर मैं न पियूं तो यह मेरी खुद्दारी है,
इसका मतलब यह तो नहीं है कि मुझे प्यास नहीं!”

     

आँख उठाकर भी न देखूँ, जिससे मेरा दिल न मिले;​​
जबरन सबसे हाथ मिलाना, मेरे बस की बात नहीं…

     

दो दिन का कर के इश्क़ ज़िन्दगी भर का ग़म दे दिया..
कमबख्त इतना सूद तो किसी मुनीम ने भी ना लिया…

     

अपने बस में कुछ नहीं, इतना कहना मान..
वक़्त बजाए डुगडुगी, नृत्य करे इन्सान !!

     

मेरी यादों से अगर बच निकलो तो वादा है मेरा तुम से ,

मैं खुद दुनिया से कह दूँगा कमी मेरी वफ़ा में थी …

     

मुझ से दुरीयां बना कर तो देखो,,

फिर पता चलेगा िकतना नज़दीक़ हुँ मै..

     

अंजाम कि परवा होती तो हम इश्क करना छोड देते…..
इश्क ज़िद करता है और ज़िद के हम पक्के है….!

     

कुछ लोग मुझे अपना कहा करते थे,
सच में वो लोग सिर्फ कहा करते थे।

     

मैं न अन्दर से समंदर हूँ न बाहर आसमान,

बस मुझे उतना समझ जितना नज़र आता हूँ मै ……

     

मै फिर से निकलूँगा तलाशने को मेरी जिन्दगी में खुशियाँ यारों……
दुआ करना इस बार किसी से मोह्हबत ना हो ..

     

मेरे पास ही था उनके ज़ख्मों का मरहम।
.
मगर . . . .
.
बड़े शहरों में कहाँ छोटी दुकान दिखाई देती है।

     

आज जा कर के उसने, सच में भुलाया है मुझे…
वरना ये हिचकियाँ , पानी से तो नहीं जाती थीं…!!

     

उम्र ए जवानी फिर न मुस्कुराई बचपन की तरह,,

मेने साइकिल भी खरीदी,
और खिलोने भी खरीद कर देख लिये..

     

ज़िन्दगी में अपना पन तो हर कोई दिखाता हे,,

पर…अपना हे कौन…यह वक़्त बताता हे…

     

“सफर में मुश्किलें आऐ, तो हिम्मत और बढ़ती है,
कोई अगर रास्ता रोके, तो जुर्रत और बढ़ती है,
अगर बिकने पे आ जाओ, तो घट जाते है दाम अक्सर
ना बिकने का इरादा हो तो, कीमत और बढ़ती है…

     

प्रभू को भी पसंद नहीं सख्ती बयान में…
इसी लिए हड्डी नहीं दी, जबाऩ में..|।।

     

अब कहा जरुरत है हाथों मे पत्थर उठाने की,
तोडने वाले तो जुबान से ही दिल तोड देते हैं..

     

मुकद्दर मे रात की नींद मुनासिब नहीं तो क्या हुआ,,

हम भी मुकद्दर को धोखा दे कर दिन मे सो जाते है.

     

इतनी वफादारी ना कर किसी से, यूँ मदहोश हो कर,
दुनिया वाले एक ख़ता (galti)के बदले, सारी वफाँए भुला देते हैं ….

     

पहले तो मोहब्बत का नशा था दोस्तों,,,,

दिल टूटा के नशे से ही मोहब्बत हो गयी।।

     

सुना है…!

मोहब्बत की तलाश मैं निकले हो ‘तुम…’
अरे ओ पागल…?
मोहब्बत खुद तलाश करती है जिसे बर्बाद
करना हो?

     

तुने तो रुला के रख दिया ए-जिन्दगी​;
जा कर पूछ मेरी माँ से कितने लाडले थे हम…

     

एक  लफ्ज़  है मोहब्बत
इसे कर के तो  देखो !
तुम   तड़प  ना  जाओ  तो  कहना !!

एक  लफ्ज़  है मुक़द्दर
इससे  लड़ कर  तो  देखो !
तुम  हार  न  जाओ  तो  कहना !!

एक  लफ्ज़  है वफ़ा
ज़माने  में  नहीं  मिलती !
कहीं  ढून्ढ  पाओ तो  कहना !!

एक  लफ्ज़  है आंसू
दिल  में  छुपा  कर तो  देखो !
तुम्हारी  आँखों  से  न  निकले  तो  कहना !!

एक  लफ्ज़  है जुदाई
इसे सह कर  तो देखो !
तुम  टूट  के  बिखर  ना जाओ  तो कहना !!

एक  लफ्ज़  है खुदा
उसे  पुकार  कर  तो  देखो !
सब  कुछ  पा  ना  लो  तो कहना !!!

     

हम भी मौजूद थे
तकदीर के दरवाजे पर,……

लोग दौलत पे गिरे,
हमने   “तुझे” मांग लिया…….

     

उसे बेवफ़ा जो बोलूं तो तोहीन है वफ़ा की…

वो वफ़ा निभा तो रही है ! कभी इधर कभी उधर…!!

     

फाँसी लगा ली गिरगिट ने खुदा से ये कहके…

दुनिया में रँग बदलने में इन्सान हमसे आगे हैं ….!!!

     

जिस कश्ती के मुक़द्दर में हो डूब जाना ___!
तूफानों से बच भी निकले…तो किनारे रूठ जाते हैं..

     

तुमने क्या सोचा कि तुम्हारे सिवा कोई नही मुझे चाहने वाला,

पागल छोङ कर तो देख, मौत तैयार खङी है मुझे अपने सीने लगाने के लिए…

       

काश कुछ दिनों के लिए,
दुनियाँ को छोड़ जाना मुमकिन होता !

सुना है लोग बहुत याद करते हैं,
दुनियाँ से चले जाने के बाद !!

     

यूँ तो ये गिलास कितना छोटा है
पर न जाने कितनी बोतलें पी गया होगा…

     

उस रात से हम ने सोना ही छोड़ दिया

‘यारो’

जिस रात उस ने कहा के सुबह आंख खुलते ही मुझे भूल जाना ।

     

गिलास में पड़ी,
शराब के दो घूंटो में ही थी ज़िन्दगी
और हम ज़िन्दगी को कहाँ कहाँ ढूंढते रहे…

     

आज सोचा ज़िन्दा हूँ , तो घूम लूँ …
मरने के बाद तो भटकना ही है ।।

     

सब पूछेंगे जब तक चार पैसे हैं,
फिर कोई नहीं पूछेगा के आप केसे है ??

     

कोई तो बात हैं तेरे दिल मे, जो इतनी गहरी हैं कि,
तेरी हँसी, तेरी आँखों तक नहीं पहुँचती..

     

तुम्ही ने सफ़र कराया था मोहब्बत की कश्ती में,
अब नज़र ना चुरा मुझे डूबता हुआ भी देख ….

     

कुछ कर गुजरने की चाह में, कहाँ कहाँ से गुजरे
अकेले ही नज़र आये हम, जहां जहां से गुजरे…

     

हजारो मयखाने शहर में तेरे …. आबाद हो गए,
इश्क़ में ना जाने कितने आशिक़ बर्बाद हो गए ।।

     

दुश्मन बनाने के लिए जरुरी नहीं के युद्ध ही लड़ा जाए….!
थोड़े से कामयाब हो जाओ, वो खैरात में मिलेंगे….!!

     

एक अजीब फ़िक्र खा रही है मुझे,,,
अपनी ही आवाज़ आ रही है मुझे….

     

सब समझते हैं बात मतलब की
कोई नहीं समझता मतलब बात का…

       

”इंतहा तो देखो बेवफाई कि ……..
एग्जाम मे निबंध आया बेवफाई पर…………

बस एक नाम ‘तेरा’ लिखा और हम टाँप कर गये …….”

     

मियाँ.. मरने के लिए थोड़ा सा, लेकिन जिंदा रहने के लिए बहुत सारा जहर पीना पड़ता है ।

     

हर बार सम्हाल लूँगा, गिरो तुम चाहो जितनी बार ।

बस इल्तजा एक ही है, कि मेरी नज़रों से ना गिरना ।

     

गिरना भी अच्छा है,
औकात का पता चलता है…

बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को,
तब अपनों का पता चलता है…

     

“नही है हमारा हाल,
कुछ तुम्हारे हाल से अलग,
बस फ़र्क है इतना,
कि तुम याद करते हो,
और हम भूल नही पाते.”

     

जी रहे है कपडे बदल बदल कर,
एक दिन एक कपडे में ले जायेंगे कंधे बदल बदल कर,

     

नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती है चोटें अक्सर,
रिश्ते निभाना बड़ा नाज़ुक सा हुनर होता है…!!!

     

दिल तो सीने में दफ़्न हुआ करता है,

शायद इसलिये….
लोग चेहरे पर फ़िदा हुआ करते हैं…!”

     

तनहा रहेने का भी अपना मज़ा है दोस्तों…….

यकीन होता है की कोई छोड़कर नहीं जायेगा,
और
उम्मीद नहीं होती किसी के लौट आने की…!!

     

मुझे तो इन्साफ़ चािहये…बस…

िदल मैरा हे….तो मािलक तुम कैसे!!!!

     

मुद्दत का सफर भी था,
ओर बर्षो कि चाहत भी थी,

रुकते तो बिखर जाते,
चलते तो दिल टूट जाते,

यु समझ लो की ……

लगी प्यास गज़ब कि थी,
ओर पानी मे भी ज़हर था,

पीते तो मर जाते,
ओर न पीते तो भी मर जाते….!!!!!!!

     

कितना शरीफ शख्श है पत्नी पे फ़िदा है..
उस पे कमाल ये कि अपनी पे फ़िदा है…!

     

न जाहिर हुई तुमसे, न बयान हुई हमसे।

बस
सुलझी हुई आँखो मेँ, उलझी रही मोहब्बत॥

     

“तासीर इतनी ही काफी है की वो मेरा दोस्त है,

क्या ख़ास है उसमे ऐसा कभी सोचा ही नही”

     

हर कोई हमको मिला पहने हुए नकाब,,

अब किसको कहें अच्छा, किसको कहें खराब..

     

खुद ही रोये और रो कर चुप हो गए…

ये सोचकर कि आज कोई अपना होता तो रोने ना देता…!!

     

हालात ने तोड़ दिया हमें कच्चे धागे की तरह…

वरना हमारे वादे भी कभी ज़ंजीर हुआ करते थे..

     

खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की….

तुम मुझे पहचानते हो, बस इतना ही काफी है..

     

ऐसा नहीं है कि अब तेरी जुस्तजू नहीं रही ,

बस टूट टूट कर बिखरने आरज़ू नहीं रही !

     

बहुत अजीब हैं तेरे बाद की,, ये बरसातें भी,

हम अक्सर बन्द कमरे मैं भीग जाते हैं…

     

यूँ तो मसले और मुद्दे बहुत हैं …….लिखने को मगर ,,,

कमबख्त़ इन कागज़ों को तेरा ही ,,,ज़िक्र अज़ीज़ है …

     

खूबिओं से नहीं होती मोहब्बत भी सदा,
कमियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है” !!

     

“शाम खाली है जाम खाली है,ज़िन्दगी यूँ गुज़रने वाली है,…”

     

“एक हम है की खुद नशे में है, एक तुम हो की खुद नशा तुम में है।”

     

“कुछ  नशा  तो  आपकी  बात  का  है,कुछ  नशा  तो  धीमी  बरसात  का  है,

हमें  आप  यूँ  ही शराबी  ना  कहिये, इस  दिल  पर  असर  तो   आप  से  मुलाकात  का  है”

     

“तुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है, खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है,

फिर आवाज़ लगायी जाती है आ जाओ दर्दे दिलवालों, यहाँ दर्द-ऐ-दिल की दावा पिलाई जाती है”

     

वो एक मौका तो दे हमें बात करने का…
वादा है उन्हें भी रुला देंगे उन्हीं के
सितम सुना-सुना कर¡¡

     

कुछ कहने से पहले , उसने सोचा भी नहीं ।

उसकी इस भुल ने , हाथों में जाम दे दिया।।

     

दर्द इतना था ज़िंदगी में कि धड़कन साथ देने से घबरा गयी!….

आंखें बंद थी किसी कि याद में ओर मौत धोखा खा गयी!….

     

हंसी आती ये सोचकर कि दर्द कोई
समझता नही……
मगर उन्हीं दर्दनाक अल्फ़ाज़ो पर दाद देते है लोग।

     

बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मोहब्बत की;
कोई किसी को टूट कर चाहता है;
और कोई किसी को चाह कर टूट जाता है।

     

अपने मेहमान को पलकों पे बिठा लेती है
गरीबी जानती है घर में बिछौने कम हैं…

     

उनका कहना था कि मेरी शायरी में अब वो दम नहीं,
उन्हें क्या पता हम शायरी में दम नहीं दिल लगाते हैं !!

     

ख्वाहिश तो थी मिलने की… पर कभी कोशिश नही की…
सोचा के जब खुदा माना है तुजको तो बिन देखे ही पूजेंगे..

     

तेरी बातें लम्बी है…
दलीलें हैं और बहाने हैं…

मेरी बात सिर्फ इतनी है…
मेरी ज़िन्दगी तुम हो…!!

     

एक सफ़र ऐसा भी होता है दोस्तों..
जिसमें पैर नहीं दिल थक जाता है…!

     

कीमत बता तू मुझे,सजा-ए-मोहब्बत से रिहाई की….
बहुत तकलीफ होती है तेरी यादों की सलाखों में…..

     

एक आइना…..और…एक मै,,

इस दुिनया में तेरे िदवाने दो..

     

क्या ऐसा नहीं हो सकता हम प्यार मांगे…
और तुम गले लगा के कहो, ‘और कुछ?

     

तूजे भुलने के लिये मैने सिगरेट
जलायी तो थि पर कम्बख्त घूऐ ने
तेरी तसवीर बना दी.

     

अपनी आदतों के अनुसार चलने में
इतनी गलतिया नहीं होतीं,
जितनी दुनिया का लिहाज रखकर चलने में होती हैं.

     

जब भी तूट कर बीखरता हुं मे
दुगुना हो कर नीखरता हु मे…

     

कहेनेको तो…….. आंसू अपने होते है,
पर …..देता कोई और है……

     

जिन्दगी जला दी हमने जब जलानी थी.
अब धुएँ पर तमाशा क्यों
और राख पर बहस कैसी!!!!

     

मेरे ख्वाबों का उसे कौन पता देता है।
नींद में आके वो अक्सर ही जगा देता है।

     

तेरा याद आ जाना”
हो सकती है. ” बात ज़रा सी ”
मगर, यह बात बहुत देर तक याद आती है…

     

काश के कभी तुम समझ जाओ,
मेरी मोहब्बत की इन्तेहा को,
हैरान रह जाओग तुम अपनी खुशकिस्मती पे !!!!

     

चलो उसका नही तो खुदा का अहसान लेते है,
वो मिन्नत से ना माना तो मन्नत से मांग लेते है….

     

तेरे दिल तक पहुँचे मेरे लिखे हर लब्ज,
बस इसी मकसद से मेरे हाथ कलम पकड़ते है….

     

”हमारी ताकत का अंदाजा हमारे जोर से नही…”

”दुश्मन के शोर से पता चलता है…”

     

ये सोच के नज़रें मिलाता ही नहीं…
कि आँखें कहीं ज़ज्बात का इज़हार न कर दें |।।

     

“दिल टूट गया है फिर भी कसक सीने में बाकी है
नशे मैं मदहोश हैं तो क्या पैमाने मैं जाम अब भी बाकी है.”

       

तारों से कह दो कि वो टूट गिरे मेरे हाथों में,
माँगता है यार मेरा मुझसे उन्हें अक्सर रातों में….!!!!

       

“हमें बरबाद करना है तोह हमसे प्यार करो ॥

नफरत करोगे तोह खुद बरबाद हो जाओगे!!!”

