Tuesday 12 July 2016

मैं नहीं कहता मेरी प्यास बुझाओ बादल

मैं नहीं कहता मेरी प्यास बुझाओ बादल
गर न बरसो तो मेरे सर पे न छाओ बादल।
ये सही है कि नहीं एक अकेला मैं हूँ
पर कभी सिर्फ मेरे वास्ते आओ बादल।
मैं तेरी आस में सूरज से लड़ा हूँ पहरों
तुम कहाँ थे ज़रा उस वक्त बताओ बादल।
जब मैं पीने लगा पानी की जगह अंगारे
तब इधर आये हो ,अब भाड़ में जाओ बादल।
ये नहीं ,वो नहीं ,ऐसा नहीं ,वैसा भी नहीं
इन फसानों को कहीं और सुनाओ बादल।
तुम अभी तक कहीं बरसे नहीं हो कहते हो
फिर ये भीगे हुए कैसे हो बताओ बादल।
सिर्फ घिरने से , गरजने से कुछ नहीं होगा
कुछ बरसने के भी आसार बनाओ बादल।
ये मोहब्बत नहीं है सिर्फ इक रवायत है
वरना तुम भी किसी के हाथ न आओ बादल।
तुम समझते हो तुम्हीं एक मदारी हो बस
मैं जमूरा हूँ चाहें जैसे नचाओ बादल।
मैं हूँ सूरज , मैं तेरे वास्ते निकलता हूँ
है कोई दूसरा दुनिया में बताओ बादल।
*प्रमोद तिवारी*

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