जब कुछ नहीं बना तो हमने इतना कर दिया..
खाली हथेली पर दुआ का सिक्का धर दिया।
कब तक निभाते दुश्मनी हम वक्त से हर दिन
इस बार जब मिला वो तो बाँहों में भर लिया।
उस गाँव के बाशिंदों में अजीब रस्म है,
बच्ची के जन्म लेते ही गाते हैं मर्सिया।
बदली हुकूमतें मगर न किस्मतें बदलीं,
मुश्किलजदा लोगों को सबने दर बदर किया।
मुद्दा कोई हो, उसपे बोलना तो बहुत दूर,
संजीदा हो के सोचना भी बंद कर दिया।
रमेश तैलंग
खाली हथेली पर दुआ का सिक्का धर दिया।
कब तक निभाते दुश्मनी हम वक्त से हर दिन
इस बार जब मिला वो तो बाँहों में भर लिया।
उस गाँव के बाशिंदों में अजीब रस्म है,
बच्ची के जन्म लेते ही गाते हैं मर्सिया।
बदली हुकूमतें मगर न किस्मतें बदलीं,
मुश्किलजदा लोगों को सबने दर बदर किया।
मुद्दा कोई हो, उसपे बोलना तो बहुत दूर,
संजीदा हो के सोचना भी बंद कर दिया।
रमेश तैलंग
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