     

दिल भी बड़ा बत्तमिज़ है धडकता है सिने मे,ं

ऐसों के लिए जिन्हें धडकन सुनाई ही नहीं देती।

     

उसको रब से इतनी बार माँगा है
की अब हम सिर्फ हाथ उठाते है तो
सवाल फ़रिश्ते खुद ही लिख लेते है ।

     

“रातों को आवारगी की आदत तो
हम दोनों में थी.!!
अफ़सोस चाँद को ग्रहण
और मुझे इश्क हो गया.!!”

     

कुछ तो बात है उसकी फीतरत मै,

वरना उसे चाहने की खता हम बार-बार न करते…!!!

     

हम आते हैं महफ़िल में तो फ़कत एक वजह से,
यारों को रहे ख़बर कि अभी हम हैं वजूद में..”

     

मेरी ख्वाहिश तो थी की मुझे तुम हीं मिलते,

पर मेरे ख्वाहिशों की इतनी औकात कहाँ !!

     

तजुर्बा एक ही काफी था ,बयान करने के लिए ,

मैंने देखा ही नहीं इश्क़ दोबारा कर के..!!

     

कल रात उसको ख्वाब मे गले से लगाया था मैने…

आज दिन भर मेरे दोस्त मेरी महक का राज पूछते रहे…

     

साँसों का टूट जाना,तो आम सी बात है दोस्तों
जहाँ अपने बदल जाये,मौत तो उसे कहते है………….

     

मालूम है मुझे ये बहुत मुश्किल है….फिर भी हसरत है, तुम मेरी खामोशियों की वजह पूछोगे….

     

मेरे बारे में, अपनी सोच को थोड़ा बदलकर देख,
“मुझसे” भी बुरे हैं लोग, तू घर से निकलकर तो देख ।।

     

“ख़ूबसूरत था इस क़दर कि महसूस ना हुआ..!!
कैसे, कहाँ और कब मेरा बचपन चला गया”..!!

     

मेरी झोली में कुछ अल्फाज़ अपनी दुआ के दाल देना ए दोस्त…

क्या पता तेरे लब हीले और मेरी तकदीर सवर जाए ।

     

ईलाका कीसी का भी हो !!

पर घमाका हमारा ही होगा !!!

     

आदत हमारी “खराब” नही दोस्तो….
बस

जींदगी “नवाबी” जीते है…..!!!

     

हाथ में पैमाना , उँगलियों में सिगरेट फँसा है …
धुआँ धुआँ यादें हैं, हकीकत बस नशा है….

     

“भाई” का हक़ तो सिर्फ तुजे दिया हे,
बाकि दुनियावाले “बाप” के नाम से जानते हे …..||

     

टूटे हुए सपनो और छुटे हुए अपनों ने मार दिया……

वरना ख़ुशी खुद हमसे मुस्कुराना सिखने आया करती थी…..

     

तेरे गरजने से एक ख़ौफ़ सा पैदा होता हे िदल मे…एै बादल,,

तु…बे-आवाज़ बरस िलया कर मेरे आँसुओं की तरहा..

     

याद वोह नहीं जो अकेले आये।।

याद तो वोह हे जो महेफिल में आये…

और अकेला कर जाये।।।।

     

ज्यादा कुछ नहीं बदला

ज़िन्दगी में,बस बटुए थोड़े भारी
और
रिश्ते थोड़े हलके हो गए !

     

बड़ा मीठा नशा था उसकी याद का,
वक्त गुजरता गया और हम आदी होते गए..

     

वाह.! मौसम तेरी वफा पे आज दिल खुश हो गया..

याद-ए-यार मुझे आइ और तु बरस पड़ा.!!

     

“हुए बदनाम मगर फिर भी न सुधर पाए हम,
फिर वही शायरी, फिर वही इश्क, फिर वही तुम.”

       

इक तेरे बगैर ही ना
गुज़रेगी ये ज़िन्दगी मेरी…

बता मैं क्या करूँ
सारे ज़माने की ख़ुशी लेकर….

     

श़राब और मेरा…ब्रेकअप ..सैकड़ों बार हो चुका है!!

हर बार कमबख़्त….मुझे मना लेती हे…….

     

किस्मत की एक ही आदत है, कि वो पलटती है,

और जब पलटती है, तब पलटकर रख देती है….

     

नफरत भी हम हेशियत देखकर करते हे,
प्यार तो बहुत दूर की बात हे..!!

     

“चंद फासला जरूर रखि‍ए हर रि‍श्‍ते के दरमियान
क्योंकि बदलने वाले अक्‍सर बेहद अजीज ही हुआ करते हैं…..”

     

वाह.! मौसम तेरी वफा पे आज दिल खुश हो गया..

याद-ए-यार मुझे आइ और तु बरस पड़ा.!!

     

“एहसान” बड़ा कीमती अल्फ़ाज़ हैं।
जैसे ही इसका इस्तेमाल होता हैं दोस्ती में,
दोस्ती दोस्ती नहीं रहती।

     

लोग दिखते है जो होते ही नही फिर भी विश्वास मेरी फितरत है ।।

     

“सोने के जेवर और
हमारे तेवर लोगों को अक्सर बहोत महंगे पडते है।”

     

आज जा कर के उसने, सच में भुलाया है मुझे…

वरना ये हिचकियाँ , पानी से तो नहीं जाती थीं…!!

     

यूँ तो कई बार भीगे बारिश में,
मगर ख्यालों का आँगन सूखा ही रहा,
जब आँखों की दीवारें गीली हुई
उसकी यादो से,
तब ही जाना हम ने बारीश क्या होती है..

       

इन बादलों का मिजाज
मेरे महबूब से बहुत मिलता है ।
कभी टूट के बरसते हैं कभी बेरुखी से गुज़र जाते हैं ।

       


पुरानी होकर भी खास होते जा रही है,
मोहब्बत बेशरम है बेहिसाब होते जा रही है।

       

कमबख्त इस दिल को हारने की आदत हो गयी है!
वरना हमने जहाँ भी दिमाग लगाया फ़तेह ही पाई है!!

       

उसने रात के अँधेरे में मेरी हथेली पे नाजुक सी ऊँगली से लिखा……
” मुझे प्यार है तुझसे ”

जाने कैसी स्याही थी ??? वो लफ्ज मिटे भी नही… और आज तक दिखे भी नही ………

       

नतीजा बेवजह महफिल से उठवाने का क्या होगा,
न होंगे हम तो साकी तेरे मैखाने का क्या होगा।

       

कौन कहता है कि दिल सिर्फ लफ्जों से दुखाया जाता है..
तेरी खामोशी भी कभी कभी आँखें नम कर देती हैं…

       

“नीलाम कुछ इस कदर हुए,
बाज़ार-ए-वफ़ा में हम आज,,

बोली लगाने वाले भी वो ही थे,
जो कभी झोली फैला कर माँगा करते थे!!

       

सौदा कुछ ऐसा किया है तेरे ख़्वाबों ने
मेरी नींदों से….

या तो दोनों आते हैं …. या कोई नहीं आता !!!

     

तेरे प्यार का सिला हर हाल मे देंगे,
खुदा भी माँगे ये दिल तो टाल देंगे,
अगर दिल ने कहा तुम बेवफा हो,
तो इस दिल को भी सीने से निकाल देंगे.

     

मेरा हर लम्हा चुराया आपने,
आँखों को एक ख्वाब देखाया आपने,
हमें ज़िन्दगी दी किसी और ने,
पर प्यार में जीना सिखाया आपने.

       

लोग कहते हैं कि
मेरा दिल पत्थर का है..

लेकिन कुछ लोग
ऐसे भी थे..

जो इसे भी तोड़ गए..!!

       

मोहब्बत के बिना ज़िन्दगी फिजूल हैं, पर मोहब्बत के भी अपने उसूल हैं,
कहते हैं मिलती हैं मोहब्बत में बहुत उल्फ़ते, पर आप हो महबूब तो सब कबूल हैं.

     

अब मैं रोज़ इक ताज़ा शेऱ कहां तक लिखूं तेरे लिए,
तुझमें तो रोज़ ही एक नयी बात हुआ करती है…….

       

चांद को देखो कीतना मीलता है हम दोनोसे.

तुझ जैसा हसीन और मुझ जैसा तनहा.

       

पूछा था हाल उन्हॊने बड़ी मुद्दतों के बाद…
कुछ गिर गया है आँख में…कह कर हम रो पड़े…..

     

बहुत मुश्किल से करते हैं तेरी यादों का कारोबार…
मुनाफा कम ही सही मग़र गुज़ारा हो ही जाता है…

       

अभी कदम ही रखा था हमने मैखाने में

की आवाज़ आई….चला जा वापस ,

तुझे शराब की नहीं किसी के दीदार की ज़रूरत है….

       

कुछ पल के लिए ही अपनी बाहों मे सुला लो ‘जान’ अगर आँख खुली तो उठा देना अगर ना खुली तो दफ़ना देना……!!!

       

अब तो मुहब्ब्त भी सरकारी नौकरी जेसी लगती है ,
कम्भख्त हमारे जैसे गरीबो को तो मिलती ही नहीं..!!!

       

इस दुनिया में कुछ अच्छा रहने दो,
बच्चों को बस, बच्चा रह ने दो …

     

देना है ये दिल किसी को दान में यारो;
है कोई मस्त माल ध्यान में तो बताओ यारो…!!!

     

तुम्हारा लक्ष्य अगर बडा हो और उस पे हंसने वाले न हो तो समझना लक्ष्य अभी छोटा है …………

       

मोहब्बत मुक़द्दर है कोई ख्वाब नहीं,
ये वो अदा है जिसमे सब कामयाब नहीं..
जिन्हें पनाह मिली उन्हें उंगलियों पे गिन लो,
और जो बरबाद हुए उनका हिसाब नहीं..

     

काश दिलों के भी यूं इलेक्शन होते!
हम यूँ ही जीत लेते तुझे बूथ केप्चर करके!!

     

“रस्मों रिवाज की जो परवाह करते हैं,
प्यार में वो लोग गुनाह करते हैं
इश्क वो जुनून है जिसमें दीवाने
अपनी खुशी से खुद को तबाह करते हैं।”

     

“तकदीर ने जैसा चाहा ढल गये हम,
यूं तो संभल कर चले थे फिर भी फिसल गये हम,
अपना यकीन है कि दुनिया बदल गयी,
पर सबका खयाल है कि बदल गये हम.”

       

आप खुद ही अपनी अदाओं में ज़रा ग़ौर कीजिये…………….
……………………हम अर्ज़ करेंगे तो शिकायत होगी…………..

     

इस दुनिया में वफ़ा करने वालों की कमी नहीं है…
बस प्यार ही उससे हो जाता है जो बेवफा हो। …

       

वो एक रात जला तो उसे चिराग कह दिया !!!

हम बरसो से जल रहे हैं कोई तो खिताब दो……

       

मेरी तलाश में क्यों भटक रहे हो…
जरा सा दिल में झांक कर देख लो…

       

महसूस हो रहीँ है हवा मे उसकी खुशबु ,
लगता है मेरी याद मेँ वो सांसे ले रही है..!!

       

“लफ़्ज़ों में क्या लिखूं
उस “रब” की तारीफ मैं,,,
“जो मांगू तो ‘नवाज़’ देता है,,
न मांगूं तो ‘बे-हिसाब’ देता है..”

       

कभी-कभी इतना गुस्सा आता है कि मन करता है कि खुद
को ही मार डालूं, लेकिन ….फिर सोचता हूं कि इंडिया में अब शेर बचे ही कितने है…..!!!?

       

ये आरज़ू थी कि ऐसा भी कुछ हुआ होता;
मेरी कमी ने तुझे भी रुला दिया होता;

मैं लौट आता तेरे पास एक लम्हे में;
तेरे लबों ने मेरा नाम तो लिया होता!

     

सुना है दुआओं की क़ीमत नहीं होती
फिर भी कारोबार इसका खूब चलता है…..

       

कौन है इस जहाँ मे जिसे धोखा नहीं मिला,
शायद वही है ईमानदार जिसे मौक़ा नहीं मिला…

       

आइना देखा जब ,
तो खुद को तसल्ली हुई,
ख़ुदग़र्ज़ी के ज़माने में भी कोई तो जानता है हमें………

       

हम भारतीयों के पास हर समस्या का समाधान होता है …

बस समस्या दूसरे की होनी चाहिए …

       

“निगाहों से क़त्ल कर डालो, न हो तकलीफ
दोनों को,
तुम्हें खंजर उठाने की हमें गर्दन झुकाने
की”.

         

नमक तुम हाथ में लेकर, सितमगर सोचते क्या हो,,
हजारों जख्म है दिल पर, जहाँ चाहो छिड़क डालो.

     

सच बोलता हूँ तो टूट जाते हैं रिश्ते,
झूठ कहता हूँ तो खुद टूट जाता हूँ….

     

“चलो दूर चलते है इस इंटरनेट से,
घर के रिश्ते “इंतजार” कर रहे है..!!

     

चेहरे अजनबी हो भी जायें तो कोई बात नहीं लेकिन,
रवैये अजनबी हो जाये तो बड़ी तकलीफ देते हैं।

     

वो रोई तो जरूर होगी खाली कागज़ देखकर..

ज़िन्दगी कैसी बीत रही है पूछा था उसने ख़त में…

       

“खोने की दहशत और पाने की चाहत न होती,

तो ना ख़ुदा होता कोई और न इबादत होती .

       

जली रोटीयो पर बहूत शोर मचाया तूमने..
मां की जली ऊंगलीयो को देख लेते तो भूख
ही उड़ ग इ होती॥

       

हर रिश्ते मे मिलावट देखीं,
कच्चे रँगों क़ी सजावट देखी।
लेकिन सालों-साल देखा है माँ को,
उसके चेहरे पर ना थकावट देखीं,
ना ममता मे मिलावट देखी।

     

वक़्त छीन लेता है बहुत कुछ,
खैर मेरी तो सिर्फ मुसकराहट थी !!..

       

शाम भी खास है, वक़्त भी खास है,
तुझको भी एहसास है, तो मुझको भी एहसास है,
इससे जयादा मुझे और क्या चाहिए,
जब मैं तेरे पास, और तु मेरे पास है.

       

सिखा दिया दुनिया ने मुझे, अपनों पे भी शक करना,
मेरी फितरत में तो था, गैरों पे भरोसा करना ….!

       

मैं दो पैग लगाता हूँ तो सेट हो जाता हूँ..
और वो बोलती है कि तुम आज कुछ अपसेट लग रहे हो |

       

कहाँ तलाश करोगे तुम मुझ जैसा कोई…..

जो तुम्हारे सितम भी सहे…. और तुमसे मुहब्बत भी करे ॥

       

ज़माने तेरे सामने मेरी कोई हस्ती नहीं,………लेकिन………

कोई खरीद ले इतनी भी ये सस्ती नहीं…

       

“किसी को हमसफ़र नहीं मिला,
और किसी को रास्ता,
तमाम शहर ही किसी को ढूँढता मिला…….!!

       

‘सब्र’ और ‘सच्चाई’ एक ऐसी सवारी है…..
जो अपने सवार को कभी गिरने नहीं देती…..
ना किसी के कदमो में…और
ना किसी की नज़रों में..

     

कभी ऐसी भी बेरुखी देखी है तुमने
“”एय दिल “”
लोग आप से तुम , तुम से जान , और जान
से अनजान हो जाते हैं…

     

मैं लौट आया था जिस दीवार पे दस्तक दे कर।
सुना है अब वहां दरवाज़ा निकल आया है।

       

जैसा मूड़ हो वैसा मंजर होता है,
मौसम तो इंसान के अंदर होता है..

     

मौत सिर्फ नामसे बदनामहै, वरना तकलीफ़तो जिंदगीही ज्यादा देती है.और बीवी बी सिर्फ नामसे बदनामहै वरना तकलीफ़ में सिर्फ वहीसाथ देती है….

       

शायद इश्क उतर रहा है सिर से…..
मुझे अलफ़ाज नहीं मिलते शायरी के लिए….!!

