क्यों रहे वादे अधूरे ,अब सवाल होना चाहिए
बात सीधे न बने तो ,बवाल होना चाहिए
दर्द का परिहास जब ,होने लगे दरबार में
आँख में आँसू नही तब ,काल होना चाहिए
देश के ये रहनुमा ,इसको कहाँ ले जायेंगे
जिनकी फितरत है कि ,मालामाल होना चाहिए
हर समय ये पीठ अपनी ,थपथपाते रह गये
अपनी करतूतो पे जिनको ,मलाल होना चाहिए
किसकी शिकायत हो ,किससे शिकायत हो
चमन तो उनसे लुटा ,जिन्हे ढाल होना चाहिए
आँसुओ के संग ,अब सपने कही बह जायें न
कुछ नया संकल्प ले ,कुछ कमाल होना चाहिए
बात सीधे न बने तो ,बवाल होना चाहिए
दर्द का परिहास जब ,होने लगे दरबार में
आँख में आँसू नही तब ,काल होना चाहिए
देश के ये रहनुमा ,इसको कहाँ ले जायेंगे
जिनकी फितरत है कि ,मालामाल होना चाहिए
हर समय ये पीठ अपनी ,थपथपाते रह गये
अपनी करतूतो पे जिनको ,मलाल होना चाहिए
किसकी शिकायत हो ,किससे शिकायत हो
चमन तो उनसे लुटा ,जिन्हे ढाल होना चाहिए
आँसुओ के संग ,अब सपने कही बह जायें न
कुछ नया संकल्प ले ,कुछ कमाल होना चाहिए
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