किताबों के पन्नो को पलट के सोचता हूँ,
यूँ पलट जाए मेरी ज़िंदगी तो क्या बातहै.
ख्वाबों मे रोज मिलता है जो
हक़ीकत में आए तो क्या बात है,
कुछ मतलब के लिए ढूँढते हैं मुझको,
बिन मतलब जो आए तो क्या बात है,
कत्ल कर के तो सब ले जाएँगे दिल मेरा
कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है,
अपने रहने तक तो खुशी दूँगा सब को,
जो किसी को मेरी मौत पे खुशी मिल जाए तो क्या बात है
Written By Lokesh Thakur
www.facebook.com/vartikashayries
No comments:
Post a Comment