       

खुदा ने मुझे वफादार दोस्तों से नवाज़ा है ….
.
.
याद मैं ना करूँ,
तो कोशिश वो भी नहीं करते ….. !!

       

हालात मेरे मुझसे ना मालूम कीजिये..
मुद्दत हुई मुझसे मेरा ही कोई वास्ता नहीं..

       

मैनें भी बदल दिये हैं ऊसूल ए जिन्दगी;

अब जो याद करेगा, सिर्फ़ वो ही याद रहेगा;

     

रोकने की कोशिश तो बहुत की पलकों ने,,,
पर इश्क मे पागल थे आंसू खुदखुशी करते रहे!!

     

गम-ए-जुदाई में तड़पते उनकी आँखों से पूछा.. कुछ कहना है?उसने झपक झपक के कहा नहीं अब तो बस बहना है !

     

तेरी चाहत तो मुक़द्दर है,
मिले न मिले;

राहत ज़रूर मिल जाती है,
तुझे अपना सोच कर…

     

मेरी फितरत में नहीं अपना गम बयां करना…

अगर तेरे वजूद का हिस्सा हूँ…तो महसूस कर…

       

जब मुझे यकीन है के खुदा मेरे साथ है।
तो इस से कोई फर्क नहीं पड़ता के कौन कौन मेरे खिलाफ है।।”

       

तू देख या न देख, तेरे देखने का ग़म नहीं ।

पर तेरी ये न देखने की अदा, देखने से कम नहीं.

       

धीरे धीरे
प्यार का दर्द कम हुआ !
तेरे जाने का भी न गम हुआ !
जब पुछते है लौग मेरी प्यार की दासता !
हम कह देते है एक अफसाना था जो खत्म हुआ !

       

अजीब नींद मेरे नसीब में लिखी है ,
पलकें बंद होती हैं तो दिल जाग जाता है !!

       

मैं “किसी से” बेहतर करुं
क्या फर्क पड़ता है!
मै “किसी का” बेहतर करूं
बहुत फर्क पड़ता है!

       

“अधूरे मिलन की आस हैं जिंदगी,
सुख – दुःख का एहसास हैं जिंदगी,
फुरसत मिले तो ख्वाबो में आया करो,
आप के बिना बड़ी उदास हैं जिंदगी.”

     

में बहता पानी हु मेरा रास्ता
बदल सकते हो मेरी मंजिल नहीं

       

आज फिर तन्हा रात में इंतज़ार है उस शख्स का,
जो कहा करता था तुमसे बात न करूँ तो नींदनहीं आती…

       

वो कहते हैं सोच लेना था मुहब्बत करने से पहले।
अब उनको कौन समझाए सोच कर तो साजिश
की जाती हैं मुहब्बत नहीं।

     

हर फूल को रात की रानी नही कहते,
हर किसी से दिल की कहानी नही कहते.
मेरी आँखों की नमी से समझ लेना,
हर बात को हम जुबानी नही कहते.

     

टूट कर ना चाहना किसी को,

ये ‘जान’ ‘जान’ कहने वाले ही ‘जान’ लेते हेँ…

       

मैं तो इसलिए चुप हूँ
कि तमाशा ना बन जाये…….!
और तुम ये समझ बैठे कि..
मुझे तुमसे गिला कुछ नहीं…….!

       

परखना मत, परखने में कोई अपना नहीं रहता
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता

       

अजब पहेलियां हैं हाथों की लकीरों में…
सफर ही सफर लिखा है हमसफर कोई नहीं…

       

एक सफ़र ऐसा भी किआ हमने दोस्तों,
जिस में पावँ नहीं दिल थक गया !!!

       

हर बार सम्हाल लूँगा, गिरो तुम चाहो जितनी बार ।

बस इल्तजा एक ही है, कि मेरी नज़रों से ना गिरना ।

       

सफर में मुश्किलें आऐ,
तो हिम्मत और बढ़ती है।

कोई अगर रास्ता रोके,
तो जुर्रत और बढ़ती है।

अगर बिकने पे आ जाओ,
तो घट जाते है दाम अक्सर;

ना बिकने का इरादा हो तो,
कीमत और बढ़ती है।

       

तन्हाईयाँ कुछ इस तरह से डसने लगी मुझे,
मैं आज अपने पैरों की आहट से डर गया।।।

     

“तूने फैसले ही फ़ासले बढ़ानेवाले किये है,
वरना कुछ ना था तुझसे ज़्यादा करीब मेरे………!!!

       

मोहब्बत की आजमाइश दे दे कर थक गया हूँ​ ​ऐ खुदा​;
किस्मत मेँ कोई ऐसा लिख दे, जो मौत तक वफा करे..

       

ए रात मेरी तनहाई देख कर,,
मुझ पर मत हंस इतना वरना,

जिस दिन मेरा यार मेरे साथ होगा..
तू पल में गुज़र जायेगी…..!!

       

हर रात को तुम इतना याद आते हो के हम भूल गए हैं,
के ये रातें ख्वाबों के लिए होती हैं, या तुम्हारी यादों के लिए!!!!!

       

दील भी आज मुझे ये कह कर डरा रहा है,
करो याद उसे वरना मै धड़कना छोड़ दूँगा…!!!

       

आपकी दोस्ती से हम मशहूर हुए,
आप के संग हँसने लगे तो आँसू दूर हुए,
बस आप जैसे दोस्त की बदौलत,
आज हम काँच से कोहिनूर हुए…

     

जब गिला शिकवा अपनों से हो तो ख़ामोशी भली…,,,
अब हर बात पर जंग हो जरूरी तो नहीं,,,,,

       

हसीन आँखों को पढ़ने का अभी तक शौक है मुझको,
.
मुहब्बत में उजड़ कर भी मेरी ये आदत नहीं बदली…

       

“ऐ मौत उन्हें भुलाए जमाने गुजर गए,
आ जा कि जहर खाए जमाने गुजर गए…
ओ जाने वाले ! आ कि तेरे इंतजार में
रास्ते को घर बनाए जमाने गुजर गए…

       

“उस दिन भि काहा था और
आज फिर सुन ले, सिरफ उमर ही छोटी है.
लेकिन, सलाम तो सारी दुनिया
ठोकती है….!!

       

प्यार में कोई तो दिल तोड़ देता है;
दोस्ती मेँ कोई तो भरोसा तोड़ देता है;
जिंदगी जीना तो कोई गुलाब से सीखे;
जो खुद टूट कर दो दिलों को जोड़ देता है…..

       

तेरी आँखों के इशारे मुझे एग्जिट पोल के नतीजों से लगते हैं ।
अब फ़ाइनल बता भी दे, तेरे दिल पर मेरी सरकार, कब से राज करेगी ।

       

मत किया कीजे दिन के उजालों की ख्वाहिशें
दोस्त…
ये आशिक़ों की बस्तियाँ हैं यहाँ सूरज से नहीं
दीदार से दिन निकलता है…..

       

रौशनी के लिए दिया जलता हैं ,
शमा के लिए परवाना जलता हैं,
कोई दोस्त न हो तो दिल जलता हैं,
और दोस्त आप जैसा हो जो ज़माना जलता हैं.

       

अब भी चले आते हैं, ख्यालों में वो,

रोज़ लगती है हाज़री,

उस ग़ैर हाज़िर की !!!!

     

“तहज़ीब में भी उसकी क्या ख़ूब अदा थी,,नमक भी अदा किया तो ज़ख़्मों पर छिड़क कर.!!!!!

     

हम सिर्फ इक तेरे दीदार की खातिर आते है गली में तेरी,

वरना हमारे लिए पूरा शहर पडा है, आवारगी करने को………

       

विश्वास-एक छोटा शब्द है,
पढ़ो तो सेकंड लगेगा,
सोचे तो मिन्ट लगेगा,
समझे तो दिन लगेगा,
और
साबित करने में पुरी जिंदगी लग सकती है.

       

मोहब्बत भी उस मोड़ पे पहुँच चुकी है कि

अब उसको प्यार से भी मैसेज करो, तो वो पूछती है,”कितनी पी है?”

     

”दोनों ही भागीदार हैं बराबर इस जुर्म मैं…”
”मैं मुस्कराया तब था जब नजर तुमने मिलाई
थी…”

       

अब जब जलेबी की तरह उलझ ही गयी है जिंदगी……
तो क्यों ना चाशनी में डूब के मज़ा ले लिया जाये।!!!!

       

आज भी कितना नादाँ हे दिल समझता ही नही…..
बरसो बाद भी उन्हें देखा तो दुवाए मांग
बेठा…..!!!!

       

मेरी दोस्ती के जादू से
तुम अभी वाकिफ नहीं हो
हम जीना सिखा देते है उसे भी
जिसने मरने के ठानी हो …

       

जब भी वो उदास हो उसे
मेरी कहानी सुना देना ,
मेरे हालात पर हंसना उसकी पुरानी आदत
है .

       

हम कुछ इस तरह बिगड़े हुए खिलाडी है की..
अगर सामने वाले के पास तीन AAA
भी हो तो भी show उस्सी से करवाते है.

       

हमारा हक तो नही है फिर भी ये तुमसे कहतेहै …..
हमारी जिँदगी ले लो मगर उदास मतरहा करोँे………

       

दूर जाके भी सकूं न मिला ….
पास रहते थे तो कहते थे तुम परेशान करते हो।

       

ना पीने का शौक था, ना पिलाने का शौक था,
हमे तो सिर्फ नझर मिलाने का शौक था,
पर क्या करे यारो, हम नझर ही उनसे मिला बैठे,
जिन्हे; सिर्फ; नझरो से पिलाने का शौक था!

     

मेरे तो दर्द भी औरो के काम आते है…..

मै रो पङुं तो कई लोग मुस्कराते है !!!

       

कभी नही पड़ सकता यारो मैखाने को ताला..
एक दो चार नही हें सारा शहर हें पिने वाला …….

       

काश ! बचपन में तुझे मांग लेते,
हर चीज़ मिल जाती थी,
दो आँसू बहाने से…

       

मैंने ज़िन्दगी से कुछ नहीं माँगा “तेरे सिवा”….
और ज़िन्दगी ने मुझे सब कुछ दिया “तेरे
सिवा”…..

       

दिल को आता है जब भी ख़याल उनका,
तस्वीर से पूछते हैं फिर हाल उनका.

वो कभी हमसे पुछा करते थे जुदाई क्या है,
आज समझ आया है सवाल उनका…

       

चलतें तो हैं वो साथ पर अंदाज देखिए..
जैसे की इश्क करके वो एहसान कर रहें है..

       

मैं अगर चाहु भी तो शायद ना लिख सकूं उन लफ़्ज़ों को

जिन्हे पढ़ कर तुम समझ सको की मुझे तुम से कितनी मोहब्बत है!!!!!

       

माना कि तेरे शहर में ग़रीब कम होंगे ,,
अगर बिकी तेरी दोस्ती तो पहले ख़रीददार हम होंगे ….

तुझे ख़बर न होगी तेरी क़ीमत पर ,,
पर तुझे पाकर सबसे अमीर होंगे……….!!

         

मुस्कुराना तो मेरी सक्शियत का हिस्सा है दोस्तो….

तुम मुझे खुश समझ कर दुवाओं में भूल मत जाना ….

       

तड़प के देखो किसी की चाहत में,
तो पता चलेगा, कि इंतजार क्या होता है,
यूं ही मिल जाए, कोई बिना चाहे,
तो कैसे पता चलेगा, कि प्यार क्या होता है.

       

तकदीर को जब बदलना है,बदल जायेगी…
फिलहाल लगा हुआ हुँ आदत बदलने में”!

       

“फ़ोन के रिश्ते भी अजीब होते हैं,
बैलेंस रखकर भी लोग गरीब होते हैं,
खुद तो मैसेज करते नहीं, मुफ्त के मैसेज पढ़ने के शौक़ीन होते हैं”

       

लगभग सभी व्यक्ति कठिनाई को झेल सकते हैं. पर अगर आपको उनका चरित्र जानना हो. तो उन्हें शक्ति दे दीजिये.

       

जाते हुए उसने सिर्फ इतना कहा था मुझसे

…..ओ पागल …

अपनी ज़िंदगी जी लेना, वैसे प्यार अच्छा करते हो..

       

लोग कहते है की दुनिया की सबसे सख्त सजा है इंतज़ार,
पर ये जिंदा रहने का एक बहाना भी तो है….

       

हम जा रहे हैं वहां जहाँ दिल की हो क़दर ,
बेठे रहो तुम अपनी अदायें लिये हुए ……..!!

       

अंजाम कि परवा होती तो हम इश्क करना छोड
देते…..
इश्क ज़िद करता है और ज़िद के हम पक्के
है….!

     

फिर उसने मुस्कुरा के देखा मेरी तरफ़ !

फिर एक ज़रा सी बात पर जीना पड़ा मुझे ।





ऐसी तकदीर न पाई थी कि तुमको पा सकता…
ऐसी याद्दाश्त न मिली थी कि तुमको भुला सकता..

     

कोई वादा ना कर, कोई ईरादा ना कर!
ख्वाईशो मे खुद को आधा ना कर!
ये देगी उतना ही, जितना लिख दिया खुदा ने!
इस तकदीर से उम्मीद ज़्यादा ना कर!

       

“नही है हमारा हाल,
कुछ तुम्हारे हाल से अलग,
बस फ़र्क है इतना,
कि तुम याद करते हो,
और हम भूल नही पाते.”

     

पहाड़ चढ़ने का एक उसूल है….झुक के चलो , दौड़ो मत …..

ज़िंदगी भी बस…… इतना ही मांगती है………

     

पहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिन …
बस इक औलाद की तकलीफ़ से माँ टूट जाती है

       

लोग पूछते हैं.. कौन है वो जो तेरी ये हालत कर गया,
मैं मुस्कुरा के कहता हूँ.. उसका नाम हर किसी के लब पे अच्छा नहीं लगता !!!!

       

अज़ब माहौल है हमारे मुल्क का…
मज़हब थोपा जाता है, इश्क रोका जाता है….!!

       

चलता रहूँगा मै पथ पर, चलने में माहिर बन जाउंगा,
या तो मंज़िल मिल जायेगी, या मुसाफिर बन जाउंगा !

       

बस रोशन करना जमानें को है मेरा मकसद यारों..
वो मुझ आफताब से ले या मेरे माहताब से ले…!!!

       

यूं न पढ़िए कहीं कहीं से हमें,
हम इंसान हैं, किताब नही.

       

आपनी जिंदगी मे एसी रानी नही आई,
जो इस बादशाह को अपना गुलाम बना सके…

       

ना जाने कौन मेरे हक में दुआ पढ़ता है
डूबता भी हु तो समन्दर उछाल देता है…

       

कैसी गुज़र रही है, सभी पूछते हैं,
कैसे गुजारता हूँ, कोई पूछता नहीं !!

       

ज़िन्दगी देके भी नहीं चुकते
ज़िन्दगी के जो क़र्ज़ देने हों…!!!

       

वजह नफरतों की तलाशी जाती हैं,
मोहब्बतें तो बिन वजह ही हो जाया करती हैं…!

       

गिरना ही था जो आपको.. तो सौ मक़ाम थे.,
ये क्या किया.. कि निगाहों से गिर गए…….

       

एहसास-ए-मुहब्बत के लिए… बस इतना ही काफी है,
तेरे बगैर भी हम,. तेरे ही रहते हैं…!!!!

       

समझदार बनने की कोशिश में शरारत
भी खो बैठे
अब इस समझदारी में सबको साजिश नजर
आती है…

       

निकलते है तेरे आशिया के आगे से,सोचते है की तेरा दीदार हो जायेगा,
खिड़की से तेरी सूरत न सही तेरा साया तो नजर आएगा…

       

“देर रत जब किसी की याद सताए,
ठंडी हवा जब जुल्फों को सहलाये.
कर लो आंखे बंद और सो जाओ क्या पता,
जिसका है ख्याल वो खवाबों में आ जाये.”

