Sunday 21 December 2014

उंगलिया यूं न सब पर उठाया करो

उंगलिया यूं न सब पर उठाया करो
खर्च करने से पहले कमाया करो

जिन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे
वारिशों में पतंगें उड़ाया करो

शाम के बाद जब तुम सहर देख लो
कुछ फकीरों को खाना खिलाया करो

दोस्तों से मुलाकात के नाम पर
नीम की पत्तियों को चबाया करो

चॉद सूरज कहां अपनी मन्जिल कहां
ऐसे बेसों को मुंह मत लगाया करो

घर उसी का सही तुम भी हकदार हो
रोज आया करो रोज जाया करो

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