वोह जब याद आये बहुत याद आये
वोह जब याद आये बहुत याद आये
घम-ए-जिन्दगी के अँधेरे में हमने
चिराग-ए-मोहब्बत जलाए बुझाये
वोह जब याद आये बहुत याद आये
आहटें जाग उठी रास्ते हंस दिए
थामकर दील उठे हम किसी के लिए
कई बार ऐसा भी धोखा हुआ है
चले आ रहे है वोह नज़रें झुकाए
वोह जब याद आये बहुत याद आये
: वोह जब याद आये बहुत याद आये
घम-ए-जिन्दगी के अँधेरे में हमने
चिराग-ए-मोहब्बत जलाए बुझाये
वोह जब याद आये बहुत याद आये
दील सुलगने लगा अश्क बहने लगे
जाने क्या क्या हमे लोग कहने लगे
मगर रोते-रोते हंसी आ गयी है
ख्यालों में आ के वोह जब मुस्कुराये
वोह जब याद आये बहुत याद आये
वोह जूदा क्या हुए जिन्दगी खो गयी
शम्मा जलती रही रौशनी खो गयी
बहुत कोशिशे कि मगर दील ना बेहला
कई साज़ छेड़े कई गीत गाये
: वोह जब याद आये बहुत याद आये
वोह जब याद आये बहुत याद आये
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