       

वादो से बंधी जंजीर थी जो तोड दी मैँने,
अब से जल्दी सोया करेँगेँ, मोहब्बत छोड दी मैँने..

       

उसने पूछा सबसे ज्यादा क्या पसंद है तुम्हे

मैं बहुत देर तक देखता रहा उसे
बस ये सोचकर कि
खुद जवाब होकर उसने सवाल क्यूँ किया…!!

       

दर्द दे कर इश्क़ ने हमे रुला दिया,
जिस पर मरते थे उसने ही हमे भुला दिया,
हम तो उनकी यादों में ही जी लेते थे,
मगर उन्होने तो यादों में ही ज़हेर मिला दिया.

       

कीसीका दिल दुखा कर जब भी दो पैसे
कमाता हु,
मुझे खुद रोटीओ से खुन की बू आने लगती है.

     

दिल-दिल से मिले या न मिले हाथ मिलाओ..
हमको ये सलीक़ा भी बड़ी देर से आया…

     

जिंदगी एक सजासी हो गई है, गम के सागर मे कुछ इस कदर खो गयी है,

तुम आजाओ वापिस ये गुजारिश है मेरी, शायद मुझे तुम्हारी आदत सी हो गई है ।

       

“तुम आए ज़िंदगी मे कहानी बन कर,
तुम आए ज़िंदगी मे रात की चाँदनी बन कर,
बसा लेते है जिन्हे हम आँखो मे,
वो अक्सर निकल जाते है आँखो से पानी बन कर”

       

लम्हा-लम्हा बनता जीवन, इस जीवन में कुछ लम्हे हैं!
इन लम्हों में से कुछ लम्हे, तेरे मेरे संग गुज़रे हैं!!!!

       

लाख चाहूँ तो भी ये जान निकलती नहीं है
वो लौट के आने का वादा जो कर गए ह…

       

हर दुआ मे शामिल तेरा प्यार है..
बिन तेरे लम्हा भी दुशवार है..
धड्कनों को तुझसे ही दरकार है..
तुझसे हैं राहतें.. तुझसे है चाहतें..

     

सुबह का हर पल ज़िंदगी दे आपको
दिन का हर लम्हा खुशी दे आपको
जहा गम की हवा छू कर भी न गुज़रे
खुदा वो जन्नत से ज़मीन दे आपको

       

आज कोई नया ज़ख्म नहीं दिया उसने ।
पता करो यारो वो खैरयत से तो है। !!!

       

लोग पूछते हैं हमसे कि तुम अपने प्यार का इज़हार क्यों नहीं करते;
तो हमने कहा जो लफ़्ज़ों में बयां हो जाए हम उनसे प्यार उतना नहीं करते…

       

मैं कुछ लम्हा और तेरे साथ चाहता था;
आँखों में जो जम गयी वो बरसात चाहता था;
सुना हैं मुझे बहुत चाहती है वो मगर;
मैं उसकी जुबां से एक बार इज़हार चाहता था।

     

सपनो से दिल लगाने की आदत नहीं रही, हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही,

ये सोच के की कोई मनाने नहीं आएगा, हमें रूठ जाने की आदत नहीं रही |

       

मेरे दोस्तों ने इकट्ठा किया मेरे ही कत्ल का सामान,
मैंने उनसे कहा, यारो तुम्हारी नफरत ही काफी थी मुझे मारने के लिए……

     

हमें रोता देखकर वो ये कह के चल दिए कि,
रोता तो हर कोई है क्या हम सब के हो जाएँ…

     

सुन कर ग़ज़ल मेरी, वो अंदाज़ बदल कर बोले,
कोई छीनो कलम इससे, ये तो जान ले रहा है…….!!

       

हम इतने खूबसुरत तो नही है मगर हाँ…!!
जिसे आँख भर के देख ले उसे उलझन मेँ डाल देते हॆ

     

उसकी हसरत को मेरे दिल में लिखने वाले !
काश उसे भी मेरे नसीब में लिखा होता !!

     

“मेरे इश्क में दर्द नहीं था पर दिल मेरा बे दर्द नहीं था, होती थी मेरी आँखों से नीर की बरसात, पर उनके लिए आंसू और पानी में फर्क नहीं था ”

     

चप्पल घिस गइ चलते चलते पाँव मे पड़ गये छाले
कितना मुझे आजमायेगी मँजिल ,,,अब तो पास आले

       

आपकी पलकों पर रह जाये कोई!
आपकी सांसो पर नाम लिख जाये कोई!
चलो वादा रहा भूल जाना हमें!
अगर हमसे अच्छा दोस्त मिल जाये कोई!

       

कुछ लुटकर, कुछ लूटाकर लौट आया हूँ,
वफ़ा की उम्मीद में धोखा खाकर लौट आया हूँ |

अब तुम याद भी आओगी, फिर भी न पाओगी,
हसते लबों से ऐसे सारे ग़म छुपाकर लौट आया हूँ |

     

मेरी तन्हाई मार डालेगी दे दे कर तानें मुझको
एक बार आ जाओ इसे तुम खामोश कर दो….

     

सूकून का एक लम्हा भी मयस्सर नहीं मुझको…
मोहब्बत को सुलाता हूँ तो तेरी यादें जाग जाती है..

     

“जीत की ख़ातिर बस जूनून चाहिए,
जिसमे उबाल हो ऐसां खून चाहिए,
ये आसमा भी आएगा जमी पर ,
बस इरादों में जीत की गूँज चाहिए……..!!!

       

इक ज़ख़्मी परिन्दे की तरह जाल में हम हैं,
ऐ इश्क़ अभी तक तेरे जंजाल में हम हैं”

     

आज हम भी एक नेक काम कर आए,
दिल की वसीयत किसी के नाम कर आए,
प्यार हैं उनसे ये जानते हैं वो……,
मज़बूरी थी जो झुकी नज़रों से इनकार कर आए.

       

दिल में इंतजार की लकीर छोड जायेगे॥
आँखों में यादो की नमी छोड जायेगे,
ढूंढ़ते फिरोगे हमें एक दिन ……..
जिन्दगी में एक दोस्त की कमी छोड जायेगे.

     

‘सहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का
मैं एक कतरा हूँ तनहा तो बह नहीं सकता ”

     

दो शब्द तसल्ली के भी नहीं मिलते इस शहर मैं
लोग दिल मैं भी दिमाग लिए फिरते हैं !!

       

सफ़ाई देने में, और स्पष्ट करने में अपना समय बर्बाद न करें. लोग वही सुनते है, जो वे सुनना चाहते हैं….

     

हम तो बस निशाने पर दिल रखना जानतें हैं
तेरे तरकश में कैसे कैसे तीर तुम जानो। ………!

       

भूल जाना ‘मुझे’ इतना आसान नहीं है…
बातों बातो में ही बातों से निकल आऊंगा॥

     

प्यार के दो मीठे बोल से खरीद लो मुझे ,
दौलत दिखाई तो सारे जहां की कम पड़ेगी…

       

“क्यूँ ना गुरुर करता मैं अपने आप पे,

मुझे उसने चाहा… जिसके चाहने वाले हज़ारों थे…..

       

“आँखों से दूर दिल के करीब था,
में उस का वो मेरा नसीब था.
न कभी मिला न जुदा हुआ,
रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था.”

       

तुम ना अपनी ‘हद्द’ में रहा करो,
आजकल बे’हद्द’ याद आने लगे हो …!

       

छोडो यह बहस और तकरार की बातें।
यह बताओं रात ख्वाबों में क्यों आये थे।।

     

चाँद का मिजाज भी, तेरे जैसा है..
जब देखने की तम्मना होती है, नज़र नहीं आता…

       

लहरों से खेलना तो समंदर का शौख है।
लगती है चोट कैसे, ये किनारो से पूछिए।

     

बेमतलब की जिंदगी का अब सिलसिला ख़त्म …
अब जिस तरह की दुनियां , उस तरह के हम…

       

मेरी न सही तो तेरी होनी चाहिए ,
तमन्ना एक की पूरी होनी चाहिए

       

जैसा भी हूं अच्छा या बुरा अपने लिये हूं,
मै खुद को नही देखता औरो की नजर से….!!!!

       

चलो दिल की अदला बदली कर लें,
तडप क्या होती है समझ जाओगे….

       

तेरी सिर्फ एक निगाह ने खरीद लिया हमे,
बड़ा गुमान था हमे की हम बिकते नहीं।।

     

मुझे ही नहीं रहा शौक ए मोहब्बत वरना ,

तेरे शहर की खिड़कियां इशारे अब भी करती हैं ।

       

खुल जाता है उस की यादों का बाज़ार सुबह सुबह,

बस मेरा दिन इसी रौनक में गुज़र जाता है ।

       

हाथ देखने वाले ने तो परेशानी में डाल
दिया मुझे,

बोला के मौत नही किसी की याद मार डालेगी तुझे…

       

अब ऩ कोई हमे मोहब्बत का यकीन दिलाये,
हमें रूह में भी बसा कर निकाला है लोगो ने…

       

“न जाने कब खर्च हो गये , पता ही न चला,
वो लम्हे , जो छुपा कर रखे थे जीने के लिए”…

       

मैं अगर चाहु भी तो शायद ना लिख सकूं उन लफ़्ज़ों को
जिन्हे पढ़ कर तुम समझ सको की मुझे तुम से कितनी मोहब्बत है!!!!!

       

जिसको तलब हो हमारी, वो लगाये बोली,
सौदा बुरा नहीं !.. …बस “हालात” बुरे है !..

       

फिर इश्क़ का जुनूं चढ़ रहा है सिर पे ,
मयख़ाने से कह दो दरवाज़ा खुला रखे !

       

बहुत ही नाजो से चूमा उसने लबो को मेरे मरते वक्त।

कहने लगीमंजिल आखिरी है रास्ते मेँ कहीँ प्यास न लग जाए॥

       

वक़्त बड़ा अजीब होता हे इसके साथ चलो तो किस्मत बदल देता हे …

ना चलो तो किस्मत को ही बदल देता हे…

     

कल तेरा ज़िक्र आ गया घर में,,
ओर…घर देर तक महकता रहा.!!!!!

     

जिस दिन भी तेरी याद टूट कर आती है “ऐ जान”

मेरी आँखों के साथ ये बारिश भी बरस जाती है…

       

सागर के किनारो पे खजाने नहीं आते।
पल जो फीसल गये हाथ से वो दुबारा नहीं आते।

       

अपनों की चाहतों में मिलावट थी इस कदर की……………..

मै तंग आकर दुश्मनों को मनाने चला गया…

       

यूँ ही मौसम की अदा देखकर याद आया है,

किस क़दर जल्द बदल जाते हैं इंसान, जाना|

       

ज़िन्दगी शायद कहीं फिर से रास्ते मिला दे,

मगर एक बात याद रखना कि “तुम मुझे खो चुके हो”|

       

चुपके से नाम तेरे गुजार देंगे जिंदगी
लोगों को फिर बताएंगे, प्यार ऐसे भी होता है॥

       

हम तस्लीम करते हैं, हमें फुर्सत नहीं मिलती,

मगर ये भी ज़रा सोचो, तुम्हें जब याद करते हैं, ज़माना भूल जाते हैं|

       

किसे सुनाँए अपने गम के चन्द पन्नो के किस्से,

यहाँ तो हर शक्स भरी किताब लिए बैठा हे…

       

तूने तो रुला के रख दिया ए-जिन्दगी,,
जा कर पूछ मेरी माँ से, कितना लाड़ला था मैं….

       

अजीब अँधेरा है ऐ इश्क तेरी महफिल मे ,
किसी ने दिल भी जलाया तो रौशनी न हुई…

       

जिँदगी मेँ दोस्त नही,
बल्कि
दोस्त मेँ जिँदगी होनी चाहिए..

     

उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ
हमीं यकीन था, हमारा कुसूर निकलेगा

यकीन न आये तो एक बार पूछ कर देखो
जो हंस रहा है वोह ज़ख्मों से चूर निकलेगा

     

तेरे पास में बैठना भी इबादत
तुझे दूर से देखना भी इबादत …….
न माला, न मंतर, न पूजा, न सजदा
तुझे हर घड़ी सोचना भी इबादत….

       

“खुद को खो दिया हमने , अपनों को पाते पाते !

और लोग पूछते है , कोई तकलीफ तो नहीं” …..!!!

       

तकदीर के हाथों खुद को में जोड़ना नहीं चाहता,
मेरे दो हाथो का होसला में तोडना नहीं चाहता,
मौसम की तरह बदल जाती ये हाथो की लकीरें,
बंद मुट्ठी मेरी हरगिज़ मैं खोलना नहीं चाहता।

     

हर एक चेहरे को ज़ख़्मों का आईना न कहो !
ये ज़िन्दगी तो है रहमत इसे सज़ा न कहो….!!

     

“इन हसीनो से तो कफ़न अच्छा है,
जो मरते दम तक साथ जाता है,
ये तो जिंदा लोगो से मुह मोड़ लेती हैं,
कफ़न तो मुर्दों से भी लिपट जाता है.”

       

शायर तो हम
“दिल” से है….

कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया..

       

ज़ुल्म इतना ना कर के लोग कहे तुझे दुश्मन मेरा…!!
हमने ज़माने को तुझे अपनी “ जान ” बता रक्खा है…!!

       

“वक़्त बदलता है हालात बदल जाते हैं,
ये सब देख कर जज़्बात बदल जाते हैं

ये कुछ नही बस वक़्त का तक़ाज़ा है दोस्तो,
कभी हम तो कभी आप बदल जाते हैं.”

       

ए दिल ,चल एक सौदा करते हैं ,
मैं उसके लिए तड़पना छोड़ देता हूँ ,
तू मेरे लिए धड़कना छोड़ दे …!!

       

सब कुछ झूठ है लेकिन फिर भी बिलकुल सच्चा लगता है…
जानबूझकर धोखा खाना कितना अच्छा लगता है

       

घुटन क्या चीज़ है, ये पूछिये उस बच्चे से
“जो काम करता हैं ,इक खिलोने की दुकान पर “”

       

जिनकी आंखें आंसू से नम नहीं, क्या समझते हो उसे कोई गम नहीं,

तुम तड़प कर रो दिये तो क्या हुआ, गम छुपा के हंसने वाले भी कम नहीं.

       

कदम डग मगा गये युही रास्ते से वरना सम्भलना हम भी जानते थे,
ठोकर लगी तोभी उस पत्थर से जिसे हम अपना खुदा मानते थे।।

       

तुझे मुफ़्त में जो मिल गये हम,
तू क़दर ना करें ये तेरा हक़ बनता है…

     

खूबसूरती से धोका न खाइये जनाब…..

तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो…
मांगती तो…….. खून ही हे…….

     

यूँ गलत भी नहीं होती चेहरों की तासीर लेकिन

लोग वैसे भी नहीं होते, जैसे नज़र आते है…..!!!!!!!!!!!!

       

मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी,

यूं तो कहने को इन्सान बहुत हैं…….

       

बहुत जुदा है औरोँे से े मेरे दर्द की कहानीँ,

जख्म का कोई निशाँ नहीँ और दर्द की कोई इँतहा नहीँ।

     

मुहमाँगा दाम दूंगा यारों…

मुझे इक ऐसे काबिल
सपेरे से मिलवा दो …

कि जो आस्तीन में छुपे
साँपों को बाहर निकाल सके ..

       

अजीज़ तो हम भी सब के थे,
फ़राज़
मगर सिर्फ उनके मतलब निकल जाने तक……..

       

क्यूँ लफ्ज़ ढूंढते हो मेरी ख़ामोशी में तुम

मेरी आखों मैं देखो , तुम्हे कई फसाने मिलेंगे.

       

ऐसा लगता है, हर इम्तिहाँ के लिए,
किसी ने जिन्दगी को हमारा पता दे दिया है……

       

राजा का बेटा भलेह ही नन्गा पैदा हुवा हो।।
पर होता तो वो राजकुमार ही है।।।।

       

शायरी मे सिमटते कहाँ हैँ दिल के दर्द दोस्तों
बहला रहे हैँ खुद को जरा कागजो के साथ

     

किसी भी मुशकिल का अब किसी को हल नही मिलता ,

शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नही निकलता ..

