Sunday 21 December 2014

ये तेरी वेरूखी

ये तेरी वेरूखी की हम से आदत खाक छूटेगी
कोई दरिया न यह समझे कि मेरी प्यास टूटेगी
तेरे वादे का तू जाने मेरा वो ही इरादा है
कि जिस दिन सांस टूटेगी उसी दिन आस छूटेगी

अभी चलता हूं रस्ते को में मंजिल मान लूं कैसे
मसीहा दिल को अपनी जिद का कातिल मान लूं कैसे
तुम्हारी याद के आदिम अंधेरे मुझ को घेरे हैं
तुम्हारे बिन जो वीते दिन उन्हें दिन मान लूं कैसे

गमों को आबरू अपनी खुशी को गम समझते हैं
जिन्हें कोई नहीं समझा उन्हें वस हम समझते हैं
कशिश जिन्दा है अपनी चाहतों में जानेजा क्योंकि
हमें तुम कम समझती हो तुम्हें हम कम समझते हैं।

उंगलिया यूं न सब पर उठाया करो

उंगलिया यूं न सब पर उठाया करो
खर्च करने से पहले कमाया करो

जिन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे
वारिशों में पतंगें उड़ाया करो

शाम के बाद जब तुम सहर देख लो
कुछ फकीरों को खाना खिलाया करो

दोस्तों से मुलाकात के नाम पर
नीम की पत्तियों को चबाया करो

चॉद सूरज कहां अपनी मन्जिल कहां
ऐसे बेसों को मुंह मत लगाया करो

घर उसी का सही तुम भी हकदार हो
रोज आया करो रोज जाया करो

कितनी पी कैसे कटी रात

कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं,
रात के साथ गई बात मुझे होश नहीं

मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहॉं
थाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं

ऑंसूओं और शराबों में गुजारी है हयात
मैं ने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं

जाने क्‍या टूटा हे पैमाना कि दिल है मेरा
विखरे-विखरे है खयालात मुझे होश नहीं

- डा0 राहत इन्‍दौरी साहब

अब सवाल होना चाहिए

क्यों रहे वादे अधूरे ,अब सवाल होना चाहिए
बात सीधे न बने तो ,बवाल होना चाहिए
दर्द का परिहास जब ,होने लगे दरबार में
आँख में आँसू नही तब ,काल होना चाहिए
देश के ये रहनुमा ,इसको कहाँ ले जायेंगे
जिनकी फितरत है कि ,मालामाल होना चाहिए
हर समय ये पीठ अपनी ,थपथपाते रह गये
अपनी करतूतो पे जिनको ,मलाल होना चाहिए
किसकी शिकायत हो ,किससे शिकायत हो
चमन तो उनसे लुटा ,जिन्हे ढाल होना चाहिए
आँसुओ के संग ,अब सपने कही बह जायें न
कुछ नया संकल्प ले ,कुछ कमाल होना चाहिए

जिसने भी की मुहब्बत

जिसने भी की मुहब्बत, रोया जरूर होगा।
वो याद में किसी के खोया जरूर होगा।

 
दिवार के सहारे, घुटनों में सिर छिपाकर ,
 

वो ख्याल में किसी के खोया जरुर होगा।
 

आँखों में आंसुओ के, आने के बाद उसने, 
धीरे से उसको उसने, पोंछा जरुर होगा।
जिसने भी की मुहब्बत, रोया जरूर होगा

Friday 11 July 2014

अभी सूरज नही डूबा


अभी सूरज नही डूबा जरा सी साम होने दो ,
मै खुद ही लौट जाऊंगा मुझे नाकाम होने दो ।


मुझे बदनाम करने के बहाने ढूढ़ते हो क्यों ,
मै खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले नाम होने दो ।

अभी करना नही ऐतराफ-ए-शिकायत मुझको ,
मै सब तस्लीम कर लूँगा ये चर्चा आम होने दो ।

मेरी हस्ती है अनमोल फिर भी बिक नही सकता ,
वफायें बेच लेना पर जरा नीलाम होने दो।

नये आगाज में ही हौसला क्यों हार बैठे हो ,
जीत जाओगे तुम सब कुछ जरा अंजाम होने दो ।।

Wednesday 13 November 2013

इतनी मुद्दत बाद मिले हो किन सोचो में गुम रहते हो

इतनी मुद्दत बाद मिले हो
किन सोचो में गुम  रहते हो...
तेज हवा ने पूछा मुझसे
रेत  पे क्या लिखते रहते हो...
इतनी मुद्दत बाद मिले हो
किन सोचो में गुम  रहते हो...
कौन सी बात है तुममे ऐसी
इतनी अच्छी क्यों लगती हो...
इतनी मुद्दत बाद मिले हो
किन सोचो में गुम  रहते हो...
हमसे न पूछो हिज्र के किस्से
अपनी कहो अब तुम कैसे हो...
इतनी मुद्दत बाद मिले हो
किन सोचो में गुम  रहते हो....