किसी की याद का जंगल है भागे जा रहा हु मै
जो किस्मत में नहीं है उसको मांगे जा रहा हु मै
दुल्हन बनकर किसी की वो कही पर सो रही होगी
मगर मुद्दत हुई है अब भी जागे जा रहा हु मै
जो किस्मत में नहीं है उसको मांगे जा रहा हु मै
दुल्हन बनकर किसी की वो कही पर सो रही होगी
मगर मुद्दत हुई है अब भी जागे जा रहा हु मै
क्या आप मुझे इस ग़ज़ल के राइटर के बारे में बता सकते हैं
ReplyDeleteइमरान प्रताप गढ़ी
Deleteimraan pratapgrahi
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