     

कुछ रिश्तो में इन्सान अच्छा लगता है.
और कुछ इन्सानों से रिश्ता अच्छा लगता है..!!

     

अरमान ही बरसो तक जला करते है हमेशा ,
इंसान तो इक पल मे खाक हो जाता है !!

     

आहिस्ता कीजिये कत्ल मेरे अरमानों का……
कहीं सपनों से लोगों का ऐतबार ना उठ जाए..

     

चलो आज फिर मिटटी से खेलते है दोस्तों,
हमारी उम्र ही क्या थी जो दिलो से खेल बैठे.

     

जानता हूँ दुनिया की हर एक रीत लेकिन,
अनजान बने रहना ही यहाँ बेहतर विकल्प है

     

ए नसीब ज़रा एक बात तो बता…
तू सबको आज़माता है या मुझसे ही दुश्मनी है!

     

बस यूँ ही लिखता हूँ, वजह क्या होगी,
राहत ज़रा सी, आदत ज़रा सी…

     

​​​मैंने कहा बहुत प्यार आता है तुम पर;​
वो मुस्कुरा कर बोले और तुम्हे आता ही क्या है।

     

विपरीत परस्थितियों में कुछ लोग टूट जाते हैं ,
तो कुछ लोग लोग रिकॉर्ड तोड़ते है

     

क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज, हाल हमारा पूँछ कर..

हाल हमारा वही है, जो तुमने बना रखा है..

     

हर रात को तुम इतना
याद आते हो के हम भूल गए हैं,
के ये रातें ख्वाबों के लिए होती हैं,
या तुम्हारी यादों के लिए|

     

तरस जाओगे हमारे मुँहसे सुननेको एक लव्ज़
प्यारकी बात क्या, हम शिकायत भी ना करेंगे…

     

“दूर हो जाने की तलब है तो शौक से जा…
बस याद रहे की मुड़ कर देखने की आदत इधर भी नहीँ…

     

क्या हुआ.. जो मेरे लब तेरे लब से लग गए
माफ़ ना करो ना सही… बदला तो ले लो…

     

मुहमाँगा दाम दूंगा यारों मुझे एक ऐसे काबिल सपेरे से मिला दो
के जो के आस्तीन में छुपे साँपों को बाहर निकाल सके…..

     

आहिस्ता कीजिये कत्ल मेरे अरमानों का……
कहीं सपनों से लोगों का ऐतबार ना उठ जाए..

     

एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है कल की तरह..!

     

तजुर्बे ने एक बात सिखाई है…

एक नया दर्द ही…
पुराने दर्द की दवाई है…!!

     

“ना वोह आ सके ना हम कभी जा सके,
ना दर्द दिल का किसी को सुना सके.
बस बैठे है यादों में उनकी,
ना उन्होंने याद किया और ना हम उनको भुला सके.”

     

“मुझे कुछ अफ़सोस नहीं के मेरे पास सब कुछ होना चाहिए था ।
मै उस वक़्त भी मुस्कुराता था जब मुझे रोना चाहिए था ।!!!!!

     

न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर …..

तेरे सामने आने से ज़्यादा तुझे छुपकर
देखना अच्छा लगता है …!!!

     

“साकी को गिला है की उसकी बिकती नहीं शराब..

और एक तेरी आँखें है की होश में आने नहीं देती.. .!”

     

ये दबदबा,ये हुकुमत,ये नशा, ये दौलतें………

सब किरायदार है, घर बदलते रहते हैं…….

     

क्या हुवा जो एक दिल टुटा…..
इससे मोहंबत का अंजाम तो सिखा…

     

महोबत में मैंने किया कुंछ नहीं… बस लुटा दिया..,
उसके पसंद थी रोशनी..मैंने ख़ुद को जला दिया..!!!!

     

पता है तुम्हारी और हमारी
मुस्कान में फ़र्क क्या है?
तुम खुश हो कर मुस्कुराते हो,
हम तुम्हे खुश देख के मुस्कुराते हैं………

     

क़सूर उनका नहीं,जो मुझसे दूरियाँ बना लेते है….
रिवाज है ज़माने में,पढ़ी किताबें ना पढ़ने का.

     

कुछ तो धड़कता है ,रूक रूक कर मेरे सीने में ..

अब खुदा ही जाने, तेरी याद है या मेरा दिल …

     

तू वाकिफ़ नहीं मेरी दीवानगी से…
जिद्द पर आऊँ तो..ख़ुदा भी ढूंढ लूँ …

     

मेरी दोनों कोशिशें कभी कामयाब ना हो सकी . .

पहला तुझे पाने की फिर तुझे भूल जाने की…

     

ए दिल ,चल एक सौदा करते हैं ,
मैं उसके लिए तड़पना छोड़ देता हूँ ,
तू मेरे लिए धड़कना छोड़ दे …

     

मैंने ज़माने के एक बीते दोर को देखा है
दिल के सुकून को और गलियों के शोर को देखा है
मैं जानता हूँ की कैसे बदल जाते हैं इन्सान अक्सर
मैंने कई बार अपने अंदर किसी ओर को देखा है।

     

हमें तुमसे मोहब्बत न होती,,
सिर्फ दो ही हालत में…

या “तुम” बने न होते,
या ये दिल बना न होता…

     

मुफ्त मे अहसान न लेना यारों ,,,
दिल अभी ओर भी सस्ते होंगे बाज़ार में …….!!!

     

लत तुम्हारी लगी थी….
इलज़ाम.. शराब पर आया….

     

वक़्त भी लेता है करवटें कैसी कैसी,
इतनी तो उम्र भी ना थी जितने सबक सीख लिए हमने..

     

दुवाओ को भी अजीब इश्क है मुझसे यारा..

वो कबूल तक नहीं होती मुझसे जुदा होने के डर से….

     

मेरे ऐब मुझे उंगलिओं पे गिनाओ यारो,
बस मेरी गैर- मौजूदगी मैं मुझे बुरा मत कहना..।।

     

कुछ अरमान उन बारीश कि बुंद कि तरह होते है,
जिनको छुने कि ख्वाहिश में,हथेलिया तो गिली हो जाती ,
पर हाथ हमेशा खाली रेह जाते है….

     

रिश्तों की ख़ूबसूरती एक दूसरे की बातें बर्दाश्त करने में है,

ख़ुद जैसा इन्सान तलाश करोगे तो अकेले रह जाओगे।

     

याद आयेगी हमारी तो बीते कल को पलट लेना ..
यूँ ही किसी पन्ने में मुस्कुराते हुए मिल जायेंगे ..

     

ज़िदगी जीने के लिये मिली थी,

लोगों ने सोच कर गुज़ार दी………..

     

कोई वादा ना कर, कोई ईरादा ना कर!
ख्वाईशो मे खुद को आधा ना कर!

ये देगी उतना ही, जितना लिख दिया खुदा ने!
इस तकदीर से उम्मीद ज़्यादा ना कर!

     

उस मासूम शराब की मोहब्बत भी क्या खूब थी ।।
जालिम एक बार लबो पे लगी तो फिर कभी उसने बेवफाई ना की।।

     

मुझे रुलाने की सारी कोशिशे नाकाम रही ना जिन्दगी तेरी ,
तुझे ये कोन समझाए कि दर्द से दोस्ती बेहिंतिआ हे मेरी।।।।

     

“हमारे आंसूं पोंछ कर वो मुस्कुराते हैं,
उनकी इस अदा से वो दिल को चुराते हैं,
हाथ उनका छू जाये हमारे चेहरे को,
इसी उम्मीद में हम खुद को रुलाते हैं।”

     

आखिर मरामत करना हमने सीख ही लीया !

दिल पथ्थरो के बीच तुटना छोटी बात बन गई!

     

रोज़ इक ताज़ा शेऱ कहां तक लिखूं तेरे लिए,
तुझमें तो रोज़ ही एक नयी बात हुआ करती है…

     

सुना है, खुदा के दरबार से कुछ फ़रिश्ते फरार हो गए,
कुछ तो वापस चले गए, और कुछ हमारे यार हो गए.

     

शाम भी खास है, वक़्त भी खास है,
तुझको भी एहसास है, तो मुझको भी एहसास है,
इससे जयादा मुझे और क्या चाहिए,
जब मैं तेरे पास, और तु मेरे पास है.

     

काश तकदीर भी होती किसी जुल्फ की तरह…

जब जब बिखरती संवार लेते…

     

इंसानी जिस्म में सैंकड़ों हैवान देखे हैं,

मैंने दिल में रंजिश रख महफ़िल में आये मेहमान देखे हैं|”

     

आंखों के किनारे भीगे नहीं,

तो वो समझे की रोए नहीं।

     

क्लास में आख़िरी बेन्च पर जो कुरेद कर तुम्हारा नाम लिखा था,
ज़िन्दगी की सब से लम्बी कहानी वही तो थी ….

     

लगता है, मेरा खुदा मेहरबान है मुझ पर,
मेरी दुनीयाँ में आपकी मौजूदगी, यूँ ही तो नहीं.!

     

ना छेड़ किस्सा ए उल्फत ,
बड़ी लम्बी कहानी है ।।
मैं जमाने से नहीं हारा ,
बस किसी की बात मानी है…..

     

हम तो मुफ्त की सलाह दे कर बर्बाद हो गए;

अब तो आलम ऐसा है की मांगने पर भी खेरात नहीं देते…..

     

ना ठुकरा मेरी दोस्ती मुझे गरीब समज कर ए दोस्त,
यह दौलत वाले खरीदार तो होते है,
लेकिन वफादार नही.

     


कभी मंदिर पे बैठते हैं कभी मस्जिद पे …!!
ये मुमकिन है इसलिए क्योंकि परिंदों में नेता नहीं होते ….!!

       

आज भी ये बात हम समझ ही नहीं पाते हैं !!
मुट्ठी जितने दिल में कैसे ज़माने के गम समाते हैं ?

       

कीसी से भी अपनी जीदगी मे बने रहने के लिए
भीख न मागो जीसे रहना होगा वो कीसी भी
कीमत पर आपकी जीदगीमे बने रेगा…

       

बुलन्दियों को पाने की ख्वाहिश तो बहुत थी…
लेकिन,दूसरो को रौंदने का हुनर कहां से लाता!

     

“अपनी ‘उम्र’ और ‘पैसों’ पर कभी ‘घमंड’ मत करना…
क्योंकि जो चीज़ें ‘गिनी’ जा सकें वो यक़ीनन ‘ख़त्म’ हो जाती हैं…”

       

हज़ार चेहरों में उसकी झलक मिली मुझको;
पर दिल की ज़िद्द थी, अगर वो नहीं तो उस के जैसा भी नहीं…

       

मंज़िल भी नहीं…ठिकाना भी नही…
वापस उनके पास जाना भी नहीं…
मैंने ही सिखाया था उन्हें तीर चलाना और
अब मेरे सिवा उनका कोई निशाना भी नहीं…

       

हमसे तन्हाई के मारे नहीं देखे जाते
बिन तेरे चाँद-सितारे नहीं देखे जाते

       

दिलों कि बात करता हैं ज़माना.
पर आज भी मोहोब्बत चेहरों से ही शुरू होती हैं !

       

मेने तक़दीर पे यक़ीन करना छोड़ दिया है,
जब इंसान बदल सकते है तो ये तकदीर क्या चीझ हे…

       

फिक्रमंद हूँ आजकल तेरे बारे मेँ सोच के,
यूँ मुझपर गौर करोगे तो मुझसे मुहब्बत हो जाएगी!!!

       

‘तू’ डालता जा साकी शराब मेरे प्यालो में…

जब तक ‘वो’ न निकले मेरे ख्यालों से ।।।

       

खतरा है इस दौर में, बुजदिलों से दिलेर को.
धोखे से काट लेते हैं ”कुत्ते” भी ”शेर” को…!

       

तुजे कया खबर तेरी याद ने मुझे कीस तरह सताया….
कभी अकेले मे हसा दीया तो कभी भरी मेहफील मे रुलाया…

       

कौन कहता है की खूबसूरती… उम्र की मोहताज है …..
हमने आज भी पुराने पन्नो पर, नए अफसाने लिखे देखे है..

       

इतने कहाँ मशरूफ़ हो गए हो तुम;
आजकल दिल तोड़ने भी नहीं आते!

       

बड़े सुकून से वो रहता है आज कल मेरे बिना,
जैसे किसी उलझन से छुटकारा मिल गया हो उसे..!

       

टूटा हुआ फूल खुश्बू देता है;
बीता हुआ पल यादें देता है;
हर शख्स का अपना अंदाज़ होता है;
कोई प्यार में ज़िंदगी, तो कोई ज़िंदगी में प्यार दे जाता है !!!

       

मेरी दोस्ती का फायदा उठा लेना, क्युंकी
मेरी दुश्मनी का नुकसान सह नही पाओग..

       

मंज़िलों से गुमराह भी ,कर देते हैं कुछ लोग ।।
हर किसी से ,रास्ता पूछना ,अच्छा नहीं होता ।

       

रंज ये नही कि जो मिले वो पत्थर के लोग थे,
अफ़सोस ये है कि उनमे चंद मेरे घर के लोग थे…!!

       

मिट्टी के खिलौने भी सस्ते ना थे मेले में,
माँ-बाप बहुत रोये घर आ के अकेले में
!

       

“खुल जाता है तेरी यादों का बाज़ार हर शाम,
फिर मेरी रात इसी रौनक मे गुजर जाती है”

         

सिर्फ हम ही क्यूं रहे नशे में ए साकी..
एक जाम वहां भी दे , के मुहब्बत उन्हें भी थी…

       

पहले इश्क फिर धोखा फिर बेवफ़ाई,
बड़ी तरकीब से एक शख्स ने तबाह किया..

       

आये थे हंसते खेलते मैखाने में ‘फिराक’
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गये

         

जहासे तेरी बादशाही खत्म होती है
वहासे मेरी नवाबी सुरु होती है

       

मोहब्बत को इसकी बदमिज़ाजी ने ही बदनाम कर रखा है, क़दरदानों से कोसों दूर पड़ी रहती है बे-क़द्रों की ‘जूतियों’ के नीचे…!!

       

अगर अलग होना इतना आसान होता तो रूह को जिस्म से लेने फ़रिश्ते न आते।
बस इतनी इनायत बख्शना तू “मेरे नाम” को ऐ
खुदा,,,,,,,
कि जिसके भी लबों पे उभरे “मुस्कराहट” के साथ उभरे !!”

       

वक्त पे न पहचाने कोई ये अलग बात,
वैसे तो शहर में अपनी पहचान बहुत हैं।।।

       

हमारा दुश्मन हमसे बोला
“बहुत महंगी पड़ेगी तुझे दुश्मनी मेरी “…
हमने उसको उत्तर ये दिया कि ”
सस्ती चीज हम कभी खरीदते ही नहीं”

       

“इश्क” ‘महसूस’ करना भी इबादत से कम नहीं..
ज़रा बताइये ‘छू कर’ खुदा को किसने देखा है..

       

हक़ीकत से बहोत दूर है ख्वाहीश मेरी,
फिर भी ख्वाहीश है कि एक ख्वाब हक़ीकत हो जाये।

         

उसकी निगाहों में इतना असर था खरीद ली उसने एक नज़र में ज़िन्दगी मेरी.

       

हमें पसन्द नहीं जंग में भी चालाकी,यारो….
जिसे निशाने पे रखते हैं, बता के रखते हैं…..!

       

“रहे सलामत जिंदगी उनकी,
जो मेरी खुशी की फरियाद करते है.

ऐ खुदा उनकी जिंदगी खुशियों से भरदे,
जो मुझे याद करने में अपना एक पल बर्बाद करते है…..!!

