Tuesday 12 July 2016

मैं नहीं कहता मेरी प्यास बुझाओ बादल

मैं नहीं कहता मेरी प्यास बुझाओ बादल
गर न बरसो तो मेरे सर पे न छाओ बादल।
ये सही है कि नहीं एक अकेला मैं हूँ
पर कभी सिर्फ मेरे वास्ते आओ बादल।
मैं तेरी आस में सूरज से लड़ा हूँ पहरों
तुम कहाँ थे ज़रा उस वक्त बताओ बादल।
जब मैं पीने लगा पानी की जगह अंगारे
तब इधर आये हो ,अब भाड़ में जाओ बादल।
ये नहीं ,वो नहीं ,ऐसा नहीं ,वैसा भी नहीं
इन फसानों को कहीं और सुनाओ बादल।
तुम अभी तक कहीं बरसे नहीं हो कहते हो
फिर ये भीगे हुए कैसे हो बताओ बादल।
सिर्फ घिरने से , गरजने से कुछ नहीं होगा
कुछ बरसने के भी आसार बनाओ बादल।
ये मोहब्बत नहीं है सिर्फ इक रवायत है
वरना तुम भी किसी के हाथ न आओ बादल।
तुम समझते हो तुम्हीं एक मदारी हो बस
मैं जमूरा हूँ चाहें जैसे नचाओ बादल।
मैं हूँ सूरज , मैं तेरे वास्ते निकलता हूँ
है कोई दूसरा दुनिया में बताओ बादल।
*प्रमोद तिवारी*

कटा जब शीश सैनिक का

कटा जब शीश सैनिक का तो हम खामोश रहते हैं
कटा एक सीन पिक्चर का, तो सारे बोल जाते हैं
कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं
जहाँ खामोश रहना है, वहाँ मुँह खोल जाते हैं
ये कुर्सी मुल्क खा जाए तो कोई कुछ नहीं कहता
मगर रोटी की चोरी हो, तो सारे बोल जाते हैं
नयी नस्लों के ये बच्चे ज़माने भर की सुनते हैं
मगर माँ बाप कुछ बोलें, तो बच्चे बोल जाते है
फसल बर्बाद होती है तो कोई कुछ नहीं कहता
किसी की भैंस चोरी हो, तो सारे बोल जाते हैं
बहुत ऊँची दुकानों में कटाते जेब सब अपनी
मगर मजदूर माँगेगा, तो सिक्के बोल जाते हैं
गरीबों के घरों की बेटियाँ अब तक कुँवारी हैं
कि रिश्ता कैसे होगा जबकि गहने बोल जाते हैं
अगर मखमल करे गलती तो कोई कुछ नहीं कहता
फटी चादर की गलती हो, तो सारे बोल जाते हैं
हवाओं की तबाही को सभी चुपचाप सहते हैं
च़रागों से हुई गलती, तो सारे बोल जाते हैं
बनाते फिरते हैं रिश्ते ज़माने भर से हम अक्सर
मगर घर में ज़रूरत हो, तो रिश्ते बोल जाते हैं...।
#Source_Unknown

फिर से सावन में तेरा प्यार याद आता है

फिर से सावन में तेरा प्यार याद आता है
जब कभी तू मुझे ख़्वाबों में छेड़ जाता है
ये हरे बाग़ ये वादी ये घटायें क्या हैं
ये हँसी रात सितारे ये फ़िज़ाएँ क्या है ..२
बिन तेरे मेरा बुरा हाल हुवॉ जाता है
फिर से सावन .....
तेरा चेहरा मुझे झूलों में नज़र आता है
ऐसा लगता है मुझे तू ही झुला जाता है ..२
बूँद बनकरके जो तू तन से लिपट जाता है
फिर से सावन ......
अब तो शृंगार भी तन में न सजाये जाएँ
बिन तेरे कोई भी रिश्ते न निभाए जाएँ
कियूँ भुलाकर के मेरे यार मुस्कुराता है
फिर से सावन ....

Sunday 14 February 2016

अक्सर देखा है मोहब्बत को नाकाम होते हुये

अक्सर देखा है मोहब्बत को नाकाम होते हुये,
साथ जीने के वादे किए, फिर तनहा रोते हुये,
यूँ ही देखा है बचपन की दोस्ती को बूढा होते हुये,
ना किए कभी वादे, पर हर वादे को पूरा होते हुये..!!

ये तमन्ना है कि मेरी ज़िन्दगी में आओ,
और मुझसे मोहब्बत न करो,
ये इल्तज़ा है कि मेरे दोस्त बन जाओ,
और मुझसे मोहब्बत न करो......॥

जो हमेशा साथ निभाए..वो तो बस दोस्ती है,
जो कभी ना रूलाए..वो तो बस दोस्ती है..!!

उड़ा दिये हैं

उड़ा दिये हैं, हमनें अरमानों को परिंदों की तरह...
जो नज़र आ जाएं किसी को गले से भी लगा लेना...

सारी रौशनी कर दी है रुख्सत समेट कर हमनें...
छुपा सको जो इनको ,अंधेरों में भी छुपा लेना...

नज़रअंदाज़ करना है, तो दिन का इन्तेजार क्यों...
सितारा टुटा हुआ समझना जमीं से भी उठा लेना...

बहुत है भीड़ दुनियां में कमी है फिर भी अपनों की...
मुझे अपना भी गर समझो, गले से भी लगा लेना..

Wednesday 20 May 2015

मिलेगी मंजिल प्यार की

मत छोड़ राह यार की, मत छोड़ चाह दीदार की
तू रख यकीं खुद पे, मिलेगी मंजिल प्यार की
ये निगोड़ी दुनिया रस्ते में कांटे बिछाती है
चाहे लाख प्यार को रोकना, पर रोक न ये पाती है
हद है ये ऐतबार की, दुल्हन के सोलह श्रृंगार की
कलियों में कचनार की, मिलेगी मंजिल प्यार की
मीरा हुई दीवानी भगवन के एक स्वरुप की
शबरी को मिले श्री राम थे चाहे लाख वो कुरूप थी
एक नजर जो मिले  दिलदार की, उम्र पूरी हो जाये प्यार की
सावन में सौ सौ बहार की, मिलेगी मजिल प्यार की

Monday 23 February 2015

Sochta hu ai jindgi

Sochta hu ai jindgi thoda to tu asan ho !
Jarro me rah gujar hai kabhi to meri pahchan ho !!
Ye khel dilo k ab hamse khele Nh jate !
Lechal mujhe ai asman jis taraf mera jahan ho !!
Tujhe pata nahi hai par mjhe chahiye aye jindgi !
Thodi to khushi mere uske darmyan ho !!
WO bewfa nikli to chhod di hamne duniya !
Lao ab wo salla jisme mera saman ho !!
Nikal to aye ho dur jamane ki najro se bachkar "Rahul" !
Ab dhundhoge kaha usko jo teri dil e jaan ho !!