तुम अकेले अगर होगे तो ज़माने के लिए
मैं हमेशा खड़ा हूँ साथ निभाने के लिए
दोस्ती है तो अगर सच कहूँ तो तुमसे है
दोस्त तो और भी है कितने गिनाने के लिए
रात काजल की तरह आंज ली फिर आँखो नें
जब सुना आ रहे हो ख्वाब सजाने के लिए
तेज़ बारिश है मेरा रेन कोट ले जाओ
जा रहे हो जो अगर लौट के आने के लिए
इससे जियादा तो और कुछ नहीं मैं कर पाया
साथ ही छोड़ दिया साथ निभाने के लिए
ये तो पहले से ही तय कर दिया विधाता ने
मेरे काँधे हैं तेरी डोली उठाने के लिए
जब मिले आसमान सोच समझ कर उड़ना
शोहरतें साथ में चलती हैं गिराने के लिए
बस ज़रा मुस्करा के तू मुझे रुखसत कर दे
फिर न आऊंगा कभी दिल को दुखाने के लिए
ये मेरे शेर , ये अंदाज़े बयां कैसा है
या कहूँ एक ग़ज़ल और मनाने के लिए
Poet: Pramod Tewari Geetkar
मैं हमेशा खड़ा हूँ साथ निभाने के लिए
दोस्ती है तो अगर सच कहूँ तो तुमसे है
दोस्त तो और भी है कितने गिनाने के लिए
रात काजल की तरह आंज ली फिर आँखो नें
जब सुना आ रहे हो ख्वाब सजाने के लिए
तेज़ बारिश है मेरा रेन कोट ले जाओ
जा रहे हो जो अगर लौट के आने के लिए
इससे जियादा तो और कुछ नहीं मैं कर पाया
साथ ही छोड़ दिया साथ निभाने के लिए
ये तो पहले से ही तय कर दिया विधाता ने
मेरे काँधे हैं तेरी डोली उठाने के लिए
जब मिले आसमान सोच समझ कर उड़ना
शोहरतें साथ में चलती हैं गिराने के लिए
बस ज़रा मुस्करा के तू मुझे रुखसत कर दे
फिर न आऊंगा कभी दिल को दुखाने के लिए
ये मेरे शेर , ये अंदाज़े बयां कैसा है
या कहूँ एक ग़ज़ल और मनाने के लिए
Poet: Pramod Tewari Geetkar
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