       

भूल सकते हो तो भूल जाओ ,
इजाज़त है तुम्हे,
न भूल पाओ तो लौट आना ,
एक और भूल कि इजाज़त है तुम्हे…

       

बरबाद कर देगी ये दोनों की लड़ाई मुझे।।
न ईश्क हार मानता है और ना दिल शिकस्त का आदि है।।

         

वक्त मिले कभी तो कदमों तले भी देख लेना,
बेकसूर अक्सर वहीं पाये जाते हैं..

       

मेरी मौत की ख़बर देना उन्हें मगर इन
अलफ़ाज़ में……!
तुम्हारा बरसों का जो अरमान था अब
पूरा हो गया ….!!

       

क़ायनात की सबसे महंगी चीज एहसास है
जो दुनिया के हर इंसान के पास नहीं होता

       

सुनते हैं कि मिल जाती है हर चीज़ दुआ से;
इक रोज़ तुम्हे मांग के देखेंगे खुदा से।

       

झूठ कहते हैं लोग कि मोहब्बत सब कुछ छीन लेती है,
मैंने तो मोहब्बत करके, ग़म का खजाना पा लिया ।

       

जिन्दगी जख्मो से भरी है, वक़्त को मरहम बनाना सिख लें.
हारना तो है मोतके सामने, फ़िलहाल जिन्दगी से जीना सिख लें….!!

       

मैं चुप रहा और ग़लतफ़हमी बढ़ती गयी
उसने वो भी सुना जो मैंने कभी कहा ही नहीं…

       

दिल भी कमाल करता है,
जब खाली खाली होता है , भर आता है!

       

मोहब्बत ज़िन्दगी बदल देती है …..

मिल जाये तब भी ….!!!
ना मिले तब भी ….!!!

       

आसमान में उड़ने की मनाही नहीं है,
शर्त इतनी है की ज़मीन को नजर अंदाज़ ना करे…

       

रोज़ इक ताज़ा शेऱ कहां तक लिखूं तेरे लिए, तुझमें तो रोज़ ही एक नयी बात हुआ करती है

       

इक मशवरा चाहिए था साहेब !
दिल तोड़ा है इक बेवफा ने , जान दे दूं या जाने दूं ।

       

मैने ही दुआ मांगी उसकी खुशी की खातिर !!

वो मेरे बिना आज खुश है तो फिर ये जलन कैसी !

       

” सागर के किनारो पे खजाने नहीं आते।
पल जो फीसल गये हाथ से वो दुबारा नहीं आते।

         

“जी भर के जीलो इन हसी पलो को जनाब।
क्योंकी….
फीर लौटके वो दोस्ती के जमाने नहीं आते।”

         

यु तो क्या कहे की जिंदगी ने इम्तेहान बहुत लिए…
आँखों में आंसू कम, पर दिल पे जख्म कई दिए…

हर पर ख़ुशी की तलाश में भटकती रही जिन्दगी…
ख़ुशी न मिली, तो गम छुपाने के लिए मुस्कुरा दिए…

         

“माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती…
यहाँ आदमी आदमी से जलता है…!!”

       

दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट, ये ढूँढ रहे है की मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं,

पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा कि जीवन में मंगल है या नहीं।

         

इश्क करो तो होम्योपैथिक वाला करो ,
फायदा ना हो तो नुक्सान भी ना हो…

         

पैर की मोच और छोटी सोच – हमें आगे बढ़ने नहीं देती…

टुटी कलम और औरो से जलन – खुद का भाग्य लिखने नहीं देती…

काम का आलस और पैसो का लालच – हमें महान बनने नहीं देता…

अपना मजहब उंचा और गैरो का ओछा – ए सोच हमें इन्सान बनने नहीं देती

       

पलकों में आँसु और दिल में दर्द सोया है,
हँसने वालो को क्या पता, रोने वाला किस कदर रोया है,
ये तो बस वही जान सकता है मेरी तनहाई का आलम,
जिसने जिन्दगी में किसी को पाने से पहले खोया है..!!

       

तुम शराफ़त को बाज़ार में क्यूँ ले आए हो, दोस्त…
ये सिक्का तो बरसों से नहीं चलता…!!

       

ये तो शौक है मेरा ददॅ लफ्जो मे बयां करने का
नादान लोग हमे युं ही शायर समझ लेते है

       

रकीबों के सर गलत इल्जाम ए बेवफाई है
गैरों ने तो सिर्फ हवा दी है..आग तो अपनों ने
ही लगायी है….!!!

       

जो घरों को छोड़ के है चले
उन्हें क्या सतायेगे फासले ।।।
~ जावेद अख्तर

       

मरहम न सही एक जख्म ही दे दो
महसूस तो हो की हमे तुम भूले नहीं हो..

       

“शाम के बाद मिलती है रात,
हर बात में समाई हुई है तेरी याद.
बहुत तनहा होती ये जिंदगी,
अगर नहीं मिलता जो आपका साथ.”

       

“ज़िंदगी से यू चले है इल्ज़ाम लेकर,
बहुत जी चुके उसका नाम लेकर,
अकेले बाते करेंगे वो इन सितारो से,
जब हम चले जाएँगे उन्हे सारा आसमान देकर”

       

अहंकार में तीन गए;
धन, वैभव और वंश!
ना मानो तो देख लो;
रावन, कौरव और कंस!

     

तेरे होने पर खुद को तनहा समझू !
मैं बेवफा हूँ या तुझको बेवफा समझू !!
ज़ख्म भी देते हो मलहम भी लगाते हो !
ये तेरी आदत हैं या इसे तेरी अदा समझू!!

       

मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके पर बोलते हैं,
रहते हैं कुछ लोग खामोश लेकिन उनके हुनर बोलते है.

       

“इश्क़ ऐसा करो कि धड़कन मे बस जाए,
सांस भी लो तो खुश्बू उसी की आए,
प्यार का नशा आँखो पे ऐसा छाए,
बात कोई भी हो,पर नाम उसी का आए.”

       

कुछ और कश लगा ले ऐ ज़िन्दगी…
बुझ जाऊंगा किसी रोज़ सुलगते – सुलगते…

       

ज़िदगी जीने के लिये मिली थी,
लोगों ने सोच कर गुज़ार दी.

     

वक़्त बहुत कुछ, छीन लेता है …

खैर मेरी तो सिर्फ़ मुस्कुराहट थी ..

     

चैन से रहने का हमको मशवरा मत दीजिये…
अब मजा देने लगी हैं जिदगी की मुश्किलें…!!!

     

“हम तो बस लिख देते हैं जहन में आ जाता है
जो,
जुड़ जाता है आपके दिल से तो बस इत्तेफाक
समझिये…!”

     

ज़रा देख दरवाज़े पर दस्तक किसने दी है
अगर हो इश्क तो कहना, यहाँ दिल नहीं रहता..

       

“मतलबी लडकी से अच्छी तो मेरी सिगरेट हे
यारो..
जो मेरे होठ से अपनी जिंदगी शुरू करती हे ओर
मेरे कदमो के नीचे अपना दम तोड देती हे…!”

       

दौलत की भूक ऐसी के घर से निकल गए
दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए।

       

फुल हो तुम मुरझाना नहीं, साथ छोड़ के कभी दूर जाना नहीं…
जब तक हम जिन्दा है ऐ दोस्त कभी किसी से
घबराना नही…

       

बेक़सूर ज़िंदगी इल्ज़ामों से घिरी रही
कसूरवार हँसता रहा मुझ पर ताउम्र …..

       

शुबह होती नही शामढलती नही
नज़ाने क्या खूबी है आप मे के
आप को यादकिए बिना खुशी मिलती नही

       

मंज़िलों से गुमराह भी ,कर देते हैं कुछ लोग ।।
हर किसी से ,रास्ता पूछना ,अच्छा नहीं होता ।।।

       

“हर एक शख्स ने अपने अपने तरीके से इस्तेमाल किया हमें..
और हम समझते रहे लोग हमें पसंद करते हैं !!”

       

“कम से कम दो चार लोगों से रिश्ते बनाये रखिये, क्युंकि
कब्र तक लाश को दौलत नहीं ले जाया करती ।”

       

रानी के बगेर बादशाह की सब चाल अधूरी होती है, लेकिन मेरी ज़िन्दगी ताश के एक्के की तरह है, ना तो रानी के आने से फरक पड़ता है या जाने से …

       

एक सच्चा दिल सब के पास होता हैं
फिर क्यों नहीं सब पे विश्वास होता हैं
इंसान चाहे कितना भी आम हो
वो किसी न किसी के लिए जरुर खास होता हैं.

       

क्यूँ न हो मेरी नज़रों को शिकायत रात से.
सपना पूरा होता नहीं और सवेरा हो जाता है….

       

जो कोई समझ ना सके वो बात है हम.
जो ढलके नयी सुबह लाये वो रात है हम.

छोड देते है लोग रीश्ते बनाकर.
जो कभी छोडके ना जाये वो साथ है हम.

       

ये बद्दुआयें अपने पास ही रखो साहब,
मुझे मुहब्बत है, खुद ही मर जाऊँगा !!,

       

खतरा है इस दौर में, बुजदिलों से दिलेर को,
धोखे से काट लेते हैं ”कुत्ते” भी ”शेर” को..

       

आज़ाद परिंदा बनने का मज़ा ह कुछ और है,
अपने शर्तो पे ज़िन्दगी जीने का नशा ही कुछ और हैं. .

       

तमन्नाओ की महफ़िल….. तो हर कोई सजाता है,,
पूरी उसकी होती है…… जो तकदीर लेकर आता है..!!

       

बर्बाद वो अपने इश्क में मुझे कर के बोले ____
“तुम वो नहीं जिसकी मुझे तलाश थी”

       

जिधर देखो, उधर मिल जायेंगे, अखबार नफरत के
बहुत दिन से, मोहब्बत का न देखा, एक खत यारो !!

       

अब हमें भी नहीं रखना शौक तेरी मुहब्बत का,
जो रुला सकता है वो भूला भी सकता है….

       

हर नए ज़ख़्म पे यूँ ही नहीं मुस्कुरा देते ..
याद आता है मुझे जान से प्यारा कोई!!!!!

       

आग लगी थी मेरे घर मे,
बचा ही क्या है ?

मैँने कहा-“मैँ बच गया हूँ ”

वो बोली-“तो फिर जला ही क्या है”?

       

लौट आती है ये जा जा के
नये जिस्म में क्यों,
आखिर इस रूह का
इस दुनिया से रिश्ता क्या है….

       

जो तेरी आंखो से बयान होते हैं,
वो लफ़्ज़ किताबों मे कहाँ मिलते हैं…

       

“यूँ ही जिंदगी की कशमकश में थोड़ा उलझ गये हैं यारों,
वरना हम तो दुश्मनों को भी अकेला महसूस होने नहीं देते!”

       

सोचों तो सिलवटों से भरी है तमाम रूह |
देखो तो शिकन भी नहीं है लिबास में |

       

मुझको हँसते हुए इस दुनिया से रुखसत कीजे
कोई रोता है भला जब कोई घर जाता है

       

न करना वक्त से तुम बदतमीजी…
कि वो अक्सर पलटकर बोलता है !!

       

कोई नाराज हैँ हमसे हम कुछ लिखते नहीँ,
कहां से लाएं लफ्ज जब वो हमसे मिलते नहीँ …

       

दर्द की जुबां होती तो बता देते,
वो जख्म कैसे बताएं जो दिखते नहीँ …!

       

चेहरे की हंसी से ग़म को भुला दो,
कम बोलो पर सब कुछ बता दो.
खुद ना रुठों पर सब को हँसा दो,
यही राज है ज़िंदगी का,
कि जियो और जीना सिखा दो…..

         

हम तो बेजान चीजो से भी वफा करते है..
तुझमे तो फिर भी मेरी जान बसी है !!

           

अब के गुलशन मे अजब तब्दीलियाँ आने लगी,
तितलियाँ काग़ज़ के फूलों पे भी मंडराने लगी….!!!???

         

बस एक चेहरे ने तनहा कर दिया हमे वरना!
हम खुद में एक महफ़िल हुआ करते थे.

       

तुझसे मोहब्बत तो तेरी औकात से ज्यादा ही की थी………….

अब बात नफ़रत की है, तो…. तु सोच तेरा क्या होगा………???

         

“हँस कर कुबूल क्या कर ली हर सजा हमने,

दस्तूर बना लिया दुनिया ने भी इल्जाम लगाने का”

       

किसने कहा, मेरे दिल में मेहमान बन के आया कर ऐ-दोस्त,
ये तेरी सल्तनत है, जब भी आए, सुलतान बन के आया कर…

     

तेरी दोस्ती को, मेरे तजुर्बे की जरुरत हैं

कहीं दुश्मनों से…मोहब्बत ना कर बैठो….

     

अगर बेवफाओ की अलग बस्ती होती साहब….
मेरी महबूबा ही वहां की मल्लिका होती….

     

पलकों में आँसु और दिल में दर्द सोया है,
हँसने वालो को क्या पता, रोने वाला किस कदर रोया है,
ये तो बस वही जान सकता है मेरी तनहाई का आलम,
जिसने जिन्दगी में किसी को पाने से पहले खोया है..!!

       

ना तंग करो इतना, हम सताऐ हुऐ हैं,
महोब्बत का गम दिल पे उठाऐ हुऐ हैं,
खिलौना समझ कर हम से ना खेलो,
हम भी उसी खुदा के बनाऐ हुऐ हैं..

     

मुहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है ..

     

“आप आँखों से दूर दिल के करीब थे,
हम आपके और आप हमारे नसीब थे,
न हम मिल सके, न जुदा हुवे……,
रिश्ते हम दोनों के कितने अजीब थे.”

     

जिंदगी बस इतना अगर दे तो काफी है …
सर से चादर न हटे , पांव भी चादर में रहे …

     

अजब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफ़िला ज़िन्दगी का……..
सुकून ढूँढने चले थे,नींद ही गँवा बैठे।।

     
किसी को खुश करने का मौका मिले तो खुदगर्ज ना बन जाना ऐ दोस्त,

बड़े नसीब वाले होते है वो, जो दे पाते है मुस्कान किसी चेहरे पर…..

     

पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभी,
डगमगाना भी जरूरी है संभलने के लिए।

     

किसी को चोट पहुँचाकर माफी माँगना बहुत आसान है
लेकिन
खुद चोट खाकर किसी को माफ करना बहुत मुश्किल है

     

दुनिया में सब चीज मिल जाती है,….
केवल अपनी गलती नहीं मिलती…..

     

अजीब फितरत है उस समंदर की
जो टकराने के लिए पत्थर ढुंढता है..

     

जीवन का हर पन्ना तो रंगीन नही होता,
हर रोने वाला तो गमगीन नही होता
एक ही दिल को कोई कब तक तोड़ता रहेगा
अब कोई जोड़ता भी है तो यकीन नही होता !!!

     

तेरे होने पर खुद को तनहा समझू !
मैं बेवफा हूँ या तुझको बेवफा समझू !!

ज़ख्म भी देते हो मलहम भी लगाते हो !
ये तेरी आदत हैं या इसे तेरी अदा समझू!!

     

“भले थे तो किसी ने हाल त़क नहींपूछा,,,,

बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं !!!!!

     

बस…कंठ ही हमारा नीला नही है …..
वरना ..जहर तो हमने भी कम नही पिया………..

     

अपनी जुबान से ऐसे मीठे सब्द बोलो
की वापस भी लेने पड़े तो खुद को कड़वे न लगे…!!

     

“मिलके बिछड़ना दस्तूर है जिंदगी का,
एक यही किस्स मशहूर है जिंदगी का,
बीते हुए पल कभी लौट कर नहीं आते,
यही सबसे बड़ा कसूर है जिंदगी का।”

     

आप तो डर गये मेरी एक ही कसम से,
आपकी कसम देकर हमें तो हज़ारों ने लूटा.

     

हमको ख़ुशी मिल भी गई तो कहा रखेगे हम !
आँखों में हसरतें है तो दिल में किसी का गम !

