Sunday 14 February 2016

अक्सर देखा है मोहब्बत को नाकाम होते हुये

अक्सर देखा है मोहब्बत को नाकाम होते हुये,
साथ जीने के वादे किए, फिर तनहा रोते हुये,
यूँ ही देखा है बचपन की दोस्ती को बूढा होते हुये,
ना किए कभी वादे, पर हर वादे को पूरा होते हुये..!!

ये तमन्ना है कि मेरी ज़िन्दगी में आओ,
और मुझसे मोहब्बत न करो,
ये इल्तज़ा है कि मेरे दोस्त बन जाओ,
और मुझसे मोहब्बत न करो......॥

जो हमेशा साथ निभाए..वो तो बस दोस्ती है,
जो कभी ना रूलाए..वो तो बस दोस्ती है..!!

No comments:

Post a Comment