Tuesday 15 October 2013

किसी की याद का जंगल है भागे जा रहा हु मै

किसी की याद का जंगल है भागे जा रहा हु मै
जो किस्मत में नहीं है उसको मांगे जा रहा  हु मै
दुल्हन बनकर किसी की वो कही पर सो रही होगी
मगर मुद्दत हुई है अब भी जागे जा रहा हु मै


3 comments:

  1. क्या आप मुझे इस ग़ज़ल के राइटर के बारे में बता सकते हैं

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    1. इमरान प्रताप गढ़ी

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