     

अपना ग़म लेके कही और न जाया जाए
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए

     

अपने अहंकार को काबु मे करना सीख लो

जीतना जल्दी सीखजाओगे उतना आगे बढपाओगे ॥

     

ऑंख से ऑंख मिलाता है कोई,
दिल को खिंच लिये जाता है कोई,
बहुत हैरत है के भरी मेहफील में,
मुझ को तनहा नज़र आता है कोई।

     

ग़म ने क्या खूब याद रखा है मेरे दिल का पता

बस ये खुशियाँ ही तो आवारा निकली…..!!!!

     

अब अपने ज़ख़्म दिखाऊँ किसे और किसे नहीं …!

बेगाने समझते नहीं और अपनोको दिखते नहीं…..,!!

     

कल भी जी रहा था तेरे लीये।।
अज भी जी रहा हु सिर्फ तेरे लीये।।
फरक सिर्फ इतना है .. कल तक प्यार करने के
लीये जी रहा था अब बदला लेने के लीये जी रहा हु।।

     

“ओस की बूंदे है, आंख में नमी है,

ना उपर आसमां है ना नीचे जमीन है

ये कैसा मोड है जिन्‍दगी का

जो लोग खास है उन्‍की की कमी हैं ”

     

कल न हम होंगे न कोई गिला होगा !
सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिलसिला होगा !!

जो लम्हे हैं चलो हँस कर बिता ले…!
जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा !

     

तुम ना-हक नाराज़ हुए, वरना मयखाने का पता,
हमने हर उस सख्स से पुछा, जिसके नैन नशीले थे..

     

रात क्या ढली कि सितारे चले गये, गैरों से क्या कहें हम जब अपने ही चले गये,
जीत तो सकते थे हम भी इश्क की बाज़ी, पर तुम्हे जितने के लिए हम हारते चले गये

     

मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ कि…
पत्थरों को मनाने, फूलों कि क़त्ल कर आए हम ।

गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने ….
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम

     

नींदे गिरवी हैं उस के पास,
जिस से मोहब्बत का क़र्ज़ लिया था……

     

“तन्हाईयां जाने लगी जिंदगी मुस्कुराने लगी,
ना दिन का पता है ना रात का पता.
आप की दोस्ती की खुशबू हमे महकाने लगी,
एक पल तो करीब आ जाओ धड़कन भी आवाज़ लगाने लगी.. ”

     

उम्र की राह पर रस्ते बदल जाते है,
वक़्त की आंधी मे इंसान बदल जाते है,
हम सोचते है आपको इतना याद ना करे,
लेकिन आँखे बंद करते ही इरादे बदल जाते है

       

कोशिशें मुझको मिटाने की भले हों कामयाब
मिटते-मिटते भी मैं मिटने का मजा ले जाऊँगा

शोहरतें जिनकी वजह से दोस्त दुश्मन हो गये
सब यही रह जायेंगी मैं साथ क्या ले जाऊँगा __

       

“ज़िन्दगी मे कई मुशकिले आती है,
और इन्सान ज़िन्दा रहने से घबराता है,
ना जाने कैसे हज़ारो कांटो के बीच,
रह कर भी एक फूल मुस्कुराता है.”

     

रेत की जरूरत रेगिस्तान को होती है,
सितारों की जरूरत आसमान को होती है,
आप हमें भूल न जाना, क्योंकी
दोस्त की जरूरत हर इंसान को होती है…….

     

मेरे आंसू और तेरी यादों का कोई तो रिश्ता जरूर है..
कमबख्त जब भी आते है दोनों साथ ही आते है………

     

तुम्हारा वो पुराना साथ अब न मिलेगा मुझे,
शायद इसलिए तेरी यादों के साथ सो रहा हूँ मैं।
सच में,जबसे हुए हो दूर तुम जिंदगी से मेरी,
कैसे कहूँ की कितना अकेला सा हो गया हूँ मैं।

     

ना दौलत पे नाज करते है,
ना शोहरत पे नाज करते है,
भगवान ने हिंदू के घर पैदा किया है,
इसलिए अपनी किस्मत पे नाज करते है..
जय श्री राम…

     

तुझे तो हमारी मोहब्बत ने मशहूर कर दिया बेवफ़ा
वरना तू सुर्खियों में रहे, तेरी इतनी औकात नहीं!!!

     

अपनी खुशियों की चाबी किसी को न देना ।

लोग अक्सर दूसरों का सामान खो देते है.

     

किताबों की तरह बहुत से अलफ़ाज़ हैं मुझ में,

और किताबों की तरह ही में खामोश रहता हूँ…!

     

फर्क होता है खुदा और फ़क़ीर में;
फर्क होता है किस्मत और लकीर में;
अगर कुछ चाहो और ना मिले;
तो समझ लेना कि कुछ और
अच्छा लिखा है तक़दीर में।

     

दुश्मनों के खेमे में चल रही थी मेरे क़त्ल की साज़िश
मैं पहुँचा तो वो बोले ” यार तेरी उम्र लम्बी है ”

     

माँगना भूल न जाऊँ तुम्हें हर नमाज़ के बाद..
इसलिये मैंने तुम्हारा नाम ‘दुआ’ रख दिया…

       

वोह अल्फ़ाज़ ही क्या जो समझानें पढ़ें,
हमने मुहब्बत की है कोई वकालत नहीं ।

     

“मुहब्बत में झुकना कोई अजीब बात नहीं है…

चमकता सूरज भी तो ढल जाता है चाँद के लिए…”

       

मुझे अपनी मौत का तो कोई गम नहीं है लेकिन,

तेरे आशियां पे मरते तोकुछ और बात होती….

     

कितने नाजुक मिजाज है
वो कुछ न पुछीये
निंद नही आती है
उन्हे धड़कन के शौर से

       

दोस्ती तो ज़िन्दगी का वो खूबसुरत लम्हा है,
जिसका अंदाज सब रिश्तों से अलबेला है,
जिसे मिल जाये वो खुश…………,
जिसे ना मिले वो लाखों में अकेला है|


Maut pe bhi mujhe Yakeen hai,
Tum per bhi Aitbar hai,

Dekhna hai pehle kaun Aata hai,
Humien dono ka Intizar hai…

       

Hazaron aib he mujh me,,mujhe maloom he lekin…

koi ek shaks he aisa,,, jo mujhe anmol kehta he…

       

Ye Doriyan To Mita Doon Mein
Ek Pal Mein Magar !!
Kabhi Kadam Nahi Chalte
To Kabhi Raste Nahi Milte !!

       

Meri haisiyat ka andaza ye soch ke laga lo…..!!

Hum uske nahi hote jo har kisi ke ho jate hain….!!

       

Na jaane kyun darte hai log maut se,
Ek yahi to deti hai aazaadi zindagi ki zanjeeron se…!!

       

Sahil pe khade dekha hai armaano ko doobte hue,
Chhodd denge zindagi ka saath bhi hum yunhi muskurate hue…!!

       

Hum nahin chhahte dariya pe huqumat karna,
Ek qatra hi sahi ;
pyaas bujha de koi.

       

Mere sine me dhamaaka ek din,
Teri yaado ke dher se hi hoga…

       

Sanso ka pinjra kisi din toot jayega,
Phir musafir kisi raah me choot jayega,

Abhi sath hai to do baaten karlo,
Kya pata kab mukaddar humse ruth jayega….

       

Rulana har kisi ko aata hai
Hasa na kisi kisi ko aata hai
Rula ke jo manale wo sacha yaar hai
Aur jo rula ke khud bhi ansu bahaye woh aap ka sacha pyar hai…

       

Jo kabhi teri nazar se guzar jaya kerte hain…
woh sitare aksar toot ke bikhar jaya kerte hain…

       

Mirror is best love, why? Tum use dekh kar hasonge, wo bhi hasenga, royege to wo bhi royenga, par tum use maroge, wo nahi marega, wo tut jayega.{thats love}

       

Har pal najre unhe dekhna chahe to aankho ka kya kasoor ?
Har pal khusbu unki hi aaye toh saanso ka kya kasoor ?

Vaise toh sapne kabhi puch kar nahi aate,
Par agar sapne hi unke aaye toh raato ka kya kasoor ?

       

Mere QataL ka Irada ho to khanjar se waar na karna,

Mere marne k Lye kafi hay tera Auron se pyar karna.

     

Tujhe Baahon Me Bhar Kar Bepanah Main Pyar Karu..!!

Ae Sanam…

Ye Arzoo Thi Meri..
Bas Arzoo Bankar Reh Gayi..!!

       

Qabool E Jurm KarTe Hain TumHarE QaDmOn mein Gir Ke….

SazA E Moat haI ManZoor.. MaGar Terii JuDaii Nahiii.

       

Maine Rab Se Kaha…..” Wo Chali Gayi Mujhe akela Chhodd Kar,
Pata Nahin Kya Majburi Thi….!!

Rab Ne Kaha Mujh Se……”Iss Mein Uska Koi Kasoor Nahin,
Yeh Kahani Maine Likhi Hi Adhoori Thi…”

       

Zakham dene ka andaz kuch aisa hai,
Zakham dekar puchte hai haal kesa hai..,
Kisi ek se gila kya karna yaro,
Saari duniya ka mizaj ek jesa hai..

       

Wo Mere Liye Kuch Khaas Hai Yaaro,
Jinke Laut Aane Ki Na Koi Aas Hai Yaaro,
Wo Najro Se Door Hai To Kya Hua,
Banke Dil Ki Dhadkan Mere Paas To Hai Yaaro….

       

Dooriyon se farq nahi padta,
Baat to dilon ke nazdikiyon se hoti hai,
Dosti aap jaise kuch khaas logon se hoti hai,
Varna mulakat to roz na jaane kitne logon se hoti hai…

       

Meri chahaten tumse alag kab hain,
Dil ki batain tumse chupi kab hain,

Tum saath raho dil main dhadkan ki jaga,
Phir zindagi ko sanson ki zarurat kab hai…..

       

Sookhe patton se pyaar kar lenge
Hum to tum par etbaar kar lenge
Tum ye to kaho, tum humare ho sanam
Hum zindagi bhar intezaar kar lenge..!

       

Laga kar phool honto se kaha usne ye chupke se,
agar koi pas na hota to tum uski jagah hote.

       

Koun teri chahat ka fasana samjhega is daur me….

yaha to log apni zarurat ko hi mohabbat samjhte hain…..

       

Aaj mere dil ko ek toofan ne rohnd diya !!!

Galati shayad hamari hi thi !

“Kambakht” aanshu samaj k usko apni aankho se Jo bahne na diya !!!

       

Main chaahata bhi yahi tha woh bewafa nikle..
Use samajhne ka koi toh silsila nikle.

       

Yado ki kimat wo kya jane Jo khud yado ko mita diye karte hai …

Yadon ka matlab to unse pucho Jo yado ke sahare jiya karte hai…!!!!

     

Reh na paoge bhula kar dekh lo, Yakin na aaye to aajma kar dekh lo,

Har jagah mehsus hogi meri kami, Apni mehfil ko kitna bhi saja kar dekh lo……

       

Galti hui ki tujhe jaan se bhi jyada chahne lage hum..

Kya pata tha ki meri itni parvah tumjhe laparvah kar degi..

       

Saans Tham Jati Hai Par Jaan Nahi Jati.
Dard Hota Hai Par Aawaz Nahi Aati.

Ajib Log Hai is Zamane Mein.
Koi BhuL Nahi Pata Or Kisi Ko
Yaad Nahi Aati…

       

Tere Rone Se Unke Dil Pe Kuch Asar Na Hoga Aye DIL…

Ehsaas To Unka Hota Hai Jin Ke Chahnewale Aur Na Ho…!!!

       

Kyu tujhko manane ko tere paao padu!! …..
Mujhe muhobbat hai tujhse koi matlb to nhi………

       

Bat to kirdar ki hoti hai…… Warna qad mein to saya bhi insan se bada hota hai……!!!!!!!

       

Ek Hi Dar Ho Tou Sajdo”n Mein Sukoon Milta Hai…

Bhatak Jatay Hyn Wo Log Jin K Kai Khuda Hotay Hyn…!

       

Armaano ki ginti to mujhe nahi aati,
Par dil ka ek khayal apse kah du,
Agar pani ki har 1 boond pyar ban jaye,
To tohfe me apko saara samander de du…

       

Na Haath Thaam Sakey Na Pakar Sakey Daman,,,
Bohat Hi Qareeb Se guzar Kar Bichar Gaya Koi..

       

Kiski Samjhu Keemat Ae Khuda Tere Is Jahaan Mein …

Tu Mitti Se Insaan Banata Hai
Aur
Insaan Mitti Se Tujhe..!!

       

Wafadar hone ka agar kahin certificate milta to kya baat thi..

Wahan pe bhi aap dhokha aur hera feri karke apna naam likhwa lete !!!

       

Beti ko Chand jaisi mat banao ki har koi ghur ghur k dekhe…
Pr
Beti ko Suraj jaisi banao taki ghur ne se pahele sab ki nazar juk jaye…

       

Yun Toh Meri Har Baat Samajh Jate Ho Tum,
Phir Bhi Kyun Mujhe Satate Ho Tum,

Tum Bin Koi Aur Nahi Hai Mera,
Kya Isi Baat Ka Faida Uthate Ho Tum.!!

     

Khamosh Mohabbat Ki Ehsaas Hai Wo,
Mere Khwahis, Mere Jajbat Hai Wo,
Aksar Yeh Khayal Ata Hai Dil Me,
Meri Pehli Khoj Aur Akhri Talash Hai Wo…

       

Naa aarzoo hai jeene ki,
Na fariyaad hai jaane ki…
Agar khuda ek pal bhi mujhe dede mere marzi ka…
Us pal me koshish kar lunga tujhe sada k liye paane ki…

       

Khuda ka shukar hai ki, Usne khwab bana diye, Warna tujse milne ki tamnna kabhi puri nahi hoti…..!!!!!

       

Zakham de kar na puch dard ki shiddat,
Dard to phir dard hai, kam kya, zeyaada kya….

       

Bina Wade Ke Bhi Uska Intezar He,
Juda Hokar Bhi Us se Pyaar He,

Gwaahi Deti He Uske Chehre Ki Udasi,
Milne Ko Mujhse Wo Bhi Bekarar He….

       

Mujhe Bharosa Nahin Apne Haathon Ki Lakeeron Par …

Daava Karti Hai Yeh Meri Qismat Badalne Ka, Khud Meri Mutthi Mein Qaid Hokar !!

       

Suna Hai “Maut” Kabhi Bhi Aa Sakti Hai..

To Isse Kaho Na,,,
ishq Se Pehle Aa Jaye…..

       

Logo ki chugli kerke unhe hum sambhal rhe the…..
Aaj wo hi unki jal me fase ja rha he…

     

Tujhe Bhoolne Ko Ik Pal Chaiye,
Wo Pal Jisy Maut Kehte Hain Log…

       

Hamari Be-Khudi Ka Haal Wo Poochhe Ager,
To Kehna Hoosh Bas Itna Hai Ke Tum Ko Yaad Karte Hain…!

       

Gum hai ya khushi hai tu, meri zindagi hai tu….
Meri saari umar mein, ek hi Kami hai tu….

       

E khuda suna hai k duva kubul Karne ka Tera ek waqt hota hai,
Ab tu hi bata Meine usse kis waqt nahi maanga!!!!!

       

Barbaad Karna Tha To Kisi aur Tareeqe Se Karte….
Zindagi Ban Kar Zindagi Hi Chheen Lee Tum Ne…..

       

Teri Bewafai Ke Shikwe Ab Kis se Karoon.?
Yahan To Ab Bhi Har Koi Tujhe Mera Samajhta Hain….

       

Na rakho chahat kuch paane ki,
Na hogi fikar kuch khone ki,
Lutate raho pyaar kyun ki hoti hai bahut kam umar nafrat ki…!!

       

Shikayat Kyu Karoon Ye To Kismaton ki Baat Hai..
Main Teri Soch Me Bhi Nahi or Mujhe Tu Lafz Lafz Yaad Hai.!!

       

Bahut der kardi tumne is
dhadkan ko mehsus karne mai,
wo dil ab nilaam ho gaya jisko hasrat kabhi tumhari hua karti thi .

       

Mera Sub Kuch Rakh Lo Ay Wakilon,,,
Bas Mujhe Uski Yadon Ki Qaid Se Rihai Chahiye…

       

Faasle Aise Bhi Honge Yeh Kabhi
Socha Na Tha,

Saamne Betha Tha Mere Aur Woh Mera Na Tha.

       

Wo Kisiki Khaatir Mujhe Bhool Bhi Gay To Koi Baat Nahi….

Hum Bhi To Bhool Gaye They Saara Zamana Uske Khaatir….

       

Dard se itna gehra rishta hogya hai, na main uske siwa jee sakta hun, aur nahi woh mujhe jeene detaa hai.

       

In baadlo ka mizaaj khub milta hai mere apno se,

Kabhi toot ke baras jaate hain aur kabhi berukhi se guzar jate hain…..

       

Na garz kisi se,na wasta,mujhe kaam hay apne kaam se……
Tere zikr se , teri fikar se , teri yaad se , tere naam se…..

       

Kahan Talaash Karoge Tum Mujh Jaise Ek Shakhs Ko,

Jo Tumhare Sitam Bhi Sahe Aur Tum Se Mohabbat Bhi kare…

       

Tum hi nay sawaar kiya tha muhabat ki kashti par ………

Ab nazrain na churao mujhe doobta bhe dekho…

       

Mein Khud Garz Nahi K Khushion Pe Mar Mitoo,

Gum B Mujhe Aziz Hein apnon k Diye Howe…

       

Mujhe Is Baat Ka Gum Nahi Ki…
Badal Gaya Zamana,
Meri Zindagi To Sirf Tum Ho,
Kahi Tum Na Badal Jana..

       

Pyaar Karna Tumne Sikhaya,
Pyaar Pe Yakeen Karna Tumne Sikhaya,
Sapne Sajana Tumne Sikhaya,
Bas Tumhare Bina Jeena Nahi Sikhaya…

       

Intzar ki aarzu ab kho gyi hai. Khamoshiyo ki aadat ho gyi hai. Na sikwa rha na shikayt kisi se, Agar he to ek mohbbat, jo in tanhayion se ho gayi hai.

       

Suna hai zehar peene se maut aati hai,
Hum to behisab peekar bhi jee rahe hai…!!!

       

Ishq nazuk mizaaz hei behad…
Aql ka bojh utha nahi sakta…

       

Badi haseen thi zindgi jab na kisi se mohabbat na kisi se nafrat thi,

Zindgi me ek mod aisa aaya mohabbat ek se hui or nafrat sari dunia se ho gayi…

       

Mana k nhi aata muje kisi ka dil jeetna, lekin

pehle ye batao yahaan dil h kiske pas…!!!

       

Bahut haseen tha, jahan se pyaara tha, dil ka sukoon tha,
Aankh khuli to pata chala woh to mera khwaab tha…!!!

       

Nazro ka Khel toh Bacche khelte hai…

Hum to sidha diL pe Vaar karte hai…

       

Ek Janaza Aur Ek Barat Takra Gaye
Unko Dekhne Wale Bhi Chakra Gaye
Uppar Se Awaz Ayi
Ye Kesi Vidai Hai
Mehboob Ki Doli Dekhne Yaar Ki Mayyat Ayi Ha…!!

       

“Kamaa Ke Itni Daulat Bhi Main Apni Maa Ko De Na Paaya..

K, Jitne Sikkon Se Maa Meri Nazar Utaara Karti Thi !!

       

Mai jab bhi dekhtaa hu maa ki aankho ko to lagtaa hai….

yahi wo ik jagah ab tak jahaa sachchaai rahati hai !

       

Ye jo har mod pe milne aa jaati hai mujh se,,,,,,,

Bad naseebi bhi kahi meri diwaani to nahi..???

       

Jab mein nai tha peeta…
Mere yaar kehte they pee pee.
Ab adat ho gai peene kee…
Tho yaar kehte hai chhee chhee.

       

Bhagvan ne Cheezein istemal krne or log mohabbat k liye bnaye hain..

Magar insan chezon se mohabbat or Logon ko istemal krte hain.

       

Teri Talab Ki Hadh Ne Esa Junoon Bakhsha Hai,

Hum Neend Se Uth Bethe Tujhe Khwaab Me Tanha Dekh Kar…!!!

         

Kyun kisi se itna pyar ho jata hai, ek din jeena bhi dushwaar ho jata hai.

Lagne lagte hain apne bhi paraye, aur ek ajnabi par itna aitbaar ho jata he.

       

Ye Mat Puch Ki Ehsaas Ki Shiddat Kya Thi ….

Dhoop Aisi Thi Ke Saaye Ko Bhi Jalte Dekha…

       

Kehta to kahi didhu ene k jivi leje mara vagar,
pan em to na kahyu k kem jivase mara vagar.??

Nathi sachvi sakti e potani jat ne ek pal mate,
to kem sachavse aakhi jindagi khud ne mara vagar.??

Hu janu 6u k nathi atakti koini jindagi koina vagar, pan su chalse eni jindagi mara vagar.??

Su kehvu jaruri hatu k ‘HU PREM KARU 6U ENE’ kem e na samji shaki mane kai kahya vagar.??

Lakhela shabdo to koi pan vanchi sambhlavse, pan tame j kaho kon lakhse aam kavita ena mate ek MATRA MARA VAGAR.??

Jo vanchti hase e aa kavita ne dil thi,to malse banine javab have koi sawal vagar, ‘HU RAAH JOIS E SAMAY NI K JEMA E AAVI NE KEHSE MANE K’ HAVE NAI JIVI SAKU TARA VAGAR’…..

       

1 Khushi Dil Ne Kya Maang Li Meri Har Khushi Ko Nazar Lag Gayi ……

       

Wo dard hi kya jo aankhon se beh jaye,
Wo khushi hi kya jo hothon pe reh jaye,
Kabhi to samjho khamoshi hamari,
Wo baat hi kya jo assani se alfaaz ban jaye..

         

Zindagi Hai So GuzaR Rahi Hai Warna,
Hamain guzRay To Zamanay Huye…

       

Rulane me aksar unhi ka haath hota hai,,,,,
Jo kehte he ki….
Tum haste huye bahut aache lagte ho..

       

Car me verna aur pyar me marna hum aaj bhi pasand karte hai.,

Lekin ford me figo aur ladki me ego aaj bhi hame pasand nahi..

       

Tum Agar Maut Bhi Ban Jao to Bhi !!….
Hum tumse Milne Ki duaa Karenge. …

       

Hum Tadapte hai unki Yaad me,DiL rota hai unki Fariyad me.Aey Khuda dikha de ek baar Surat unki,Kahi Dum na nikal jaye unke INTEZAR me…!!!

       

Varsad ma bhinjvu gamse mane,
Tari lagni ma tanavu gamse mane,

Udas tari aankho mathi nitre che dard ketlu,
Bhag aapo to bhagidar thavu gamse mane.

       

Mohabbat Ke Ab Silsiley Khatam, Ab Jis Tarah Ki Duniya, Ussi Tarah Ke Hum…

       

Wo Sach Kehte The Ki Tumhari Muskurahaat Bahot Achhchhi Hai,

Ab Pata Chala, Wo Sach Hi Kehte The, Isiliye To Apne Saath Mujhe Nahi Meri Muskurahaat Ko Le Gaye…

       

Jazbaat bahekte hain jab tumse milta hu,
Armaan machalte hai jab tumse milta hu

Saath hum dono ka koi bardasht nahi karta,
Sab humse jalte hai jab tumse milta hu

Ankho se tum jaane kya kya keh dety ho,
Toofan se chalte hain jab tum se milta hu

Haatho se hath milte hain honthon se honth,
Dil se dil milte hain,jab tumse milta hu

Aahon mein beh jaati hai tanhai ki har raat,
Kai shikve dil mein rahte hain jab tumse milta hu !!!

       

Mujhe Is Jahaa Me Aaye To Kaafi Waqt Ho Gaya…
Bas Logo Ko Nazar Aata Hu, Unki Zarurato Ke Hisab Se…

       

Kat rahi hei zindagi rote hue
Aur wo bhi aap ke hote hue..

       

Bohot Mushkil ho Gaya Khud Ko Sambhale Rakhna

Magar Wo Keh Gye The Apna Khayal Rakhna…

       

Hothon Pe Aaj Unka Naam Aa Gaya
Pyase Ke Hath Mein Aaj Jaam Aa Gaya,

Dole Kadam To Gire Unki Bahon Main Ja Ke
Aaj To Peena Bhi Hamare Kaam Aa Gaya…

       

Aaj bewafaao ki mahefil saji hei
Waqt nikaal ke tum bhi aa jaana..

       

Wo dekhta hei roj dubta hua shuraj
kas, ham bhi kisi shaam ka manzar hote..

       

Bada meetha sa jaher hei teri yaado ka,
ek umra gujar jaayegi tum pe marte marte…

       

Mout aaye to din fire saayad,
Is zindagi ne to maar daala hei..

       

Ye to mahobbat hei yaaro ke ab wo hamaari taraf kam se kam dekhte hei…

       

Ajeez itna hi rakho ke jee sambhal jaye,
Ab is kadar bhi na chaaho ke dam nikal jaye…

       

Khusbu teri muje mehka jati hai,Teri har baat muje behka jati hai,Sans ko bahut der lagti hai aane mein,Har sans se pehle teri yaad aa jati hai.

       

“HASEEL KARKE TO HAR KOIPYAR KAR SAKTA HAI,
MAGAR KHOKAR BHI KISI KO CHAHNA HI ASLI PYAR HOTA HAI.

       

Zakham chupane k liye bahana chahiye,
Dard sunane k liye koi apna chahiye,
Har shaks karib aakar chala jata
hai,
Ek wo hi nhi aaye jinko aana chahiye…

       

Itni hasrat se na dekh ‘Aasman’ ko aye dost….

Wo sitara tut chuka jiski tuje talaash hai.

       

Meri Dastaan-e-Gham Yaaro Pehle Sun To Lo,
Sabra Kis Ko Kehtay Hain Tum Jaan Jao Ge..

       

Zara Soch Kya Guzregi tum Pe..

Koi Chaahe Agar Tumhe Meri Tarah,
Aur Phir..
Koi Chhod De Tumhe Tumhari Tarah !

       

Vicharto nthi hu, pan koi vicharva majbur kari jay chhe.
Aaj sudhi em nthi smjatu ke, nankda aa dil ma aakhe aakhi vyakti km utri jay chhe.!!!!

       

Kaas kabhi yu bhi ho ke baazi palat jaaye,
use yaad sataaye meri aur me sukun se so jaau…

     

Unki laaparwaahi ka kya karein
gila……..
Chalo aaj phir hum hi unhein yaad kar lete hain hamesha ki
tarah……..

       

Agar Saleeqa ho bheegi huyi ankhoon ko padhanay ka

Tou behtay hoye ansoo bhi aksar baat kartay hain…

       

Aur Kya Dekhne Ko Baki Hai

Aap Say Dil LaGa K Dekh Liya..

       

Roya wo aasman bhi kisi ki yaad me..
Shayad koi kissa uske andar hi dafan tha..

       

Jin ke humsafar bichar jaya karte hain,
Wo chain se kab soya karte hain,
Sunate nahi kisi ko Dukh apna,
Bus akele mein chup kar roya karte hain,…

       

Naa nikalna idd ke din kisse masjid ke paas se,
Kahin loge chand samajh ke apna roja naa tod de,
Aur ho ker khafa khuda,
Kahin insaan bannana naa chod de.

       

Main teri yaad se ek pal to nikal paoon ..
Mere Khuda mujhe itna to bewafa karde…

       

Ankhe ro padhi unka na paigam aaya,
Chale gaye humein akela chhod ke ye kesa mukam aaya,

Meri tanhai Hansi mujhpe
Aur boli Bata
Aakhir mere siva tere kon kaam aaya…???

       

Ye bhi acha hua ki use paa na sake hum,
hamare ho ke bichadte to qayamat hoti..!!

       

Aaj unki dosti main kuch kami dekhi,
Chand ki chandni main kuch nami dekhi,
Udaas ho k loat aaye hum apny ghar,
Unki mehfil jab auron se jami dekhi.

       

Apni Aankho ko noch Daala hai

Khwab Aaya Tha phir Mohabbat Ka…

       

Na wo milti hai, na main rukta hu,
pata nahi rasta galat hai ya Manzil.

         

Sirf aapki hi khushi chahte thay to hath phela diye,
Werna hum to apni zindagi ke liye bhi dua nahi krte!!!

       

Eei mehboob mere yeh julm na kar,
Inn nazaro ke tir se dil pe vaar na kar
Yeh dil tumhei har pal duwaaye deta hei
Thoda soch kar tun ish dil par rahem kar.

       

Jabh suraj dhalta hei, toe aashman ka rang
badal jata hei;
Jabh kismat badalti hei, toe logo ka dhang
badal jata hei.

       

Su Karu Fariyad Tane Ke
Fariyaad Maaj Fari Yaad Chhe
Fari Fari Ne Yaad Tari
Ej Mari Fariyad Chhe..

       

Hum Jitna Aaj Usse Chahte hain Kal bhi Utna hi chahenge..

Wo toh Pagal hai Jo Roz Rooth jata Hai Hume Aazmaane k Liye.!!

       

Mujhe pankh na do e mere maula….
Mere khuda zameen par hi rehte hai!

       

Bhool Jaane ki Shikayat woh Aksar Humse Karte hain..

Ki Jinhe yaad Karne k Siwa Hum aur kuch nahi karte.!!

       

Mera waqt b qayamat ki tarah hai. Yaad rakhna aayega zarur.

       

Koi kehta hai pyaar nasha ban jata hai .
Koi kehta hai pyaar saza ban jata hai .
Par pyaar karo agar sachche dil se .
To wo pyaar hi jine ka waja ban jata hai..!!

       

Teri mohabbat se lekar tere Alvida kahne tak,

Mene sirf tujhe chaha hai tujse kuch nahi chaha…

       

Teri jeet se zyaada to
Meri har ka charcha hai.

       

Teri bahon me jannat ka gumaa’n hota hai,Us waqt hosh kahan hota hai…?

Aisa lagta hai khuda mehrbaan hai,Jab tu mehrbaan hota hai…

       

Ajeeb hai Mohabbat ke Dastoor bhi.,

Ruth koi jaata hai,
Toot koi jaata hai….

       

“Ek aur shaam beet chali hai tujhe chahte huye.,!!

Tu aaj bhi be-khabar hai beete huye kal ki tarah.,!!”

       

Mast Nazron se dekh lenaa tha
Agar tamanna thi aazmane ki,

Hum to behosh youn hi ho jaate
Kya zaroorat thi muskurane ki.

9 comments:

  1. Chori karte ho aur shayar bante ho. aapne meri ghazal kis se pooch kr likhi yahan aur agar likhi to mera naam kyoon nhi diya. aapne twitter se aur face book se chura kar yahan apne nnaam se likh di
    आईना भी भला कब किसको सच बता पाया है।
    जब देखा दायाँ तो, बायाँ ही नजर आया है ।।

    ये ग़लतफ़हमी है, तुझे तेरा रसूख़ बचा लेगा।
    याद रख बेबस मुफलिसों का ख़ुदा सरमाया है।।
    @Deepak Sharma

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    1. सिर्फ जिस्म ही नहीं रूह छु सको तो इश्क करना,
      लाखों की भीड़ में हक से जो हाथ पकड़ सको तो इश्क करना,
      कपड़े उतारना वफा का सबूत नहीं है सिर ढका सके तो इश्क़ करना!!
      वो मेरी हैं मेरी हैं का शोर नहीं ; मैं उसका हूं कह सको
      तो इश्क़ करना!!
      दिल मैं रहने की बात आम हैं' उसकी नज़रों मैं रह सको !
      तो इश्क़ करना !!

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    2. This comment has been removed by the author.

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